कांगड़ा पहुंचने वाले पहले यूरोपीय यात्री थॉमस कोरियट, डायरी में दर्ज किया अपनी यात्रा के विवरण

कांगड़ा पहुंचने वाले पहले यूरोपीय यात्री थॉमस कोरियट, डायरी में दर्ज किया अपनी यात्रा के विवरण
विनोद भावुक/ धर्मशाला
चार सदी पहले वर्ष 1616 में अंग्रेज़ यात्री और लेखक थॉमस कोरियट कांगड़ा तक पहुंचने वाले पहले यूरोपीय यात्री थे। उन्होंने कांगड़ा तक का अपना सफर अपनी डायरी और पत्रों में सजीव रूप से दर्ज किया। सितम्बर 1616 में थॉमस कोरियट ने कांगड़ा और हरिद्वार की यात्रा कर स्थानीय जीवन,संस्कृति और भूगोल को समझने का ईमानदार प्रयास किया। थॉमस कोरियट ने उत्साही और साहसपूर्ण दृष्टिकोण के साथ कांगड़ा तक पैदल यात्रा की। उनके विवरणों में स्थानीय संस्कृति, शासन व्यवस्था और रास्तों का सजीव वर्णन किया। उनके विवरण पुरातात्विक और ऐतिहासिक अनुसंधानों के लिए अनमोल हैं।
उनके दस्तावेज़ स्थानीय स्थापत्य शिल्प, धार्मिक आस्था और सामाजिक व्यवस्था की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। कोरियट के लेखन से हमें उस काल के कांगड़ा क्षेत्र के प्रथम यूरोपीय दृष्टिकोण का पता चलता है। उनकी उपस्थिति ने बाद ही कांगड़ा की अध्ययन यात्राओं के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ।

पैदल यात्रा करने वाले यूरोपियन
1577 में इंग्लैंड के समरसेट प्रांत के क्रूकेर्न गांव में जन्मे कोरियट ने विनचेस्टर कॉलेज और ग्लूसेस्टर हॉल ऑक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1608 में यूरोप की पैदल यात्रा पूरी की, जिसके अनुभव उन्होंने 1611 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘Coryat’s Crudities’ में दर्ज किए।
यात्रा लेखकों के लिए प्रेरक
मशहूर यात्रा लेखक विलियम डेलरिम्पल ने 1989 में अपनी पुस्तक ‘In Xanadu’ में कोरियट को अपनी यात्रा-लेखन के प्रेरकों में एक माना है। टिम मूर ने उनकी यूरोप यात्रा को 2000 में प्रकाशित अपनी पुस्तक Continental Drifter’ में पुनर्जीवित किया है। लोनली प्लैनेट के संस्थापक टोनी व्हीलर ने भी कोरियट की यात्रा की चर्चा की है।
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