London of India Chamba कभी चंबा कहा जाता था भारत में ‘लंदन’, रियासत का खुद का था पावर स्टेशन, 116  साल बाद भी बिजली पैदा कर रहा हेरिटेज भूरी सिंह प्रोजेक्ट

London of India Chamba कभी चंबा कहा जाता था भारत में ‘लंदन’, रियासत का खुद का था पावर स्टेशन, 116  साल बाद भी बिजली पैदा कर रहा हेरिटेज भूरी सिंह प्रोजेक्ट
मनीष वैद/ चंबा 
बेशक वर्तमान में हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला देश के पिछड़े जिलों में शुमार हो, लेकिन चंबा की ऐतिहासिक महिमा निर्विवाद है। कम ही लोग जानते हैं कि पूर्ववर्ती रियासत चंबा को कभी भारत में “लंदन”  (London of India Chamba) के रूप में जाना जाता था, जिसका अपना पावर स्टेशन था। जब भारत के अधिकांश शहरी कस्बों में बिजली नहीं थी, चंबा के लोकप्रिय राजा भूरी सिंह के नाम बनी बिजली परियोजना चंबा शहर की पूरी आबादी को बिजली प्रदान कर रही थी। 116  साल बाद भी यह धरोहर परियोजना अभी भी काम करने की स्थिति में है और प्रतिदिन 6000 यूनिट बिजली पैदा कर रही है।
दूरदर्शी नेतृत्व का कमाल है यह पावर प्रोजेक्ट
भूरी सिंह बिजली परियोजना को 1908 में स्थापित भारत के सबसे पुराने बिजली स्टेशनों में से एक माना जाता है। उस दौर में इस परियोजना के निर्माण से राजा भूरी सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व की कल्पना की जा सकती है। साल नदी पर 450 किलोवाट का यह बिजली घर चंबा के लोगों के लिए एक अनूठा उपहार है। बताया जाता है कि मशीनरी को हेड लोड के माध्यम से साइट पर लाया गया था, क्योंकि उस समय सड़कें या परिवहन वाहन नहीं थे। चंबा पर एक किताब लिखने वाले सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के आर भारती कहते हैं, मशीनें अब भी काम कर रही हैं।
वीरभद्र सिंह ने धरोहर के संरक्षण में निभाई भूमिका
चंबा की दिग्गज कांग्रेस नेत्री आशा कुमारी बताती हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने चंबा के इस हेरिटेज पावर स्टेशन के संरक्षण में ख़ास रुचि ली और बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक संशोधन किए। उस समय स्थापित मशीनें अभी भी सही कार्यशील स्थिति में हैं। हालाँकि, अब हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड ने इस बिजली परियोजना के अपने संचालन और रखरखाव के लिए एक निजी कंपनी को परियोजना सौंप दी थी।
बढाई गई उत्पादन क्षमता
साल 1908 में निर्मित इस विद्युत गृह की टर्बाइनों को वर्ष 1957 में पुनः स्थापित किया गया था और बाद में साल 1985 में परियोजना की क्षमता को 200 किलोवाट से बढ़ाकर 450 किलोवाट करने के लिए एक नई टरबाइन जोड़ी गई थी। साल नदी में अतिरिक्त पानी का उपयोग करने के लिए एक नई परियोजना भी स्थापित की गई थी, लेकिन आकस्मिक बाढ़ के कारण परियोजना बह गई और इसे फिर से चालू नहीं किया जा सका।
11000 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा हिमाचल
हिमाचल में आधा मेगावॉट से शुरू हुआ बिजली उत्पादन का सफर अब 11 हजार मेगावॉट तक पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। चंबा की रावी नदी पर बनीं तीन बिजली परियोजनाओं के जरिये बिजली उत्पादन 2000 मेगावाट को पार कर गया है। मुख्य सचिव आरडी धीमान, जिनके पास बिजली विभाग का प्रभार भी है, कहते हैं, ‘भूरी सिंह बिजली परियोजना चंबा और हिमाचल प्रदेश के लिए एक मील का पत्थर है।
2.75 लाख रुपये खर्च आया
साल 1902 में कर्नाटक के शिवानासमुद्रा में देश का पहला हाइड्रो पावर प्लांट बनाया गया था। वर्ष 1908 में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के तत्कालीन शासक भूरी सिंह ने हाइड्रो पावर हाउस (35 किलोवाट-डीसी) का निर्माण करवाकर चंबा को बिजली की सौगात दी थी। उस वक्त इस हाइड्रो पावर हाउस को बनाने पर 2.75 लाख रुपये खर्च आया था। वर्तमान में भी शतकवीर यह प्रोजेक्ट बिजली पैदा कर रहा है।

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