मशोबरा के ‘द रिट्रीट’ के लॉन की शोभा बढ़ा रहे इंग्लैंड से लाए कॉपर बीच के पेड़, शिमला के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ कहे जाने वाले अंग्रेज़ सर एडवर्ड चार्ल्स बक का तोहफा

मशोबरा के ‘द रिट्रीट’ के लॉन की शोभा बढ़ा रहे इंग्लैंड से लाए कॉपर बीच के पेड़, शिमला के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ कहे जाने वाले अंग्रेज़ सर एडवर्ड चार्ल्स बक का तोहफा
विनोद भावुक/ शिमला
शिमला की हरी-भरी पहाड़ियों और शांत वातावरण में स्थित ‘द रिट्रीट’ भवन, आज ‘राष्ट्रपति निवास, मशोबरा’ के नाम से जाना जाता है। इस ऐतिहासिक भवन का गहरा संबंध सर एडवर्ड चार्ल्स बक से है, जिन्हें भारतीय कृषि के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ के रूप में जाना जाता है। 1881 में, सर एडवर्ड चार्ल्स बक ने ‘द रिट्रीट’ का पट्टा लिया और इसे दो-मंजिला भवन के रूप में पुनर्निर्मित किया। उन्होंने हाटू और नारकंडा के जंगलों से लाए गए मेपल, सिल्वर फ़र और हेज़लनट के पेड़ों से इस क्षेत्र को समृद्ध किया। उन्होंने इंग्लैंड से लाए गए दो कॉपर बीच के पेड़ भी लॉन में लगाए।
एडवर्ड चार्ल्स बक ने ‘द रिट्रीट’ को सरकारी बैठकों के लिए एक उपयुक्त स्थान माना। उन्होंने लिखा, कि मशोबरा के जंगलों के सुखद वातावरण में लोग शिमला की व्यस्तता की तुलना में अधिक शांत और अच्छे मूड में होते हैं। ‘द रिट्रीट’ भवन उनकी दृष्टि और समर्पण का प्रतीक है, जो आज भी राष्ट्रपति निवास के रूप में उनकी विरासत को जीवित रखता है।
‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ ऑफ इंडियन एग्रीकल्चर
1838 में पैदा हुए बक ने कैम्ब्रिज के क्लेयर कॉलेज से 1862 में लॉं की डिग्री ली। 1886 में उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ की डिग्री से सम्मानित किया गया और 1898 में वे क्लेयर कॉलेज के मानद फेलो बन गए। ब्रिटिश सिविल सरवेंट बक ने भारतीय सिविल सेवा में कृषि विभाग के निदेशक के रूप में काम किया। बक ने 1880 तक उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के कृषि विभाग में सेवा की और 1882 में राजस्व और कृषि विभाग के सचिव बने। उन्हें भारतीय कृषि का ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ कहा जाता है।
भूमि राजस्व प्रणाली को कुशल बनाने के लिए उन्हें 1886 में नाइट की उपाधि दी गई और 1897 में उन्हें नाइट कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द स्टार ऑफ़ इंडिया बनाया गया। बक 1897 में सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन 1905 में उन्होंने रोम में अंतर्राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में एक भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। 6 जुलाई 1916 को शिमला में उनकी मृत्यु हो गई।
इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ ‘सिमला: पास्ट एंड प्रेज़ेंट’
एडवर्ड चार्ल्स बक उस दौर के मशहूर ब्रिटिश लेखक एवं पत्रकार लॉकवुड किपलिंग और सृजन की दुनिया के अन्य कई लोगों के साथ कला के प्रचार में शामिल रहे। एक लेखक के तौर सर एडवर्ड बक ने अपनी खास पहचान बनाई। उनकी लिखी ‘सिमला: पास्ट एंड प्रेज़ेंट’ पुस्तक शिमला के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
तथ्यों के दस्तावेज़ीकरण के लिए उन्होंने फ़ोटोग्राफ़ी पर भी हाथ आजमाया।
शिकार करना एडवर्ड चार्ल्स बक बड़ा शौक था। वे शिकार करने के लिए एक लोकल शिकारी के साथ भोर से पहले जंगल में घुस जाते थे। हिमालय में उनके शिकार के भी कई किस्से आज भी चटकारे लेकर सुनाए जाते हैं।
‘द रिट्रीट’ जो बन गया राष्ट्रपति निवास
1896 में कोटी रियासत के राजा ने अपने पूर्वाधिकार का उपयोग करते हुए ‘द रिट्रीट’ को फिर से हासिल किया और बाद में इसे स्थायी पट्टे पर सरकार को सौंप दिया। इसके बाद यह भवन वायसराय का ग्रीष्मकालीन निवास बन गया।
आजादी के बाद साल 1965 में राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इसे राष्ट्रपति का आधिकारिक ग्रीष्मकालीन निवास घोषित किया। तब से भारत केराष्ट्रपतियहां गर्मियों में कुछ सप्ताह बिताते हैं।

हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/technology-king-ban-vat-had-destroyed-three-forts-of-china-by-shooting-a-wish-piercing-arrow-from-kangra/