डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा – 3 सर एडवर्ड क्लाइव बायले : जंगल संरक्षण का संभाला दारोमदार, राजस्व नीति में किया सुधार
डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा – 3
सर एडवर्ड क्लाइव बायले : जंगल संरक्षण का संभाला दारोमदार, राजस्व नीति में किया सुधार
हिमाचल बिजनेस नॉलेज बैंक/ धर्मशाला
कांगड़ा के तीसरे डिप्टी कमिश्नर रहे अंग्रेज़ सिविल सेवा अधिकारी (आईसीएस) सर एडवर्ड क्लाइव बायले ने कांगड़ा में प्रशासनिक सुधारों की नींव रखी तथा उन्होंने जंगल संरक्षण और राजस्व नीति में सुधार किया। स्वास्थ्य कारणों से डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा के तौर पर उनका कार्यकाल महज डेढ़ साल रहा और उन्हें इंग्लैंड लौटना पड़ा।
तीन साल बाद जब वे वापस इंडिया लौटे तो इसके बाद उनका करियर ब्रिटिश सरकार के कई अत्यंत महत्वपूर्ण पदों तक पहुंचा। वे न्यायाधीश, गृह और विदेश सचिव, काउंसिल सदस्य और बंगाल एशियाटिक सोसायटी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने बंगाल एशियाटिक सोसायटी को आधुनिक रूप में गढ़ने में योगदान दिया और इतिहास, पुरातत्त्व शिलालेखों और सिक्कों पर कई महत्वपूर्ण लेख लिखे।
राजस्व और कानून व्यवस्था में स्थिरता
एडवर्ड क्लाइव बायले 1842 में आईसीएस में शामिल हुए। उन्होंने आगरा और मेरठ सहित कई जिलों में काम किया। वे अप्रैल 1849 ग्वालियर के डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किए गए और जून 1852 से दिसंबर 1853 तक कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर रहे। इस दौरान उन्होंने प्रशासन, राजस्व व क्षेत्रीय व्यवस्था का संचालन किया।
तैनाती के तुरंत बाद उन्होंने वन संरक्षण और राजस्व संग्रह में सुधारों की नींव रखी। हालांकि इन नीतियों का विस्तार बाद में 1859 में हुआ। उनके कार्यकाल के दौरान कांगड़ा में राजस्व और कानून व्यवस्था की स्थिरता बनी, जिससे क्षेत्र में प्रशासनिक अनुशासन बढ़ा। दिसंबर 1853 में हेल्थ इश्यू के चलते उन्हें अवकाश लेने पर मजबूर होना पड़ा और वे इंग्लैंड लौट गए।
सरकार के गृह सचिव, बंगाल एशियाटिक सोसायटी के अध्यक्ष
एडवर्ड क्लाइव बायले तीन साल स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद 1857 में इनलैंड से भारत लौटे और इलाहाबाद में उप-सचिव नियुक्त हुए। उन्हें 1859 फतेहगढ़ जिले का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 1861 से 78 तक उन्होंने विदेश सचिव, गृह सचिव, काउंसिल और सुप्रीम काउंसिल सदस्य जैसे उच्च पदों पर कार्य किया।
एडवर्ड क्लाइव बायले के इतिहास, पुरातत्त्व, शिलालेखों व सिक्कों पर कई अकादमिक लेख बंगाल एशियाटिक सोसायटी के जनरल में प्रकाशित हुए। वे 1863 से 1867 तक बंगाल एशियाटिक सोसायटी के अध्यक्ष रहे। 1877 में उन्हें स्टार ऑफ इंडिया के केसीएसआई से सम्मानित किया गया। 30 अप्रैल 1884 को उनका निधन हो गया।
हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/the-worlds-most-beautiful-butterfly-is-found-in-himachal-pradesh-its-name-is-kaiser-e-hind/
