अटल बोले, ‘मामा की नौकरी चली गई है’
हिमाचल बिजनेस/ कुल्लू
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी बेशक अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन करोड़ों देशवासियों के दिलों में वह हमेशा-हमेशा के लिए याद बन कर जिंदा रहेंगे। उनका पहाड़ से कितना लगाव था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मनाली के छोटे से गांव प्रीणी में अपना घर बनाया और प्रधानमंत्री रहते हुए भी कविताएं रचने यहां की हसीन वादियों में नियमित आते रहे।
अटल ने हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर माना तो अपने घर के लिए खुले हाथों से मदद भी की। सामरिक दृष्टि से अहम जिस अटल टनल रोहतांग जैसी परियोजना का निर्माण उनकी ही सोच का परिणाम था।
आज हिमाचल प्रदेश का नलागढ़- बद्दी- बरोटीवाला क्षेत्र दवा निर्माण में एशिया में टॉप पर है, इसका श्रेय भी अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है।
नेता पर भारी पड़ता कवि
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रीणी में ब्यास नदी के किनारे एक छोटा सा घर बनाया और हर साल गर्मियों के मौसम में यहां आना शुरू किया। यहां आकर उनका कवि राजनीति पर भारी पड़ जाता और कविता सियासत पर भारी पड़ जाती।
चाहे प्रधानमंत्री रहे हों अथवा नहीं, अटल जब भी प्रीणी पहुंचते, लोगों से खूब प्यार से मिलते। कविता का दौर चलता। बच्चों से मिलते तो बच्चे बन जाते और कहते देखो मैं भी मनाली का ही हूं, बाहर का मत समझना।
गांव वाले भी अटल को अपनी पलकों पर बिठाते। वह भी अपने सुरक्षा घेरे को छोड़ स्थानीय बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों से मिलकर विभिन्न विषयों पर चर्चा करते। वह आखिरी बार वर्ष 2006 में प्रीणी आए थे।
इतना तो रख लो, मामा को अच्छा नहीं लगेगा
अटल हर बार जब यहां आते, प्रीणी स्कूल के बच्चों को पार्टी के लिए हर बार अपनी जेब से कुछ पैसे जरूर देते थे। एक बार केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद जब वह यहां आए तो बच्चों से बोले, इस बार बड़ी पार्टी की जगह जलेवी से काम चला लेना। पैसे थोड़े कम मिलेंगे, क्योंकि तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई है। इसलिए जेब तंग है।
बच्चों ने पैसे लेने से इंकार कर दिया और बोले जब नई नौकरी लगेगी तब डबल लेंगे। हालांकि अटल ने यह कहकर उन्हें मना लिया कि इतना तो रख ही लो वर्ना मामा को अच्छा नहीं लगेगा।
दिल खोल कर की मदद
प्रधानमंत्री बनने के बाद वह पहली बार कुल्लू आए। अटल ने ढालपुर में हुई रैली में हिमाचल को प्रदेश को 100 करोड़ की स्पेशल ग्रांट घोषित की। दूसरी रैली शिमला के रिज मैदान पर हुई तो यहां भी 100 करोड़ दे गए। उनकी रैलियों में उनको सुनने भारी भीड़ उमड़ती थी। वे कहते थे, लोग उन्हें सुनने तो आते हैं, पर वोट नहीं डालते।
हिमाचल प्रदेश में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो अथवा भाजपा की, वाजपेयी का स्नेह हर सरकार को मिलता रहा। जब अटल 1999 में पार्वती विद्युत परियोजना का शिलान्यास करने आए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के अनुरोध पर 400 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने का ऐलान किया।
अटल टनल रोहतांग का तोहफा
रोहतांग में सुरंग बनाने में वाजपेयी का अहम योगदान रहा है। करीब 9 किलोमीट लंबी यह सुरंग किसी वरदान से कम नहीं है। यह सुरंग अटल ने अपने एक कबायली दोस्त टशी दावा को तोहफा दिया है।
साल 1942 में बड़ोदरा में आरएसएस के विशेष प्रशिक्षण शिविर में वाजपेयी की मुलाकात लाहौल-स्पीति के ठोलंग गांव के टशी से हुई थी जो अटूट दोस्ती में बदल गई। बाद में जब गर्मी की छुट्टियां बिताने वे मनाली के प्रीणी आने लगे टशी दवा रोहतांग दर्रे को लांघ कर उनसे मिलने पहुंचने लगे।
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