पर्यटन : बाप रे, 6 महीनों में 1 करोड़ पर्यटक!

पर्यटन : बाप रे, 6 महीनों में 1 करोड़ पर्यटक!

डॉ. रमेश शर्मा/ हमीरपुर

पर्यटन हिमाचल प्रादेश की आर्थिकी का प्रमुख स्रोत बन कर उभर रहा है। खास कर उस समय जब कि इस प्रदेश की आय के साधन बहुत दबाव में हैं। ऐसे हालात में सरकार हर उस प्रयोग की अनुमति देती है, जहां से पैसा आ सके।

पिछली सरकार ने प्रदेश के जनजातीय इलाके को पर्यटन के लिए खोला था। अटल टनल सहित सड़कों के जाल से ऐसा संभव हो सका और लाखों की संख्या में पर्यटक इन स्थानों तक पहुंच गए।

स्वाभाविक है कि पर्यटन के लिए इतने व्यापक पैमाने पर आधारभूत ढांचा तैयार कर पाना संभव नहीं था। यह जल्दबाजी में बनाई गई नीति थी।

आबादी से तीन गुणा सैलानी

अभी प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार छह महीने में एक करोड़ पर्यटक विभिन्न पर्यटन स्थानों तक पहुंच गए हैं। यानी एक बर्ष में यहां की आबादी से तीन गुना तक अतिरिक्त जन सुविधापूर्ण साधनों के साथ बर्ष भर इस राज्य में रह रहे हैं।

अभी प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार छह महीने में एक करोड़ पर्यटक विभिन्न पर्यटन स्थानों तक पहुंच गए हैं। यानी एक बर्ष में यहां की आबादी से तीन गुना तक अतिरिक्त जन सुविधापूर्ण साधनों के साथ बर्ष भर इस राज्य में रह रहे हैं।

इस परिस्थिति से पहले सरकार द्वारा किसी प्रकार के अध्ययन दल या समिति की अनुशंसा का जिक्र नहीं है। मौसम में आ रहे खतरनाक परिवर्तन हर मौसम में आपदा और मौत के तांडव का कारण बन रहे हैं और इन घातक हालात का जिम्मेदार यदि कोई है तो मानव की जीवन पद्दति और लापरवाही ही है।

हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त

हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त निर्देश दिए हैं, जिन में पर्यटन ही नहीं, बल्कि निर्माण कार्य, सड़क विस्तार, रेलमार्ग, जंगल कटान जैसे सभी पहलु पर रिपोर्ट मांगी गई हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त निर्देश दिए हैं, जिन में पर्यटन ही नहीं, बल्कि निर्माण कार्य, सड़क विस्तार, रेलमार्ग, जंगल कटान जैसे सभी पहलु पर रिपोर्ट मांगी गई

इसी हफ्ते में दो मंचों से सरकार से जबावतलबी की गई है। हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्त निर्देश दिए हैं, जिन में पर्यटन ही नहीं, बल्कि निर्माण कार्य, सड़क विस्तार, रेलमार्ग, जंगल कटान जैसे सभी पहलु पर रिपोर्ट मांगी गई है। यह अत्यंत सामयिक और प्रासंगिक है।

कचरा बैग के बिना प्रवेश वर्जित

पर्यटन को नियमित करने और कुछ क्षेत्र को विशेष अनुमति जोन घोषित करने के बारे में जानकरी मांगी गई है और सभी बिन्दुओं की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। कुछ दिन पूर्व ही बिना कचरा बैग के प्रदेश में प्रवेश वर्जित करने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं।

सड़क, रेल मार्ग, भवन निर्माण कार्य, बांध और बिजली प्रोजेक्ट आदि के लिए भूगर्भीय रिपोर्ट की जांच आवश्यक होनी चाहिए।

ऊटपटांग और कामचलाऊ नीतियां जिम्मेदार

मौसम परिवर्तन की मार से बचाव के लिए जहां सरकारी व्यवस्था की जिम्मेदारी है, तो दूसरी ओर जन साधारण का जागरूक रहना भी अनिवार्य है। अभी तक जो नुकसान हुआ है ,उसके लिए सरकारी तंत्र की ऊटपटांग और कामचलाऊ नीतियां ही जिम्मेदार हैं।

विकास कार्यो के नाम पर विनाश कार्य किए जा रहे हैं। परिणाम सामने है। ऐसा संभव नहीं है कि जो नुकसान हो चुका है, उसे ठीक करने के बाद अब अच्छा जीवन यापन करेंगे।

इन परिस्थितियों के साथ जीने की तैयारी करनी होगी और इनको भयावह बनने से रोकने की प्रतिबद्धता का परिचय देना पड़ेगा।

संकट दर्पण की तरह साफ जानबूझ कर अंजान

आश्चर्य इस बात का है कि योजना से पूर्व आवश्यक कदम उठाए नहीं जाते। पर्याप्त नियम हैं, परिस्थितियों का आभास भी है। आसन्न संकट दर्पण की तरह साफ है, फिर भी जानबूझ कर अंजान बने हुए हैं ।

रुटीन की प्रशासनिक प्रक्रिया के लिए न्यायालय को आदेश पारित करने की नौबत क्यों आनी चाहिए।

हिमालय की विरासत बचाना जरूरी

हिमालय क्षेत्र केवल हिमाचल की विरासत नहीं है। यहां का पर्यावरण बड़े भूभाग के जनजीवन के अस्तित्व को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित करता है। इसलिए यहां के निवासियों का दायित्व और भी अधिक हो जाता है।

यहां की लापरवाही केवल यहीं के लिए नहीं, बल्कि  बहुतों की समस्या बन रही है। इस बात का ध्यान पर्यटकों को भी रखना होगा कि उनका मनोरंजन दूसरों के लिए अभिशाप सिद्ध न हो।

पर्यटन के लिए सीमित और चयनित क्षेत्र

हिमाचल सरकार को सीमित और चयनित क्षेत्र में सुविधाएं देकर पर्यटन स्थल चिन्हित और विकसित करने चाहिए। शेष भाग को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इलाका घोषित करना चाहिए और उसकी सुरक्षा के पर्याप्त उपाय करने चाहिए।

इससे न केवल पर्यावरण परन्तु संस्कृति और लोकपरंपरा भी सुरक्षित रहेगी और कानून व्यवस्था की समस्या कम होगी। इस में पंचायत स्तर पर जनचेतना और जनसहभागिता भी सुनिश्चित करने के नियम बनने चाहिए।

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