Temple of Himachal Pradesh प्रवाहित होकर आई, माता जालपा कहलाई
हिमाचल बिजनेस कंटेन्ट/ जोगेंद्रनगर
मंडी जिला के तहत जोगिंद्रनगर उपमंडल से तीन किलोमीटर की दूरी पर बगला गांव की सुंदर पहाड़ी में स्थित Temple of Himachal Pradesh माता जालपा के मंदिर में नवरात्रों में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ रहती है।
नवरात्रों में यहां हर रोज हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। चारों ओर से चीड़ के पेड़ों से घिरे इस Temple of Himachal Pradesh का विशेष महत्व है। इस मंदिर का इतिहास राजा जोगिंदर सेन से जुड़ा हुआ है। राजा की आराध्य देवी मां जालपा की कहानी भी बड़ी रोचक है।
भूमि कटाव से होती थी हानि
कहते हैं कि सालों पहले क्षेत्र के अंतिम राजा जोगिंदर सेन जो काफी दयालु तथा न्याय प्रिय थे, ने अपने राज्य के लोगों पर होने वाले प्राकृतिक प्रकोपों से चिंतित रहते थे।
खासकर, नदी क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भूमि कटाव के कारण होने वाली हानि के कारण कुछ सालों से बरसात में नदी के जल द्वारा द्वारा बार-बार रास्ता बदलने के कारण काफी मात्रा में अन्न क्षेत्र बाढ़ की भेंट चढ़ चुका था और बरसात फिर से आने को थी, लेकिन राजा को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
कन्या रूप में राजा को दर्शन
प्राकृतिक प्रकोपों से होने वाले नुकसान से चिंतित राजा एक रात सोया तो राजा के स्वप्न में देवी के रूप में एक कन्या आई। अति सुंदर साक्षात भगवती स्वरूपा देवी को देखकर राजा स्वतः नतमस्तक एवं धन्य अनुभव कर रहे थे। मां स्वरूपा देवी के मुख से अत्यंत तेज झलक रहा था। राजा के उससे पूछा कि वो कौन है तथा उनके आने का प्रयोजन क्या है ?
रणा नदी से जुड़ी है कहानी
राजा को स्वप्न में कन्या के रूप में देवी ने कहा कि वो वहीं भगवती देवी हैं, जिनका राजन पूजन किया करते थे। क्षेत्र के लोगों के दिलों में धर्म-कर्म में आस्था बनाए रखने के लिए तथा विपरीत व विपदा समय में उनका साहस और बल बनाए रखने का प्रयोजन लेकर क्षेत्र की बगला घाटी में वह मूर्ति रूप में स्थापित होना चाहती हैं।
देवी ने बताया कि अमुक समय, अमुक स्थान में वह जल की सवारी कर अर्थात स्थानीय रणा नदी में पाषाण मूर्ति के रूप में बहकर आने वाली थी। राजा अपने कार्य बल से पाषाण मूर्ति को प्राप्त करके बताए गए स्थान पर स्थापित करके नियमित पूजन करे तो उसके राज्य के लिए उत्तम होगा।
उफनती नदी में कार्य था कठिन
नियत समय तथा स्थान पर राजा प्रशिक्षित तैराकों तथा स्थानीय मछुआरों को साथ लेकर पहुंचा। नदी उफान पर थी। नदी के तेवर देखकर राजा को कार्य सिद्धि पर संदेह हो रहा था, क्योंकि वह किसी का जीवन खतरे में नहीं डालना चाहता था।
उसने निर्देश दिया कि जब तक वह न कहे कोई भी नदी के जल में प्रवेश नहीं करे। हां, मछुआरे अपने-अपने जाल से प्रयास कर सकते थे।
बहती देवी को जाल से खींचा
नियत समय में पाषाण मूर्ति वह कर आई कहते हैं कि काफी मात्रा में फल- फूल देवी मूर्ति के साथ में वह ‘थे। तैराक नदी में प्रवेश करना चाहते थे, परंतु राजा ने नदी का उफान देखकर उन्हें रोक लिया।
अचानक एक मछुआरे ने जाल फेंका और मूर्ति को खींच लिया। राजा और अन्य उपस्थित लोगों के हर्ष का ठिकाना न था । लोग राजा जोगिंदर सेन तथा मां भगवती का जय-जयकार कर रहे थे।
राजा ने धूमधाम के साथ माता की मूर्ति को स्वप्न में बताए गए नियत स्थान में ले जाकर स्थापित कर इस Temple of Himachal Pradesh की स्थापना की। कहते हैं उस दिन से लेकर आज तक स्थानीय रणा नदी ने वैसी हानि नहीं की, जैसे पहले हो रही थी।
कमेटी के सहयोग से मंदिर का सौंदर्यीकरण
Temple of Himachal Pradesh जालपा माता के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। Temple of Himachal Pradesh मां जालपा मंदिर कमेटी के सहयोग से श्री गणेश मंदिर, शनि मंदिर, शिव मंदिर आदि का निर्माण किया गया है। यहां एक बाबा जी की कुटिया भी है। नवरात्रों में यहां हवन कार्यक्रम और मेलों का आयोजन होता है तथा दूर-दूर से लोग यहां मां का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें –
- Fire Temple : कभी बड़े ज्वालाजी से छोटे ज्वालाजी तक धार्मिक यात्रा करते थे हिंदू तीर्थयात्री
- Richest God – ‘राजा घेपन’ के सुरक्षा घेरे में सुरक्षित ‘बर्फ़ीला रेगिस्तान’ सदियों पुरानी है रथयात्रा की रीत
- Temple of Himachal Pradesh : शिव चरण छूकर अस्त होते सूर्यदेव
- Temple of Himachal Pradesh : दीवारों पर रामायण- महाभारत
- Temple of Himachal Pradesh प्रेमियों को पनाह देते शंगचुल
- Temple of Himachal Pradesh हिमरी गंगा स्नान से संतान सुख
- Sidh Ganpati Temple : तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है मंडी का सिद्ध गणपति मंदिर, आध्यात्मिक गुणों से संपन्न राजा सिद्धसेन ने 1686 में करवाया था मन्दिर का निर्माण