हुनर की उड़ान : लोक कारीगरी को ग्लोबल रैम्प पर ले जाने का सपना सजाया, डिज़ाइनर तनिष्वी ठाकुर ने ‘लुआंचड़ी’ को लंदन तक पहुंचाया

फैशन सिर्फ ट्रेंड नहीं, यह हमारी पहचान, परंपरा और विरासत का प्रतिबिंब है, इस सोच को साकार कर रही हैं युवा फैशन डिज़ाइनर, शिक्षिका और उद्यमी तनिष्वी ठाकुर।
पहाड़ की इस युवती के
हुनर का सफर एक छोटे से पहाड़ी गांव से शुरू होकर इंटरनेशनल मंचों तक पहुंचा है। इस साल मार्च में
लंदन कॉलेज ऑफ फैशन के इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आईएफएफटीआई 2025 में तनिष्वी ठाकुर ‘गद्दी’ जनजाति की दुल्हन के पहरावे ‘लुआंचड़ी’ पर अपने शोधपरक कार्य को पेशकर ग्लोबल फैशन जगत की सुर्खियों में रही।

साल 2021 में तनिष्वी ठाकुर ने
हिमाचल प्रदेश की लुप्तप्राय हस्तकला को संरक्षित कर उसे आधुनिक बाज़ार में पहचान दिलाना। ‘Himboosha’ नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। वर्तमान में यह वेंचर कारीगरों को ट्रेनिंग देने, डिजाइन इनोवेशन करने और उत्पादों की ब्रांडिंग तक के काम में लगा है। तनिष्वी ठाकुर पूणे के ‘अश्रया फाउंडेशन’ के साथ
चंबा की हस्तकला को ऊंची उड़ान देने के लिए भी काम कर रही है।
इन्वेस्ट इंडिया इवेंट्स में सहभागिता
तनिष्वी ठाकुर ने इसी साल निफ़्ट
कांगड़ा की ओर से आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इंडियन हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स तथा हैंडलूम वर्कशॉप में भी भाग लिया। वे
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आयोजित इन्वेस्ट इंडिया इवेंट्स में सहभागिता निभा चुकी है। वे निफ्ट
कांगड़ा में फैकल्टी इंटरव्यू पैनलिस्ट और द डिजायनर क्लास में फैशन करिकुलम डिज़ाइन की सलाहकार हैं। वे कर्णावती यूनिवर्सिटी,
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अंब में फैशन डिज़ाइन की शिक्षिका रही हैं।

तनिष्वी ठाकुर Himboosha के बैनर तले उन्होंने दर्जनों कारीगरों को नई डिज़ाइनिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया है और पहाड़ी कारीगरी को ग्लोबल मंच पर ले जाने की दिशा में प्रयासरत है। वे फैशन इलस्ट्रेशन, ड्रेपिंग, नैचुरल डाइंग और क्रोशिया जैसी पारंपरिक तकनीकों को मॉडर्न लुक देने में जुटी हैं। वे
हिमाचल की लोक कला को फैशन की मुख्यधारा में शामिल करने में जुटी हैं।
शिल्पकारों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रमाणित ट्रेनर
9 अगस्त 1998 को जन्मी तनिष्वी ठाकुर,
हिमाचल प्रदेश बिजली विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता और चर्चित लोकगायक रमेल सिंह तथा शिक्षिका वंदना ठाकुर की बेटी हैं। उसके बड़े भाई तनिश ठाकुर भारतीय नौसेना में पायलट हैं। बचपन में लोक संस्कृति के माहौल में पली-बढ़ी तनिष्वी को अपनी दादी काया देवी से पारंपरिक कढ़ाई, बुनाई और एम्ब्रॉयडरी विरासत के रूप में मिले हैं।

तनिष्वी ठाकुर की प्राथमिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय बकलोह (चंबा) से, माध्यमिक शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल,
सिद्धपुर (कांगड़ा) और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा डीएवी स्कूल, शिमला से हुई। 2016– 2020 निफ्ट, कांगड़ा से फैशन डिज़ाइन में स्नातक की डिग्री ली और 2021–2023 में निफ्ट,
मुंबई से फैशन प्रबंधन में परास्नातक की डिग्री की है। तनिष्वी ठाकुर ने 2022 में यूजीसी- नेट की परीक्षा भी पास की है। ग्रामीण शिल्पकारों को प्रशिक्षण देने की योग्यता के लिए वह नेशनल स्किल डवलपमेंट कॉर्पोरेशन से प्रमाणित ट्रेनर हैं।
परंपरा से प्रेरित, भविष्य की ओर अग्रसर
चाहे वह हैंडलूम हो या नैचुरल डाइंग, तनिष्वी ठाकुर के डिज़ाइनों में
हिमाचल की समृद्ध संस्कृति की झलक और आधुनिक सोच का मेल दिखाई देता है। उसने फैशन को ‘ग्लैमर’ के बजाय ‘ग्लोरी’ से जोड़ा है।
हिमाचल प्रदेश के फैशन की जिस परंपरा की महिमा सदियों पुरानी है, उसे वे नए दौर के लिए शोकेस करने के मिशन में जुटी है।

वर्तमान में तनिष्वी ठाकुर का परिवार
कांगड़ा जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के घनोटू गांव में बस गया है। यहीं से वह अपना वेंचर चला रही हैं। वे पूणे के ‘अश्रया फाउंडेशन’ के साथ
चंबा के हस्तशिल्प को ग्लोबल बाज़ार में पहुंचाने की परियोजना का हिस्सा है, जिसके चलते चंबा और पूणे उसकी कर्मभूमि बन गए है।
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