डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा – 2 जॉर्ज कार्नैक बार्न्स : रेगुलर सेटलमेंट’ से भू-राजस्व प्रणाली में सुधार, कांगड़ा बना आदर्श ब्रिटिश प्रशासनिक मॉडल का आधार

डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा – 2 जॉर्ज कार्नैक बार्न्स : रेगुलर सेटलमेंट’ से भू-राजस्व प्रणाली में सुधार, कांगड़ा बना आदर्श ब्रिटिश प्रशासनिक मॉडल का आधार
डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा – 2
जॉर्ज कार्नैक बार्न्स : रेगुलर सेटलमेंट’ से भू-राजस्व प्रणाली में सुधार, कांगड़ा बना आदर्श ब्रिटिश प्रशासनिक मॉडल का आधार
हिमाचल बिजनेस नॉलेज बैंक/ धर्मशाला
कांगड़ा के दूसरे डिप्टी कमिश्नर के तौर पर जॉर्ज कार्नैक बार्न्स का कांगड़ा में 1852 तक किया भूमि सुधार कार्य एक महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट था, जिसने ट्रांस सतलुज स्टेट्स’ की भू-राजस्व प्रणाली को व्यवस्थित रूप से आधार दिया। उन्होंने हिमालयी रीजन में कांगड़ा को ब्रिटिश राज के लिए एक आदर्श प्रशासनिक मॉडल के रूप में स्थापित किया। उन्होंने भूमि सुधार कार्य में सामाजिक वास्तविकताओं को कहीं-कहीं अनदेखा किया, जिससे सामुदायिक विवाद और दबाव की स्थिति भी उत्पन्न हुई।
उनकी यह रिपोर्ट वर्ष 1855 में ‘रिपोर्ट ऑन द सेटलमेंट इन द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कांगड़ा इन द ट्रांस सतलुज स्टेट्स’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। उनकी यह रिपोर्ट आज भी ब्रिटिश भारत के प्रशासनिक प्रयासों एवं जैविक व सांस्कृतिक विविधताओं का मूल्यवान दस्तावेज़ है।
दो भागों में बाँट कर सेटलमेंट
1849–1852 के बीच, ब्रिटिश भारत सरकार में डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा के पद पर कार्यरत जॉर्ज कार्नैक बार्न्स ने कांगड़ा जिले में पहली बार नियमित भूमि सुधार किया। इसके लिए उन्होंने कांगड़ा जिले को दो भागों में बांटकर भूमि-संपत्ति की विस्तृत तहकीकात की।
इसमें पहला भाग कांगड़ा प्रॉपर का नीचे का लगभग 2,700 वर्ग मील विस्तार वाला पहाड़ी क्षेत्र शामिल था, जबकि दूसरे भाग में कुल्लू, लाहौल, और स्पीति सहित ऊपरी हिमालयी मण्डल का लगभग 5,000 वर्ग मील शामिल था।
‘विलेज़ सर्कल’ से भू कर की क्लेक्शन
‘रिपोर्ट ऑन द सेटलमेंट इन द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कांगड़ा इन द ट्रांस सतलुज स्टेट्स’ के अनुसार बार्न्स और उनकी टीम ने छोटे-छोटे प्रशासनिक ‘विजेज़ सर्कल’ बनाकर प्रत्येक समुदाय को एक इकाई मान लिया, जिससे कई जमीनदारों को सामूहिक रूप से टैक्स देना पड़ा। इस विधि से भूमि कर का बोझ कम रखा गया और कर संग्रह में सफलता प्राप्त हुई।
प्रशासनिक दृष्टि से यह सर्वेक्षण ‘रेगुलर सेटलमेंट’ था, जो अधिक व्यवस्थित तथा समय-सम्पन्न था। बावजूद इसके इस प्रणाली ने स्थानीय सामाजिक सरंचना में बदलाव और सामाजिक तनाव भी उत्पन्न किया। बार्न्स ने कुशल नेतृत्व से इस सामाजिक तनाव को समय पर न्यूनतम कर दिया।
कांगड़ा की खूबसूरती के कायल
बार्न्स ने ‘रिपोर्ट ऑन द सेटलमेंट इन द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कांगड़ा इन द ट्रांस सतलुज स्टेट्स’ में कांगड़ा घाटी की भव्यता और प्राकृतिक विविधता का बेहद खूबसूरत वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि कांगड़ा एक पहाड़ी क्षेत्र है, यहाँ प्रत्येक जलवायु क्षेत्र और वनस्पति की विविधता मिलती है। जबरदस्त गर्मी वाले मैदानों से लेकर शाश्वत बर्फ से आच्छादित निर्जन शिखरों तक दृश्यवाली गरिमामयी और मनोहर है।
बार्न्स के इस विवरण में निचली घाटियों की उपजाऊ मिट्टी, पहाड़ों की ढलानों पर ओक और पाइन के जंगलों और ऊँची चोटियों पर बर्फ को बड़े ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है। उनके शब्द इस बात की गवाही देते हैं कि कांगड़ा की कुदरती खूबसूरती से वे पूरी तरह से प्रभावित थे।
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Jyoti maurya

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