गायिकी : मखमली आवाज, ‘पहाड़ी मस्तानी’ पूनम भारद्वाज
हिमाचल बिजनेस कंटेन्ट
लोक संगीत के संरक्षण में जुटे ‘हिलीवुड ग्रुप’ की प्रबंध निदेशक पूनम भारद्वाज हिमाचल प्रदेश की जानी- पहचानी आवाज है। संगीत में स्नात्कोतर पूनम भारद्वाज पेशे से संगीत अध्यापिका हैं और ‘पहाड़ी मस्तानी’ के नाम गायिकी की दुनिया में अपनी चमक बिखेर रही है।
उनकी गायिकी की आज दुनिया मुरीद है। वर्तमान में प्रदेश के सांस्कृतिक मंचों पर पूनम के गीत सुनने की जबरदस्त डिमांड है।
पूनम भारद्वाज हिमाचली, हिंदी, पंजाबी, गढ़वाली और दक्षिणी भारतीय भाषाओं में गाने में माहिर हैं। हालांकि लोक गायन में उसकी चमक खूब दिख रही है। प्रदेश और प्रदेश के बाहर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जब पूनम लाइव परफ़ोर्म करती हैं तो संगीत प्रेमी थिरकने लगते हैं।
बचपन से गायन का शौक
24 मार्च 1994 को चंबा के हरदासपुरा में पैदा हुई पूनम को बचपन से ही गायिकी का शौक रहा है। पूनम दो भाईयों की इकलौती बहन है। पूनम जब 11 साल की थीं तो उनके सर से पिता का साया उठ गया।
पूनम की माता ने मेहनत -मजदूरी करके बेटी को पढ़ाया- लिखाया। बचपन में घर से गायिकी के लिए कोई सहयोग न मिलने के कारण उनकी यह प्रतिभा दब कर रह गई, लेकिन पूनम को जब भी मौका मिला, गायिकी के हुनर को साबित करने में कोई कोर- कसर नहीं रखी। उन्होंने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कई संगीत समारोहों में भाग लिया है और गायिकी में कई अवार्ड भी अपने नाम किए।
पति ने पहचाना पूनम का हुनर
21 वर्ष की उम्र में पूनम की शादी धर्मशाला के विनोद भारद्वाज से हुई। शादी के बाद पति ने पूनम की गायिकी के हुनर को पहचाना और उसे प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया। प्रोफेशनली पूनम को लॉंच किया गया और जल्द ही पूनम की मखमली आवाज ने लोगों के दिलों पर राज करना शुरू कर दिया।
पूनम कई मंचों से लाइव करने का मौका मिला तो कई गीत स्टुडियो में रिकॉर्ड हुए। यूट्यूब पर पूनम के कई गीत जबरदस्त हिट रहे हैं। पति के सहयोग से छोटे से गांव की लड़की पूनम अब पहाड़ी मस्तानी बन कर गायिकी में चमक रही है।
अलका याग्निक के साथ जुगलबंदी
पूनम के पति विनोद भारद्वाज हिलीवुड ग्रुप के फाउंडर एवं सीईओ हैं और पूनम भारद्वाज हिलीवुड ग्रुप में एमडी हैं। हिलीवुड ग्रुप लोक संगीत के संरक्षण में जुटा है और कई नई प्रतिभाओं को प्लेटफॉर्म प्रदान कर रहा है। पूनम भारद्वाज ने एक पंजाबी फिल्म में अलका याग्निक के साथ भी अपनी गायकी के रंग बिखेरे हैं। आने वाले समय में पूनम भारद्वाज की सुरीली आवाज में कई गीत सुनने को मिलेंगे।
कोविडकाल में लाइव दिखाई चमक
तीन साल पहले जब कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा था तो फेसबुक लाइव के जरिए पूनम ने कई लाइव प्रोग्राम कर अपनी गायिकी से परिचय करवाया था। सोशल मीडिया पर पहाड़ की ताजा हवा के झौंके की तरह उसकी आवाज और अंदाज सुनने वालों के कानों में मिस्री घोल देते थे।
पूनम भारद्वाज को लाइव आने के लिए अब भी काफी प्रस्ताव आते रहते है। पूनम की आवाज जितनी मधुर है, गायिकी का उसका अंदाज भी उतना ही प्यारा है। वह मंच पर धमाल मचाने की कला से भी अछी तरह माहिर है।
सांस्कृतिक मंचों की शान पहाड़ी मस्तानी
बचपन से संगीत साधना करती आ रही पूनम भारद्वाज प्रदेश के सभी बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी गायिकी का जलबा बिखेर चुकी हैं।
चंबा का मिंजर मेला, कुल्लू का दशहरा, मंडी की शिवरात्रि और सुजनपुर व पालमपुर का होली मेला इस गायिका की आवाज का कायल हो चुका है।
पूनम भारद्वाज का कहना है कि अभी तो सफर की शुरुआत हुई है, बहुत कुछ करना बाकी है।पूनम लोक नृत्य में भी माहिर हैं। सुरों की इस देवी को निकट भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
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