डॉ. कंवर करतार : अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, हिमाचली पहाड़ी में लेखन, हिंदी काव्य संग्रह ‘अभिमुख होकर’ के बाद पहाड़ी कविता संग्रह ‘जे लिखी सकदा ता लिख’ प्रकाशित

डॉ. कंवर करतार : अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, हिमाचली पहाड़ी में लेखन, हिंदी काव्य संग्रह ‘अभिमुख होकर’ के बाद पहाड़ी कविता संग्रह ‘जे लिखी सकदा ता लिख’ प्रकाशित
डॉ. कंवर करतार : अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, हिमाचली पहाड़ी में लेखन, हिंदी काव्य संग्रह ‘अभिमुख होकर’ के बाद पहाड़ी कविता संग्रह ‘जे लिखी सकदा ता लिख’ प्रकाशित
विनोद भावुक/ धर्मशाला
कांगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला से सटे अप्पर बड़ोल स्थित ‘शैल निकेतन’ निवासी डॉ. कंवर करतार ने अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की डिग्री और फिर अगले सैंतीस साल तक अर्थशास्त्र के अध्यापन कार्य में जुटे रहे। बावजूद इसके साहित्य के प्रति उनका लगाव और झुकाव हमेशा बना रहा। हिन्दी सहित उन्होंने हिमाचली पहाड़ी में भी सृजन कर अपनी मातृभाषा के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित किया है।
हिंदी काव्य संग्रह ‘अभिमुख होकर’ के बाद हाल ही में उनका हिमाचली पहाड़ी कविता संग्रह ‘जे लिखी सकदा ता लिख’ प्रकाशित हुआ है, जिसमें 99 काव्य रचनाएं शामिल हैं। 2021 में प्रकाशित उनका पहला हिंदी काव्य संग्रह ‘अभिमुख होकर’ खूब चर्चा में रहा है। अब उनका उनका हिमाचली पहाड़ी काव्य संग्रह ‘जे लिखी सकदा ता लिख’ खूब चर्चा में है।
37 सालों तक अध्यापन, 12 साल एनएसएस का जिम्मा
30 मार्च, 1951 को हमीरपुर के टौणी देवी के खन्देहड़ा गांव में सीता देवी व ठाकुर धनी राम ‘वैद’ के घर पैदा हुए कंवर करतार ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए, एमफिल, बीएड और पीएचडी की डिग्री ली है। डॉ. कंवर करतार ने हिमाचल प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में सैंतीस वर्ष से अधिक समय तक सेवाएं प्रदान की हैं।
इस दौरान उन्होंने विद्यालय, महाविद्यालय और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र धर्मशाला में अध्यापन कार्य किया है। वे महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने लगभग 12 वर्ष तक एनसी.सी. अधिकारी के रूप में भी सेवाएं दी हैं और एम.फिल. व अन्य स्नातकोत्तर विषयों के बीस शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया।
हिन्दी- पहाड़ी में हर विधा में रचनाकर्म
डॉ. कंवर करतार की पहाड़ी हिमाचली व हिंदी में लिखी कविताएं, गजल, गीत, कहानियां बीते कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनकी कई रचनाएं आकाशवाणी से भी प्रसारित हुई हैं। डॉ. प्रत्यूष गुलेरी के सम्पादन में ‘मने दी भड़ास (पहाड़ी हिमाचली), संपादक- गुरमीत वेदी के सम्पादन में ‘खामोशी पिघलती रही’ (हिंदी) और डॉ. प्रत्यूष गुलेरी के सम्पादन में साहित्य अकादमी से प्रकाशित ‘प्रतिनिधि हिमाचली काव्य संकलन’ में डॉ. कंवर करतार की रचनाएं संकलित हैं।
हिन्दी साहित्य साहित्याशिल्पी, साहित्यपीडिया, साहित्यकविसंगम, हिंदीप्र तिलिपि, कविशाला, ओपनबुक्स ऑनलाइन आदि विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफोरम पर उनकी कई रचनाएं प्रकाशित हैं। वे विभिन्न साहित्यिक संगठनों में सक्रिय भागीदारी निभाते आ रहे हैं।
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Jyoti maurya

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