संगीत के इस प्रवक्ता ने रचे हैं स्कूली बच्चों के लिए कई गीत और सरस्वती वंदनाएं, विजयी भरत दीक्षित ने संगीत से संवारी हैं कई पहाड़ी कवियों की रचनाएं

संगीत के इस प्रवक्ता ने रचे हैं स्कूली बच्चों के लिए कई गीत और सरस्वती वंदनाएं, विजयी भरत दीक्षित ने संगीत से संवारी हैं कई पहाड़ी कवियों की रचनाएं
संगीत के इस प्रवक्ता ने रचे हैं स्कूली बच्चों के लिए कई गीत और सरस्वती वंदनाएं, विजयी भरत दीक्षित ने संगीत से संवारी हैं कई पहाड़ी कवियों की रचनाएं
ज्योति मौर्या / धर्मशाला
हिमाचल शिक्षा विभाग से संगीत प्रवक्ता के पद से सेवानिवृत्त विजयी भरत दीक्षित ने स्कूली बच्चों के लिए कई गीत और सरस्वती वंदनाएं रचीं है, वहीं कई पहाड़ी कवियों की रचनाएं भी संगीत से संवारी हैं। उन्होंने अपने पिता पंडित भूदेव शर्मा दीक्षित, स्वर्गीय डॉक्टर प्रत्यूष गुलेरी, स्वर्गीय नवीन हलदूनवी, शक्ति चंद राणा, डॉक्टर कुलभूषण व्यास, अशोक चक्रधर, डॉक्टर राकेश मिश्र, डॉक्टर रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, डॉक्टर विजय पुरी और विनोद भावुक की रचनाओं को संगीतबद्ध किया है। शिक्षा विभाग में रहते हुए विजयी भरत दीक्षित ने विद्यालय गीत, सरस्वती वंदनाएं, पर्यावरण संरक्षण गीत और स्वयंसेवी गीत रचे हैं।
उन्होंने स्वच्छता अभियान पर भी गीत लिखे तथा संगीतबद्ध किए हैं। उन्होंने शास्त्रीय संगीत से ओतप्रोत हिमाचली पहाड़ी भाषा में लोरियों का गायन किया है। उन्होंने संस्कृत के कई श्लोकों को भी संगीत से संवारा है। वे इन रचनाओं को संगीतबद्ध कर अपने यूट्यूब चैनल SHIVARAMARPN पर अपलोड कर चुके हैं।
पिता के पदचिन्हों पर बेटा
विजयी भरत दीक्षित के पिता पंडित भूदेव दीक्षित ग्वालियर घराने के पद्मविभूषण स्व. डॉक्टर पं. कृष्णराव शंकर के शिष्यों में एक हैं। वे ग्वालियर घराने की गायकी के हिमाचल प्रदेश में प्रतिनिधि स्तंभ रहे हैं। उन्होंने हिमाचली पहाड़ी भाषा में पहाड़ी अलंकार चंद्रिका रची है। महाकवि बिहारी की बिहारी सतसई का संस्कृत पद्यात्मक अनुवाद आनंदकंद सतसई के रूप में किया है। बचपन से ही विजयी भरत दीक्षित के सृजन पर उनके पिता का बड़ा प्रभाव रहा है।
पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए विजयी भरत दीक्षित ने साहित्य और संगीत दोनों का सृजन किया है। उनकी दो पुस्तकें ‘श्री महाकाल योगशास्त्र रहस्यम्’ तथा ‘भारत भारती’ काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। कई सांझा संग्रहों में भी उनकी कविताओं और कहानियों का प्रकाशन हुआ है। गलसोहे वृंदकवि की वृंद सतसेई का पहाड़ी हिमाचली भाषा में अनुवाद प्रकाशनाधीन है। उन्होंने हिमाचली पहाड़ी लिपि की दिशा में भी काम किया है।
संगीत के संग योग में माहिर
हमीरपुर के सुजानपुर टिहरा में चन्द्रकान्ता शर्मा और संगीत के बड़े विद्वान पंडित भूदेव शर्मा दीक्षित के घर पैदा हुए विजयी भरत दीक्षित ने मैट्रिक तक सुजानपुर टिहरा सरकारी स्कूल से पढ़ने के बाद उन्होंने जम्मू केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ से स्नातक, हिमाचल विश्वविद्यालय से बीएड, प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, प्राचीन कलाकेन्द्र चंडीगढ़ तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है।
विजयी भरत दीक्षित ने संगीत की शिक्षा अपने पिता से ली है। उन्होंने चर्चित योग गुरु रहे धीरेन्द्र ब्रह्मचारी से योग की शिक्षा लेकर हिमाचल प्रदेश में सर्वेक्षक के रूप में कार्य किया है। उन्होंने केन्द्रीय विद्यालय संगठन के तत्वावधान में हमीरपुर, बकलोह कैंट तथा दिल्ली गोल मार्केट में विद्यालयों में संगीत शिक्षक के रूप में कार्य किया है।
नए प्रयोग करने में माहिर
सुजानपुर टीहरा के निवासी विजयी भरत दीक्षित के एक भाई और दो बहने हैं। उनकी पत्नी का अलका शर्मा है। इस दंपति का बेटा विश्वेश दीक्षित मकैनिकल इंजीनियर है और मुम्बई में कार्यरत हैं। नौकरी से सेवानिवृति के बाद वे पूरी तरह से लेखन और संगीत के प्रति समर्पित हैं।
विजयी भरत दीक्षित संगीत और लेखन को लेकर नए प्रयोग करने में अग्रणी हैं। साहित्यिक आयोजनों में बढ़- चढ़ कर भाग लेते हैं। कविता के अलावा कहानी विधा में भी माहिर हैं और उनकी रचनाएं नियमित तौर पर विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हो आ रही हैं।
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Jyoti maurya

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