कला की दुनिया : फ्रेजर के रंगों में 200 साल पुराना शिमला बेमिसाल, ब्रिटिशकालीन नवजात बस्ती की लंदन कर रहा संभाल

कला की दुनिया : फ्रेजर के रंगों में 200 साल पुराना शिमला बेमिसाल, ब्रिटिशकालीन  नवजात बस्ती की लंदन कर रहा संभाल
कला की दुनिया : फ्रेजर के रंगों में 200 साल पुराना शिमला बेमिसाल, ब्रिटिशकालीन नवजात बस्ती की लंदन कर रहा संभाल
विनोद भावुक/ शिमला
दो सौ साल पहले शिमला अभी ब्रिटिश अफसरों के बीच लोकप्रिय होना शुरू ही हुआ था। इसी दौरान स्कॉटिश यात्रा लेखक और चित्रकार जेम्स बैली फ्रेजर शिमला पहुंचे और 1830 के दशक की शुरुआत तक उन्होंने शिमला, कसौली, मशोबरा, रामपुर और जाखू जैसे क्षेत्रों की कुदरती खूबसूरती को अपनी जलरंग शैली में कैनवास पर उतार दिया। जेम्स बैली फ्रेजर ब्रिटिश शिमला के पहले चित्रकारों में थे, जिनके रंगों से ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला का सौंदर्य सात समंदर पार तक पहुंचा।
शिमला शहर की शुरुआती छवियों को दुनिया के सामने लाने में जेम्स बैली फ्रेजर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके बनाए चित्र आज भी 19वीं सदी के पहले भाग में पश्चिमी हिमालयकी शांति और सौंदर्य को दर्शाते हैं। उनकी पेंटिंग्स में बर्फ से ढके पहाड़, चीड़ व देवदार के जंगल, स्थानीय पहाड़ी स्थापत्य, और ब्रिटिश अधिकारियों के बंगले देखे जा सकते हैं। उनकी पेंटिंग्स में पहाड़ के लोक जीवन, सैनिक चौकियों और मिशनरियों को भी जगह मिली है।
‘लालजी’ से सीखे चित्रकारी के गुर
साल 1815 में जेम्स बैली फ्रेजर अपने भाई विलियम फ्रेजर से मिलने दिल्ली आए। तब उन्होंने नेपाल युद्ध से लौटे सैनिकों और राजनीतिक एजेंटों के ज़रिये पहली बार हिमालय की महिमा सुनी। इसके बाद उनका रुझान उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों की ओर हुआ। उन्होंने यमुना और गंगा के स्रोत की खोज में लंबी यात्राएं कीं। इन्हीं यात्राओं के दौरान वे शिमला और आस-पास के क्षेत्र तक पहुंचे, जो उन दिनों एक शांत पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्र था।
जेम्स बैली फ्रेजर की यात्रा के दौरान उनके भाई ने स्थानीय चित्रकार ‘लालजी’ को नियुक्त किया था।
फ्रेजर को चित्रकाला में प्रवीण करने ‘लालजी’ की भूमिका खास रही। जेम्स ने चित्रकला की बारीकियां सीखने के लिए उस दौर के नामचीन चित्रकारों विलियम हैवेल और जॉर्ज चिन्नरी से भी प्रशिक्षण लिया।
भारत- इंग्लैंड के म्यूज़ियमों में पेंटिंग्स
जेम्स बैली फ्रेजर की बनाई पेंटिंग्स ब्रिटिश संग्रहालय, विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम और भारत सरकार के संग्रहालयों में संरक्षित हैं। उनकी शिमला पर बनाई पेंटिंग्स न केवल सौंदर्यशास्त्र के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इतिहास लेखन और शहरी विकास के अध्ययन में भी उनकी गूंज सुनाई देती है।
उनके चित्रण में तत्कालीन ब्रिटिश स्थापत्य के विकास, प्रकृति के साथ उनके संबंध और स्थानीय समुदायों की छवियों को दर्ज करता हैं। उनका कार्य शिमला के सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय इतिहास को समझने की कुंजी है।
शिमला की पेंटिंग्स का नहीं कोई तोड़
जेम्स बैली फ्रेजर ने फारस और काला सागर क्षेत्र तक यात्राएं कीं और उन स्थानों को भी रंगों में ढाला, लेकिन हिमालय और शिमला की उनकी चित्रमाला उनके कलाकर्म को अद्वितीय बनाती है। जेम्स बैली फ्रेजर के चित्र हमें शिमला की उस प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थिति में ले जाते हैं, जब यह एक नवजात बस्ती थी। उनकी पेंटिंग्स शिमला के तत्कालीन स्वरूप को समझने का एकमात्र विश्वसनीय माध्यम हैं।
जेम्स बैली फ्रेजर ने 23 जनवरी 1856 को स्कॉटलैंड के रीलिग में अंतिम सांस ली। उनकी कोई संतान नहीं थी, लेकिन हिमालयी चित्रों की अमूल्य विरासत अपने पीछे छोड़ गए।
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Jyoti maurya

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