शिमला के पहाड़ों, फूलों और जंगलों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कलात्मक नज़ाकत से कैनवास पर उकेरने वाली जर्मन चित्रकार लेडी कैथरीना ब्रैंडिस

शिमला के पहाड़ों, फूलों और जंगलों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कलात्मक नज़ाकत से कैनवास पर उकेरने वाली जर्मन चित्रकार लेडी कैथरीना ब्रैंडिस
विनोद भावुक/ शिमला
19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब शिमला ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना, तब इस हिल स्टेशन के प्रति अंग्रेज़ शासक तो आकर्षित हुए ही, कुछ संवेदनशील कलाकारों को भी शिमला की हसीन वादियों ने अपने सम्मोहन में बांध लिया। जर्मन मूल की चित्रकार लेडी कैथरीना ब्रैंडिस ऐसे ही कलाकारों में एक थीं, जिन्होंने हिमालय की वनस्पति को अपने जलरंग चित्रों में अमर कर दिया।
कैथरीना ने शिमला, कांगड़ा, देहरादून और लाहौल-सिंध क्षेत्रों की यात्राएं कीं और वहां की पारिस्थितिक सुंदरता, पहाड़ी फूलों, देवदार-चीड़ के जंगलों और घाटियों को जलरंग में कैद किया। उनके बनाए चित्र वैज्ञानिक सटीकता और सौंदर्य-बोध का अद्भुत संगम हैं, जो वनस्पति विज्ञान और कला दोनों के लिए दुर्लभ धरोहर माने जाते हैं।
ट्यूटरों ने घर पर पढ़ाया, फिर ड्राइंग सीखी
18 जून 1841 को जर्मनी के ग्रिफ़्सवाल्ड में जन्मी कैथरीना बॉन विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र प्रोफेसर फ्रेडरिक रुडोल्फ हैस की पुत्री थीं। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआती शिक्षा निजी ट्यूटरों से ली और क्रिश्चियन होहे से ड्राइंग सीखी।
दुखों के बीच कुदरत में शांति की खोज
शिमला में कैथरीना की बेटी सेसिलिया का जन्म हुआ, जिसकी 1873 में से मृत्यु हो गई। उनकी दूसरी बेटी मारिया की मृत्यु समुद्री यात्रा के दौरान हुई। उनके छह बच्चे हुए, जिनमें से केवल एक बेटा बर्नहार्ड फ्रेडरिक ही जीवित रहा। इन व्यक्तिगत दुखों के बीच कैथरीना ने कुदरत में शांति खोजी और अपनी चित्रकारी को जीवन का सार बनाया।
1883 में पति के सेवानिवृत्त होने के बाद दंपति बॉन लौट गए। वे कुछ समय केव वोटेनिक गार्डन लंदन में भी रहे। 14 नवम्बर 1928 को बॉन में उनकी मौत हो गई। उन्हें बॉन के ऐतिहासिक कब्रिस्तान में उनके पति के पास दफनाया गया।
बॉन सिटी म्यूज़ियम प्रदर्शनी, जीवनी प्रकाशित
उनके जीवन की कहानी शिमला के उस ब्रिटिश दौर का एक मानवीय और सांस्कृतिक दस्तावेज़ है, जो आज भी प्रकृति प्रेमियों और इतिहासकारों को प्रेरित करता है। 2010–11 में बॉन सिटी म्यूज़ियम में उनकी पेंटिंग्स की एक भव्य प्रदर्शनी आयोजित हुई। उनके पोते हेनिंग ब्रैंडिस की पत्नी उर्सुला ब्रैंडिस ने उनकी जीवनी लिखी और प्रकाशित कारवाई है।
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