गांव से ग्लोबल : पिता दिल्ली में लगाते थे ब्लेड्स को धार, बेटे ने टाहलीवाल में ब्लेड्स बनाकर कारोबार पहुंचाया समंदर पार, हमीरपुर के सुरेश शर्मा की प्रेरककथा

गांव से ग्लोबल : पिता दिल्ली में लगाते थे ब्लेड्स को धार, बेटे ने टाहलीवाल में ब्लेड्स बनाकर कारोबार पहुंचाया समंदर पार, हमीरपुर के सुरेश शर्मा की प्रेरककथा
विनोद भावुक/ ऊना
हमीरपुर के धरनासी गांव के सुरेश शर्मा ऊना जिला के बाथु-बाथड़ी इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित मैजिक ब्लेड्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। यह कंपनी 1982 से इंडस्ट्रियल ब्लेड्स का निर्माण, निर्यात, ब्लेड रिशार्पनिंग और ग्राइंडिंग मशीन तक की विविध सेवाएं देती आ रही है। पिछले 13 साल से कंपनी बाथु -बाथड़ी इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित अपनी यूनिट में प्रॉडक्शन कर रही है। 100 कर्मचारियों वाली यह यह कंपनी 25 करोड़ वार्षिक कारोबार कर रही है।
मैजिक ब्लेड्स डीलर नेटवर्क के जरिये पैन इंडिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों को इंडस्ट्रियल ब्लेड्स निर्यात करती है। गांव से ग्लोबल होने की इस प्रेरककथा के नायक सुरेश शर्मा ने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। उनके पिता कभी दिल्ली में ब्लेड्स को धार लगाने का काम करते थे। बेटे ने पिता के ही कारोबार को नई धार देकर कारोबार को सात समंदर पार पहुंचा दिया। सुरेश शर्मा मार्कज़ोन इंडस्ट्रियल एरिया बाथु –बाथड़ी के अध्यक्ष हैं।
थोड़ी पूंजी के साथ शुरू किया काम
हमीरपुर के धरनासी गाँव में जन्मे सुरेश शर्मा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही स्कूल में की। जब वे महज 7–8 वर्ष के थे, परिवार के साथ वे दिल्ली चले गए, जहाँ उनके पिता इंडस्ट्रियल ब्लेड्स की रिशार्पनिंग का काम करते थे। पढ़ाई के साथ सुरेश शर्मा अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद सुरेश शर्मा ने पिता के ही कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया। छोटी पूंजी से साथ अपने कारोबार की शुरुआत करने वाले सुरेश शर्मा ने दिन रात मेहनत की और धैर्य के साथ धीरे- धीरे अपने कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
जड़ों की ओर वापसी
सुरेश शर्मा ने पुरानी दिल्ली के पहाड़गंज में एक छोटी दुकान से चार–पांच कर्मचारियों के साथ ब्लेड निर्माण शुरू किया। दिल्ली में ही उन्होंने अपने कारोबार को कई स्थानों पर बदला। साल 2002 तक उनकी कार्यशाला, ऑफिस और गोदाम फरीदाबाद में स्थापित हो गए।
2013 में दिल्ली और फरीदाबाद में जगह की कमी कम पूंजी के चलते सुरेश शर्मा ने अपनी जन्मभूमि हमीरपुर से सटे ऊना जिले के टाहलीवाल इंडस्ट्रियल एरिया में, एक फैक्ट्री शुरू करने का साहसिक फैसला लिया। शुरुआत में 20–25 कर्मचारियों के साथ काम शुरू किया।
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