State Museum Shimla : हिमाचली गुड़ियों का अनूठा संसार
विनोद भावुक / शिमला
State Museum Shimla में गुड़ियों का अनूठा संसार है। वैसे तो पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि गुड़िया प्राचीनतम ज्ञात खिलौने का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका प्रमाण है मिस्र के कब्रों से 2000 बीसीइ की गुड़ियों का पाया जाना है।
गुड़ियों ने हमेशा ही दुनिया भर की संस्कृतियों में लोक कला का सृजन किया है और बीसवीं शताब्दी में इन्हें उच्चस्तरीय कला के रूप में स्वीकार किया जाने लगा।
बेशक आज इंटरनेट ने काल्पनिक गुड़ियों का चलन शुरू किया है, जिन्हें स्टारडाल जैसी करोड़ों सदस्यों वाली वेबसाईटों पर डिजायन किया जा सकता है, सजाया-संवारा जा सकता है और उनके साथ खेला जा सकता है, लेकिन पुरानी कलात्मक गुड़ियां संग्रहकर्ताओं की वस्तु होती है।
ब्रू और जूम्यू जैसे फ्रांसिसी निर्माताओं की 19वीं शताब्दी की बनाई गई बिस्क गुड़ियों की कीमत आज 22000 अमेरिकन डॉलर है।
शिमला में में हिमाचली गुड़ियों का अनूठा संग्रह
बेशक नई पीढी को यह अजब लगे, लेकिन एक वह भी ज़माना था जब गुड़िया खिलौने के रूप में पहाड़ के अधिकतर घर में मौजूद होती थी। गुड्डे- गुडिया की शादी का प्रचलन था।
हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि State Museum Shimla इस साल स्वर्ण जयंती साल मना रहा है। State Museum Shimla लोक कला के इस सृजन को सहेजने में अहम् भूमिका अदा की है। राज्य कला संग्रहालय शिमला में में हिमाचली गुड़ियों का अनूठा संग्रह मौजूद है।
ब्रिटिश वायसराय के सैन्य सचिव का आवास
State Museum Shimla इनवर्र्म हिल पर स्कैंडल प्वाइंट से 2.5 किमी पश्चिम में स्थित है। इस इमारत का इतिहास औपनिवेशिक काल का है, जब यह भवन लॉर्ड विलियम बेरेसफोर्ड का निजी निवास था।
वह भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिंक के सैन्य सचिव थे। जब उन्होंने भारत छोड़ा, तो इस हवेली में सर एडविन कोलन और उसके बाद सर एडवर्ड लॉ रहते थे।
स्वतंत्रता के बाद, इसने भारत सरकार के अधिकारियों के निवास के रूप में कार्य किया। हिमाचल प्रदेश राज्य की ऐतिहासिक, कलात्मक और पुरातात्विक वस्तुओं को एकत्र करने और संरक्षित करने के एकमात्र उद्देश्य से इसे 26 जनवरी, 1974 को State Museum Shimla में बदल दिया गया था।
ऐतिहासिक मूर्तियों, सिक्कों, चित्रों और तस्वीरों का एक भव्य संग्रह
State Museum Shimla में राज्य और देश भर से एकत्र की गई प्राचीन ऐतिहासिक मूर्तियों, सिक्कों, चित्रों और तस्वीरों का एक भव्य संग्रह है। इसमें एक पुस्तकालय भी है, जिसमें लगभग 10,000 पुस्तकें, और पत्रिकाएँ हैं।
मूर्तिकला दीर्घा में धातु, लकड़ी और पत्थर की मूर्तियां हैं। पेंटिंग सेक्शन में पहाड़ी और राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग, धार्मिक पेंटिंग, समकालीन पेंटिंग और मुगल पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है।
इन दुर्लभ कलाकृतियों के अलावा संग्रहालय में हिमाचली गुड़ियों का भी अनूठा संग्रह है। कला और इतिहास प्रेमियों को शिमला भ्रमण के दौरान संग्रहालय अवश्य जाना चाहिए।
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सोमवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
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