पेंटिंग को ही गुरु जी का असली रूप मान लेते हैं लोग, श्री गुरु नानक देव जी की 500वीं प्रकाश जयंती पर सरदार सोभा सिंह की तूलिका से बनी अमर कृति

पेंटिंग को ही गुरु जी का असली रूप मान लेते हैं लोग, श्री गुरु नानक देव जी की 500वीं प्रकाश जयंती पर सरदार सोभा सिंह की तूलिका से बनी अमर कृति
विनोद भावुक/ पालमपुर
सिखों के पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी की 500वीं प्रकाश जयंती के उपलक्ष्य में 1969 में महान चित्रकार सरदार शोभा सिंह ने उनकी जो पेंटिंग बनाई, वह आज भी श्रद्धा और प्रमाणिकता की दृष्टि से सर्वोपरि मानी जाती है। दशकों से करोड़ों लोग इस चित्र को ही गुरु जी का असली रूप मानकर पूजते आ रहे हैं। संत कलाकार ने अपने श्रम, शोध और आस्था से केवल चित्र नहीं, बल्कि युगों तक चलने वाली प्रेरणा गढ़ दी है।
गुरुजी की हस्तरेखा और भावों का गहन अध्ययन
इस पेंटिंग की सादगी और शांति से भरी छवि लोगों के मन को छूती है। शोभा सिंह ने श्री गुरु नानक देव जी की इस छवि को रचने से पहले ऐतिहासिक पुस्तकों, गुरु परंपरा, हस्तरेखा विज्ञान और अनेक विद्वानों की राय का गहन अध्ययन किया। अमृतसर स्थित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने भी उनकी इस पेंटिंग को प्रमाणिकता दी।
गुरुओं के जीवन की गहराई में उतरते कलाकार
कांगड़ा जिले के अंद्रेटा में 39 वर्षों तक शोभा सिंह ने सैकड़ों पेंटिंग बनाई, लेकिन उनके चित्रकर्म का मुख्य केंद्र बिंदु सिख गुरु, उनका जीवन और दर्शन रहा। उन्होंने गुरु नानक देव जी के अलावा गुरु गोबिंद सिंह, गुरु तेग बहादुर और गुरु अर्जुन देव के भी प्रभावशाली चित्र बनाए, जिनसे प्रेरणा और भक्ति झलकती है।
प्रेरणा देने वाली कलाकृतियां
शोभा सिंह कहा करते थे,’ मैंने लोगों को प्रेरित करने के लिए गुरुजनों को चित्रित किया है।‘ उनके चित्रों में भक्तिभाव, शांति, वैचारिक गहराई और गुरु परंपरा की गरिमा स्पष्ट दिखती है। यह चित्र केवल कला नहीं, बल्कि आस्था का स्वरूप बन गए हैं।
चित्रों से बनी पहचान
आज भी जब लोग गुरु नानक देव जी की तस्वीर खोजते हैं, तो शोभा सिंह की बनाई पेंटिंग ही उन्हें गुरु जी का ‘असली’ चेहरा लगती है। यही वजह है कि आधिकारिक आयोजनों, गुरुद्वारों और धार्मिक साहित्य में इसी चित्र का सबसे अधिक उपयोग होता है।
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