सैनिक पतियों ने पिया शहादत का जाम तो पत्नियों ने संभाली सेना में कमान, व्यक्तिगत दुखों को भूलकर राष्ट्रसेवा के समर्पित दो वीर नारियों की प्रेरककथा

सैनिक पतियों ने पिया शहादत का जाम तो पत्नियों ने संभाली सेना में कमान, व्यक्तिगत दुखों को भूलकर राष्ट्रसेवा के समर्पित दो वीर नारियों की प्रेरककथा
सैनिक पतियों ने पिया शहादत का जाम तो पत्नियों ने संभाली सेना में कमान, व्यक्तिगत दुखों को भूलकर राष्ट्रसेवा के समर्पित दो वीर नारियों की प्रेरककथा
संतोष शर्मा/ धर्मशाला
अपने युवा सैनिक पतियों की शहादत के बाद खुद पर टूटे दुखों के पहाड़ का सामना करते हुए भारतीय सेना में अधिकारी बनकर राष्ट्रसेवा करने वाली निधि दुबे और स्वाति महादिक वीरता, संकल्प और प्रेरणा की अनूठी मिसाल हैं। इन दोनों महिला सैन्य अफसरों की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों न आए, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में युद्ध विधवाओं के लिए केवल एक स्थान आरक्षित होता है, लेकिन पहली बार सेना ने अपवाद स्वरूप निधि दुबे और स्वाति महादिक दोनों को प्रशिक्षण की अनुमति दी। उन दोनों की यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत साहस की कहानी है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे व्यक्तिगत दुखों को पार कर राष्ट्र सेवा का मार्ग अपनाया जा सकता है। उनकी यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत विजय की कहानी है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा की भावना का भी प्रतीक है।
अवसाद से जूझते हुए लेफ्टिनेंट बनी निधि
मध्य प्रदेश की निधि दुबे की शादी नायक मुकेश कुमार दुबे से हुई थी, जो महार रेजिमेंट में सेवारत थे। 2009 में, जब निधि चार महीने की गर्भवती थीं, उनके पति का हृदयाघात से निधन हो गया। उन्हें ससुराल से निकाल दिया गया और वे अपने मायके लौट आईं। अवसाद से जूझते हुए उन्होंने एमबीए की पढ़ाई कर प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी की। जब उन्हें पता चला कि युद्ध विधवाएं भी सेना में अधिकारी बन सकती हैं, तो उन्होंने सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा की तैयारी शुरू की। पांच प्रयासों में असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः सफलता प्राप्त की। साल 2017 में निधि दुबे को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी चेन्नई में प्रशिक्षण के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया।
बच्चों को बोर्डिंग में पढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट बनी स्वाति
महाराष्ट्र की स्वाति महादिक के पति कर्नल संतोष महादिक, 2015 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उनकी शहादत के बाद स्वाति ने पति के सपने को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और सेना में शामिल होने का संकल्प लिया। हांलाकि उनकी उम्र सेना में भर्ती के लिए निर्धारित सीमा से अधिक थी, लेकिन भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने उनके लिए आयु सीमा में छूट दी। उन्होंने अपने दोनों बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में भेजा और फिर सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण की। चेन्नई में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, वे सेना के ऑर्डनेंस कोर में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुईं।
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Jyoti maurya

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