पिता ने कारोबार की राह दिखाई, बेटे ने हुनर से ग्लोबल पहचान बनाई, 35 देशों में ‘मेड इन हिमाचल’ को पहुंचाने वाले परवाणू के सुनील तनेजा की प्रेरककथा

पिता ने कारोबार की राह दिखाई, बेटे ने हुनर से ग्लोबल पहचान बनाई, 35 देशों में ‘मेड इन हिमाचल’ को पहुंचाने वाले परवाणू के सुनील तनेजा की प्रेरककथा
विनोद भावुक / सोलन
सरकारी नौकरी की गारंटी छोड़कर कुछ ऐसा करना, जिससे न सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का भविष्य भी संवरे। यह बात सुनने में आसान लगती है, लेकिन असल में करने के लिए बहुत बड़ा दिल और बहुत गहरी सोच चाहिए। ऐसी ही सोच के धनी हैं सोलन जिले के परवाणू निवासी सुनील तनेजा, जिन्होंने अपने पिता की प्रेरणा से उस रास्ते को चुना, जो कम लोग अपनाते हैं।
आज, उनका नाम दुनिया के 35 देशों में ‘मेड इन हिमाचल’ के साथ गर्व से लिया जाता है। सुनील तनेजा आज सिर्फ एक उद्यमी नहीं, बल्कि हिमाचल के युवाओं के लिए उम्मीद और आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं।
पिता की बात जो जीवन बदल गई
सुनील तनेजा के पिता एक साधारण लेकिन सिद्धांतों पर अडिग पुलिस अधिकारी रहे। जब बेटे ने सरकारी नौकरी की ओर कदम बढ़ाने की इच्छा जताई, तो पिता ने मुस्कराकर कहा कि अगर सुरक्षा चाहिए तो नौकरी कर लो, लेकिन अगर पहचान बनानी है, तो कुछ ऐसा करो जिससे औरों को भी रास्ता मिले।
बस, यहीं से सुनील तनेजा ने ठान लिया कि वह खुद का कुछ बनाएंगे, कुछ ऐसा जो प्रदेश की युवा पीढ़ी के लिए उम्मीद बन सके।
शुरू हुआ सपना, बना प्रेरणा की मिसाल
1987 में सुनील तनेजा ने स्विट्ज़रलैंड की Sphinxwerke Müller AG के साथ साझेदारी कर Ind-Sphinx Precision Ltd. की स्थापना की। परवाणू जैसे छोटे शहर से शुरू हुई इस कंपनी ने जल्द ही दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना ली। यह कंपनी माइक्रो ड्रिल्स, राउटर्स और डेंटल टूल्स जैसी हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग करती है, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और मेडिकल फील्ड्स में होता है।
‘मेड इन हिमाचल’ को दिया ग्लोबल मंच
आज Ind-Sphinx की 80% से अधिक प्रोडक्ट्स अमेरिका, जापान, जर्मनी और यूरोप के कई देशों में निर्यात किए जाते हैं। अपने उत्पादों पर ‘मेड इन हिमाचल’ की मुहर लगाकर सुनील तनेजा ने यह साबित किया है कि हिमाचल सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य का नहीं, बल्कि तकनीकी गुणवत्ता और नवाचार का भी गढ़ है।
तनेजा की कंपनी ने न सिर्फ प्रदेश को वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर लाकर खड़ा किया है, बल्कि हजारों युवाओं को प्रशिक्षण, रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर भी दिया है। वे मानते हैं कि कंपनी सिर्फ मशीनों से नहीं, लोगों के सपनों से बनती है।
दुनिया की नजर में चढ़ा परवाणू
रवाणू कस्बे में आज दुनिया भर के कारोबारी, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ आते हैं। सुनील तनेजा ने उस सोच को बदल दिया कि हिमाचल सिर्फ पर्यटन या खेती-बाड़ी के लिए जाना जाता है। उन्होंने दिखा दिया कि यहां से भी विश्व स्तरीय तकनीक निकल सकती है।
सुनील तनेजा की यह यात्रा केवल एक कारोबारी सफलता की कहानी नहीं, बल्कि यह उस बेटे की गाथा है जिसने अपने पिता की सीख को जीवन मंत्र बनाया और एक छोटे से शहर से पूरी दुनिया को दिखा दिया कि अगर सोच ऊंची हो और हौसले मजबूत हों, तो हिमालय की गोद से भी दुनिया की दिशा बदली जा सकती है।
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