Freedom Fighter of Himachal Pradesh : देश के लिए धड़का भाई हिरदा राम का दिल

Freedom Fighter of Himachal Pradesh : देश के लिए धड़का भाई हिरदा राम का दिल

विनोद भावुक/ मंडी 

Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम ने  गदर आंदोलन में क्रांतिकारी भूमिका अदा की। अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एस्टोरिया में 25 जून 1913 को देश को आजाद करवाने के लिए गदर पार्टी बनाई। इस संगठन ने भारत को अनेक महान क्रांतिकारी दिए। गदर पार्टी के महान नेताओं सोहन सिंह भकना, करतार सिंह सराभा, लाला हरदयाल के कार्यो ने भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को उत्प्रेरित किया। पहले महायुद्ध के दौरान जब भारत के अन्य दल अंग्रेजों को सहयोग दे रहे थे गदर पार्टी के नेताओं ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग की घोषणा कर दी। सात समंदर पार अपने वतन को आजाद करवाने को लेकर शुरू हुई इस जंग का असर पहाड़ी रियासत मंडी में हुआ और यहां के कई देशभक्त गदर आंदोलन में कूद गए और आंदोलन में अहम भूमिका अदा की और अंग्रेजी हुकूमत की कठोर यातनाएं सहन की। Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम का नाम गदर आंदोलन में बच्चे- बच्चे की जुबान पर था। 

सोना ढालने वाले हाथों ने बारूद संभाला 

Freedom Fighter of Himachal Pradesh  हिरदा राम का युवा मन में क्रांति का साहित्य पढ़ कर देशप्रेम का समंदर हिलोरें ले रहा था। 28 नवंबर 1885 को मंडी नगर में जन्मे हिरदा राम ने आठवीं तक शिक्षा ग्रहण कर स्वर्णकार के रूप में कार्य करना आरंभ किया, लेकिन सोना ढालने वाले हाथ जल्द ही बारूद संभालने लगे।

Freedom Fighter of Himachal Pradesh  हिरदा राम का युवा मन में क्रांति का साहित्य पढ़ कर देशप्रेम का समंदर हिलोरें ले रहा था। 28 नवंबर 1885 को मंडी नगर में जन्मे हिरदा राम ने आठवीं तक शिक्षा ग्रहण कर स्वर्णकार के रूप में कार्य करना आरंभ किया, लेकिन सोना ढालने वाले हाथ जल्द ही बारूद संभालने लगे। Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम जंगलों में बम बनाते और उन बमों को गदर पार्टी के क्रांतिकारियों तक पहुंचाते। गदर पार्टी के इस सिपाही के बनाए बम लाहौर तक गरजे। उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत प्रथम विश्वयुद्ध में व्यस्त थी। गदर पार्टी के क्रांतिकारी हरदेव राम मुंबई से मंडी लौटे और अंग्रेजी सरकार की व्यस्तता का लाभ उठाकर यहां क्रांतिकारी गतिविधियां तेज कर दीं। हरदेव राम को मंडी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में भाई हिरदा राम का साथ मिला।

लाहौर में चले क्रांतिकारियों पर केस 

Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम जंगलों में बम बनाते और उन बमों को गदर पार्टी के क्रांतिकारियों तक पहुंचाते। गदर पार्टी के इस सिपाही के बनाए बम लाहौर तक गरजे। उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत प्रथम विश्वयुद्ध में व्यस्त थी। गदर पार्टी के क्रांतिकारी हरदेव राम मुंबई से मंडी लौटे और अंग्रेजी सरकार की व्यस्तता का लाभ उठाकर यहां क्रांतिकारी गतिविधियां तेज कर दीं। हरदेव राम को मंडी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में भाई हिरदा राम का साथ मिला।

Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम ने अमृतसर में बम बनाने का प्रशिक्षण हासिल किया। बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी रास बिहारी लाल बोस ने उन्हें बम बनाने में माहिर किया। भाई हिरदा राम बम बनाने में इतने माहिर हो गए कि उनके बनाए बम लाहौर से लेकर मंडी तक के क्रांतिकारियों तक पहुंचते थे। फरवरी 1915 में क्रांतिकारी मूला सिंह और उनके साथियों ने डाका डाला। 12 फरवरी को मूला सिंह को ब्रिटिश पुलिस ने पकड़ लिया और अपने कुछ भेदियों को क्रांतिकारी दल में शामिल करवा  दिया। इस भेदियों ने गदर पार्टी की तमाम योजनाओं का पता लगा लिया। भेदियों के कारण 19 फरवरी 1915 को भाई हिरदा राम, डॉक्टर मथुरा दास, करतार सिंह सराभा, भाई परमानंद, काका सिंह, लबंत सिंह, अमर सिंह, खड़क सिंह व महाराष्ट्र के क्रांतिकारी पिंगले को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। भाई हिरदा राम व पिंगले के पास बम भी बरामद हुए। लाहौर में इन गदर पार्टी के इन सिपाहियों पर मुकदमे चले।

आजीवन कारावास में बदली फांसी की सजा 

लाहौर सेंट्रल जेल में गदर के क्रांतिकारियों के विरुद्ध 26 अप्रैल 1915 को मुकदमा चला। यहां  Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम की पैरवी करने वाला कोई नहीं था। डॉक्टर मथुरा सिंह, करतार सिंह सराभा और पिंगले सहित भाई हिरदा राम को फांसी की सजा सुनाई गई।

लाहौर सेंट्रल जेल में गदर के क्रांतिकारियों के विरुद्ध 26 अप्रैल 1915 को मुकदमा चला। यहां  Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम की पैरवी करने वाला कोई नहीं था। डॉक्टर मथुरा सिंह, करतार सिंह सराभा और पिंगले सहित भाई हिरदा राम को फांसी की सजा सुनाई गई। हिरदा राम की पत्नी सरला देवी की अपील पर वायसराय हार्डिग ने हिरदा राम की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कालापानी की सजा के दौरान वह अंडमान जेल में वीर सावरकर के साथ एक ही कोठरी में रहे। सजा काटने के बाद 1929 में हिरदा राम अपने घर मंडी लौटे मगर उनके संघर्ष को कोई सम्मान नहीं मिला।

जीवत रहते सरकार से कुछ नहीं मिला

Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम को देश आजाद होने के बाद भी जीवत रहते उन्हें सरकार से कुछ नहीं मिला। 21 अगस्त 1965 को हिरदा राम का निधन हो गया।
Freedom Fighter of Himachal Pradesh हिरदा राम को देश आजाद होने के बाद भी जीवत रहते उन्हें सरकार से कुछ नहीं मिला। 21 अगस्त 1965 को हिरदा राम का निधन हो गया। वतन की आजादी के मिशन के लिए कठोर यातनाएं सहने वाले भाई हिरदा राम की यादों को जिंदा रखने के लिए इंदिरा मार्केट मंडी की छत के ऊपर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। इस प्रतिमा का अनावरण 31 अगस्त 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की अध्यक्षता में तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण मंत्री शांता कुमार ने किया था। महान स्वतंत्रता सेनानी की यह प्रतिमा नई नस्लों को देशभक्ति की प्रेरणा देती है। हिरदा राम स्मारक समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार नूतन कहते हैं कि ऐसे क्रांतिकारियों पर मंडी को हमेशा गर्व रहेगा। ऐसे देशप्रेमियों को इतिहास में उतना याद नहीं किया गया जितना बड़ा उनका बलिदान था। 

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