हुनर बोलता है : बैजनाथ के फटाहर गांव की रीता पुरहान ने चमक दिखाई, अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को हिन्दी पढ़ाई

हुनर बोलता है : बैजनाथ के फटाहर गांव की रीता पुरहान ने चमक दिखाई, अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को हिन्दी पढ़ाई
हुनर बोलता है : बैजनाथ के फटाहर गांव की रीता पुरहान ने चमक दिखाई, अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को हिन्दी पढ़ाई
ज्योति मौर्या / बैजनाथ
धौलाधार की गोद में बसा कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल का फटाहर गांव न जाने कितने ख्वाबों की परवरिश करता है। इस गांव की मिट्टी से निकलकर जब कोई ख्वाब अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी तक पहुंच जाए, तो वह सिर्फ एक कहानी नहीं रह जाती, वह प्रेरणा बन जाती है। यह प्रेरककथा है फटाहर गांव की रीता पुरहान की, जिसने अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ा, लेकिन अपनी उड़ान से देश-दुनिया को हैरान कर दिया। यह सिर्फ एक लड़की की सफलता की ही कहानी नहीं है, यह पहाड़ की मिट्टी से निकली संस्कृति की संगीतमय गूंज है, जो विश्वमंचों तक गूंज रही है।
साल 2014 में रीता पुरहान के जीवन में एक बड़ा मोड़ आया। फुलब्राइट स्कॉलरशिप के तहत रीता को येल यूनिवर्सिटी (अमेरिका) में हिंदी पढ़ाने का मौका मिला। येल जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ाना और वहां के स्टूडेंट्स को हिंदी सिखाना उसके जीवन का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया। अमेरिका से लौट कर चंडीगढ़ में नौकरी की, फिर कोविडकाल में यूजीसी नेट की परीक्षा पास कर एक यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, बठिंडा में पीएचडी में दाखिला लिया। और अब पूरी तरह से शोध को समर्पित हैं।
सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ कर पाई कामयाबी
रीता पुरहान की शिक्षा पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश के सरकारी शिक्षण संस्थानों से हुई। फटाहर के स्कूल से शुरू हुआ सफर बैजनाथ कॉलेज तक पहुंचा, फिर धर्मशाला से बीएड और रीजनल सेंटर धर्मशाला से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने खुद को सिर्फ सिलेबस की किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि अपनी मखमली आवाज से लोकगायन में ऊंची उड़ान भारी। खेत-खलिहान, स्कूल, रेडियो स्टेशन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में संगीत हर मोड़ पर उनका साथी रहा।
रीता पुरहान का लोकसंगीत से लगाव बचपन में रेडियो से शुरू हुआ। स्कूल और कॉलेज में मंच से छोटी प्रस्तुतियां देने वाली इस लोक गायिका ने बीएड की पढ़ाई के दौरान इंटर कॉलेज सिंगिंग में पहला पुरस्कार अपने नाम कर लिया। फिर ऑल इंडिया रेडियो धर्मशाला में बी-ग्रेड आर्टिस्ट के रूप में मान्यता मिली।
गद्दी लोक संगीत को पहुंछाया सात समंदर पार
रीता पुरहान सिर्फ एक लोक गायिका ही नहीं है। वह गद्दी लोकसंस्कृति की वाहक भी हैं। गद्दी लोकगीतों को उन्होंने न सिर्फ गाया, बल्कि मंचों से उनका महत्व भी बताया है। देश- विदेश में न्यूयॉर्क, दिल्ली, कुरुक्षेत्र, मसूरी जहां भी अवसर मिला, रीता ने गद्दी संगीत को सहेजने का काम किया है। चंडीगढ़ में रहते हुए रीता ने ऑल गर्ल्स बैंड बनाया, जिसने सूरजकुंड मेला, गीता महोत्सव और टैगोर थिएटर जैसे बड़े मंचों पर परफ़ोर्म किया।
रीता पुरहान के गीतों में भावनाओं की गहराई होती है। हाल ही में उन्होंने अपनी मां पर लिखा और संगीतबद्ध किया एक गीत यूट्यूब पर रिलीज़ किया है। उनके गाये ‘मिट्ठी- मिट्ठी गल्लां’, ‘मेरी जोड़ी’ जैसे गीतों को श्रोताओं ने खूब सराहा है। अब तक वे 30 गीत रिकॉर्ड कर चुकी हैं, जिनमें हिमाचली और गद्दी संस्कृति की खुशबू बसती है। रीता का सपना है कि हिमाचली लोकसंगीत, विशेषकर गद्दी फोक को संरक्षित कर नई पीढ़ी तक इसकी पहुंच बनाई जाए। वे चाहती हैं कि उनके लिखे और कंपोज किए गीत पेशेवर स्तर पर रिकॉर्ड हों।
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Jyoti maurya

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