सूरज की रोशनी : 17 साल पहले शिमला में एसएमएस न्यूज ब्रेकिंग सिस्टम के जरिये रखी थी डिजिटल मीडिया की नींव, जालंधर की मीडिया जगत में संधोल के सूरज की चमक

सूरज की रोशनी : 17 साल पहले शिमला में एसएमएस न्यूज ब्रेकिंग सिस्टम के जरिये रखी थी डिजिटल मीडिया की नींव, जालंधर की मीडिया जगत में संधोल के सूरज की चमक
सूरज की रोशनी : 17 साल पहले शिमला में एसएमएस न्यूज ब्रेकिंग सिस्टम के जरिये रखी थी डिजिटल मीडिया की नींव, जालंधर की मीडिया जगत में संधोल के सूरज की चमक
रितिक कुमार/ धर्मशाला
साल 2008 के आखिरी दिनों की बात है, जब सोशल मीडिया जैसी कोई कांसेप्ट नहीं थी, उसी दौर में पत्रकार सूरज ठाकुर ने शिमला में पर्वतांचल मीडिया के बैनर तले एसएमएस न्यूज ब्रेकिंग सिस्टम शुरू कर दिया था। यह हिमाचल प्रदेश का पहला ऐसा मीडिया नेटवर्क था, जो किसी भी घटना/ दुर्घटना की तत्काल प्राथमिक सूचना लोगों को एसएमएस के जरिए प्रदान करता था। समाचार की विस्तृत जानकारी वेबसाइट पर दी जाती थी।
यह सिस्टम ऐसा ही था जैसे कि आजकल फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिंक देना है। उस वक्त मीडिया के ही साथी कहते थे की प्रिंट मीडिया छोड़कर पागलपन कर रहे हो। नई तकनीक पर सूरज ठाकुर को भरोसा था और पूरे मनोयोग के साथ अपने नए प्रयोग में जुटे रहे। तत्कालीन प्रेम कुमार धूमल सरकार ने पर्वतांचल मीडिया के इस नेटवर्क को अस्थाई मान्यता दी थी। क्योंकि तब राज्य में डिजिटल मीडिया के लिए कोई पॉलिसी नहीं थी।
पत्रकारिता में 27 साल का लंबा सफर
सूरज ठाकुर पत्रकारिता में अब तक करीब 27 साल का सफर पूरा कर चुके हैं, जिसमें से 13 साल उन्होंने डिजिटल मीडिया को दिए हैं। वे साल 2018 से पंजाब केसरी जालंधर के साथ कर रहे हैं। शुरू में अखबार के डिजिटल प्लेटफार्म में बतौर पंजाब प्रभारी काम किया। साल 2021 से अखबार के प्रिंट सेक्शन में बतौर वरिष्ठ पत्रकार काम कर रहे हैं। भास्कर डिजिटल मीडिया में काम करने के दौरान वे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर की राजनैतिक और जनसरोकार की रिपोर्टिंग करते रहे हैं।
सूरज ठाकुर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2003 और 2007, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014, और हिमाचल प्रदेश लोकसभा चुनाव 2014, 2019 और 2024 की चुनावी कवरेज कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था जैसे विषयों पर 6 साल पत्रकारिता की है। पंजाब केसरी में बतौर वरिष्ठ पत्रकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों सहित कई विषयों पर काम काम करते हैं। पर्यावरण, ग्रामीण परिवेश और राजनीति उनके पसंदीदा विषय हैं।
चंडीगढ़ से शुरुआत, शिमला में रिपोर्टिंग पर आजमाया हाथ
सूरज ठाकुर का जन्म 9 सितंबर 1971 में मंडी जिला के संधोल के अप्पर घनाला गांव में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है। पिता शिमला में सरकारी नौकरी में थे। साल 1975 में सूरज और उनकी छोटी बहन को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से उनका परिवार शिमला आ गया था। उनकी स्कूली पढ़ाई डीएवी स्कूल लक्कड़ बाजार से हुई है और डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ और बाद में संजौली कॉलेज से ग्रेजुएशन और इग्नू से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
सूरज ठाकुर ने साल 1997 में चंडीगढ़ से निकलने वाले सांध्य दैनिक ‘भारती इंटनैशनल’ साथ पारी की शुरुआत की। 5 जून 1998 को वीर प्रताप के मुख्य कार्यालय जालंधर पहुंच कर स्ट्रिंगर के तौर पर शिमला से रिपोर्टिंग शुरू की। साल 1999 में हिमाचल प्रदेश में अमर उजाला लांच हुआ तो स्ट्रिंगर के तौर पर शिमला से रिपोर्टिंग का अवसर मिला और दो साल बाद पाय रोल पर ले आए।
सफर के कई मील पत्थर
साल 2003 में जब सूरज ठाकुर की शिमला से चंबा ट्रांसफर करने की चर्चा होने लगी तो उन्होंने अमर उजाला छोड़ दैनिक जागरण में बतौर सिटी ब्यूरो इंचार्ज नया सफर शुरू किया। एक समाचार को लेकर संपादक के साथ हुए विवाद के कारण 2006 के अंत में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। साल 2007 में वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानू के नेतृत्व में अजीत समाचार में काम करने का मौका मिला।
सूरज ठाकुर ने साल 2009 और 2010 के बीच जनपक्ष मेल में काम किया और कई कवर स्टोरीज की। इस दौरान ‘हिमाचल हलचल’ के नाम से अपनी वेबसाइट भी चलाई। 2012 में डिजिटल भास्कर चंडीगढ़ के साथ अगस्त 2012 में बतौर डिप्टी न्यूज पारी संभाली, जो 2018 तक चली।
सुक्खू वाली इमारत में गुजारे 20 साल
सूरज ठाकुर 1975 से 1995 तक तक 20 साल शिमला की ब्रॉकहर्स्ट कॉलोनी की उस इमारत में रहे, जिसमें वर्तमान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू रहते थे। उन्हें कालोनी का लीडर कहा जाता था। एक छात्र नेता होने के चलते वे कालोनी का सुरक्षा कवच माने जाते थे। इसी कालोनी में उनके ओएसडी गोपाल शर्मा भी रहते थे।
1990 के दशक में नगर निगम के पार्षद बनने से सुक्खू की लोकप्रियता बढ़ी। उस जमाने में कयास लगाए जाते थे कि वे एक दिन सीएम बनेंगे। सूरज ठाकुर ने सुक्खू के संघर्ष को करीब से देखा है और काफी कुछ सीखा है। वे कहते हैं कि उनके जैसा संघर्ष भी कोई नहीं कर सकता।
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Jyoti maurya

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