सिख युवक बन ब्रिटेन घूम आई थी रानी कनारी

सिख युवक बन ब्रिटेन घूम आई थी रानी कनारी
कपूरथला की रानी कनारी

हिमाचल बिजनेस/ कांगड़ा

अपनी सनक के लिए राजा- महाराजा अंग्रेजों की आंखों में किस तरह धूल झोंकते थे, सिख युवक बन ब्रिटेन घूम आई कपूरथला की रानी कनारी का प्रसंग इस बात की गवाही देता है।

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इस दौरे के बाद जब ये बात लोगों को पता चली तो हर कोई महाराजा कपूरथला की इस चालाकी पर चकित रह गया। दीवान जरमनी  दास ने अपनी किताब ‘महारानी’ में इस प्रसंग का रोचक जिक्र किया है

ब्रिटिश हुकूमत से नहीं मिली इजाजत

दरअसल, ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय राजा और महाराजाओं को यूरोप जाने के लिए ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी। ब्रिटिश हुकूमत से राजाओं को तो ब्रिटेन जाने की अनुमति मिल जाती थी, लेकिन रानियों को साथ ले जाने की इजाजत नहीं दी जाती थी।

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इस दौरान कपूरथला के राजा जगतजीत सिंह ने यूरोप जाने की योजना बनाई। वह अपनी रानी कनारी को भी साथ ले जाना चाहते थे। महाराजा ने ब्रिटिश अधिकारियों से इसके लिए अनुमति मांगी तो जवाब न के रूप में मिला।

तरकीब आई काम, रानी पहुंच गई यूरोप

महाराजा कपूरथला जगतजीत सिंह अपनी शानो-शौकत के लिए जाने जाते थे। लार्ड कर्जन ने उन्हें विदेश जाने की इजाजत इस शर्त पर दी कि वे अपने साथ कुछ सहायक लेकर यूरोप जा सकते हैं, लेकिन रानी कनारी को साथ ले जाने की अनुमति नहीं है।

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महाराजा अपनी रानी कनरी से बेपनाह प्यार करते थे और किसी भी सूरत में उसे अपने साथ यूरोप दौरे पर ले जाना चाहते थे। जब बार- बार अनुरोध के बावजूद अंग्रेजी शासकों ने इसकी इजाजत नहीं दी तो महाराजा ने ऐसी तरकीब सोची की रानी यूरोप पहुंच गई, वह भी अंग्रेजी हुकूमत को बिना पता चले।

दीवान की युक्ति कर गई काम

उस समय आज की तरह विदेश यात्रा पर जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती थी। कपूरथला की रियासत के तत्कालीन दीवान दौलतराम ने महाराजा को युक्ति बताई कि रानी को मर्दाना वेश में यूरोप ले जाया जाए।

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पहले तो महाराजा को दीवान का यह मशविरा अटपटा लगा, लेकिन फिर वे इस के लिए तैयार हो गए। महाराजा की इसी तरकीब ने अंग्रेज अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक दी।

सीख युवक के रूप में रानी

रानी कनारी को मर्दाना वेश धरने के लिए उनके लिए पुरुषों के अचकन और पायजामा का प्रबंध किया गया और पगड़ी पहनाई गई। रानी को नकली दाढ़ी चिपकाकर पूरी तरह पक्का कर लिया गया कि रानी एक सिख युवक नजर आए। पगड़ी पहना कर रानी कनारी को सिख लडके का रूप दे दिया गया।

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रानी को नौकर के तौर पेश किया गया और वह महाराजा के लाव- लश्कर के साथ बॉम्बे पोर्ट से यूरोप जा रहे जहाज में सवार हो गई।

विदेश में कई कार्यक्रमों में लिया भाग

रानी कनारी ने महाराजा के साथ फ्रांस, इंग्लैंड, मिश्र और अमेरिका का दौरा किया। वे विदेश में कई शाही परिवारों के साथ शाही भोजन में शामिल हुए।

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महाराजा ने  लंदन में डयूक ऑफ यार्क की शादी में भाग लिया, लेकिन वहां वह रानी कनारी को नहीं ले गए। रानी कनारी ने पेरिस में महाराजा के साथ खिंचवाए। यहां अपने एक फोटो में रानी कनारी अपने असली रूप में नजर आई।

लौटी रानी को नहीं पहचान पाए अंग्रेज़

आठ महीने के विदेश दौरे से लौटे महाराजा का बम्बई में भारत के वायसराय के मिलिट्री सेक्रेटरी ने स्वागत किया। इस स्वागत समारोह में भी पुरुष वेशधारी रानी कनारी को कोई पहचान नहीं पाया।

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इस समारोह से पहले पहले ही रानी कनरी बड़ी चतुराई से एक बार फिर सिख युवक का रूप धर कर आसानी से अंग्रेज अफसरों की नजरों से बच कर निकल गई।

जुब्बल के दीवान की बेटी थी कनारी

रानी कनारी शिमला के पास जुब्बल रियासत के दीवान की बेटी थीं। वह अपनी खूबसूरती के लिए बहुत चर्चित थीं। इस रानी को रानी कनारी साहिबा कह कर पुकारा जाता था।

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वह महाराजा जगतजीत सिंह की छह रानियों में एक थी। महाराजा उस रानी से बहुत प्यार करता था।

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