देवदार: हिमालय का मौन संत

देवदार: हिमालय का मौन संत
देवदार: हिमालय का मौन संत
ज्योति मौर्या / धर्मशाला
हिमाचल की वादियों में जब बादल ज़मीन पर उतरते हैं और हवाएं सन्नाटे में गूंजने लगती हैं, तब एक पेड़ है जो न शोर करता है, न झुकता है — बस खड़ा रहता है, गवाही देता हुआ समय , मौसम , और जीवन की। उस पेड़ का नाम है देवदार। पुरानी मान्यताओं में कहा जाता है कि देवताओं का वास जहाँ होता है, वहाँ देवदार ज़रूर होता है। शायद इसलिए जब भी किसी पहाड़ी मंदिर में जाओ तो उसके चारों ओर देवदार के घने वृक्ष को देखो तो ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति सच में वहीं मौजूद है।
देवदार सिर्फ एक पेड़ नहीं, वो हिमालय का प्रहरी है। उसकी ऊँचाई, उसकी जड़ें, उसका मौन — सब कुछ जीवन के गहरे सबक सिखाता है। जरा सोच कर देखो कि इस पेड़ ने कितनी आंधियां सही होंगी, कितनी बरफ़बारी झेली होगी, कितने ही पंछियों को अपना आश्रय दिया होगा — लेकिन कभी कोई शिकायत नहीं, कोई थकान नहीं।
देवदार की लकड़ी: ताकत और भरोसे की निशानी
देवदार की लकड़ी को हिमाचल में “चिर” कहा जाता है। यह लकड़ी हल्की होने के बावजूद बेहद मजबूत होती है, और इसमें एक ऐसी सुगंध होती है जो बरसों
तक घर में बसी रहती है। पुराने समय में हमारे गांवों के घर, मंदिर, चौपालें — सब देवदार की लकड़ी से बनते थे। इसकी सुगंध से कीड़े-मकोड़े दूर रहते हैं और लकड़ी टिकाऊ रहती है। आज भी जब किसी पुराने लकड़ी के मंदिर में प्रवेश करती हूं, तो उस भीनी सी खुशबू में एक गहराई महसूस होती है — मानो उस पेड़ की आत्मा अब भी वहां सांस ले रही हो।
औषधीय गुण: प्रकृति की चुपचाप दी हुई दवा
देवदार सिर्फ सुंदर नहीं, उपयोगी भी है। इसकी छाल और तेल आयुर्वेद में दवा के रूप में इस्तेमाल होते हैं। त्वचा रोग, जोड़ो का दर्द, सूजन, सिरदर्द — इन सबमें देवदार से निकला तेल आराम देता है। कुछ लोग इसे गर्म पानी में डालकर भाप लेते हैं, जिससे सांस संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
पहाड़ों की महिलाएं, जिनमें मेरी दादी भी शामिल थीं, अक्सर कहती थीं — “देवदार की लकड़ी और तेल दोनों घर में हों, तो डॉक्टर की जरूरत कम पड़ती है।”
आध्यात्मिकता और सादगी का प्रतीक
देवदार को देखो तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने योग मुद्रा में खड़े साधु को पेड़ बना दिया हो। न कोई लालच, न दिखावा — बस मौन और समर्पण। वो पेड़ सिखाता है कि ऊँचाई मायने रखती है, लेकिन उसे पाने के लिए जड़ें भी उतनी ही गहरी होनी चाहिए।
जब कभी जीवन में थकावट महसूस होती है, मैं चाहती हूं कि किसी देवदार की छांव में बैठ जाऊं। उसका साया मेरे मन को शांति देता है, उसकी ऊँचाई मुझे फिर से हौसला देती है, और उसकी चुप्पी मुझे खुद से जुड़ने का समय देती है।
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Jyoti maurya

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