Leader Of Himachal Pradesh : दादी की सेवा के लिए छोड़ा बिहार
विनोद भावुक / शिमला
Leader Of Himachal Pradesh जगत प्रकाश नड्डा ने एक वक्त बिहार की स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स को छोड़ कर दादी की सेवा का लिए बिलासपुर लौटने का फैसला लिया था।
24 अक्टूबर 1978 को विजयपुर (बिलासपुर) में J P Nadda (जगत प्रकाश नड्डा) के दादा का देहांत हो गया। जगत प्रकाश नड्डा के पिता नारायण लाला नड्डा पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे और वे स्टूडेंट थे।
पिता के आदेश पर नड्डा ने अपनी आगे की पढ़ाई शिमला से करने के साथ दादी के सेवा को प्राथमिकता दी थी। हिमाचल प्रदेश में यूनिवर्सिटी चुनाव के साथ शुरू हुआ नड्डा की सियासत का सफर हिमाचल सरकार में मंत्री, सदन में विपक्ष का नेता होते हुए पार्टी संगठन की राजनीति के शीर्ष स्थान तक पहुंचा और केंद्र सरकार में दूसरी बार मंत्रीपद मिला।
पिता की आत्मकथा में बेटे का प्रसंग
नारायण लाल नड्डा अपनी पुस्तक ‘विधि की एक रचना- आत्मकथा’ में लिखते हैं, जगत प्रकाश नड्डा की वयोवृद दादी घर में अकेली रह गई थी। ऐसे में परिवार के एक सदस्य का उनके करीब रहना जरूरी था।
तब नारायण लाला नड्डा ने अपने ज्येष्ठ पुत्र को अपनी दादी की सेवा और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए बिहार से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भेज दिया। यहीं छात्र राजनीति से यह सितारा चमकना शुरू हुआ।
शायद Leader Of Himachal Pradesh जगत प्रकाश नड्डा को राजनीति में भेजने के लिए ही परिस्थितियों ने यह ताना – बाना बुना था। आज जगत प्रकाश नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और केंद्र सरकार में हैल्थ मिनिस्टर हैं।
Leader Of Himachal Pradesh नड्डा हैं ट्विन्स
बिहार के साथ जे पी नड्डा का हिमाचल प्रदेश से भी गहरा नाता है। नारायण लाल नड्डा और कृष्णा नड्डा के घर तीन बेटियों शिष्टा, वीणा और मुक्ता के जन्म के बाद पटना मेडिकल कॉलेज अस्प्ताल में 2 दिसंबर 1960 को 25 मिनट के अंतराल में चौथी और पांचवीं संतान के रूप में ट्विन्स बेटों का जन्म हुआ।
नामकरण संस्कार में बड़े बेटे का नाम जगत प्रकाश नड्डा और छोटे का नाम जगत भूषण नड्डा रखा गया। Leader Of Himachal Pradesh जगत प्रकाश नड्डा आज अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर हैं और पार्टी के पहले तीन नेताओं में शामिल हैं।
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