अनसंग हीरो : दिल्ली से सीखे कुश्ती के दांव- पेंच, एक दशक तक किया अखाड़े पर राज, 72 साल की उम्र में युवा पहलवानों को तराशने की जिद

अनसंग हीरो : दिल्ली से सीखे कुश्ती के दांव- पेंच, एक दशक तक किया अखाड़े पर राज, 72 साल की उम्र में युवा पहलवानों को तराशने की जिद
अनसंग हीरो : दिल्ली से सीखे कुश्ती के दांव- पेंच, एक दशक तक किया अखाड़े पर राज, 72 साल की उम्र में युवा पहलवानों को तराशने की जिद
हिमाचल बिजनेस / नगरोटा बगवां
यह प्रेरककथा है कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां उपमंडल की सुनेहड़ पंचायत के बड़ाई गांव के प्रीतम जिन्हें लोग प्रीतो पहलवान अथवा प्रीतो चाचू के नाम से भी संबोधित करते हैं। अपने दौर में कुश्ती का चमकता सितारा रहे इस पहलवान ने कुश्ती के दांव- पेंच दिल्ली से सीखे और फिर घर लौट कर न केवल कुश्ती लड़ना शुरू किया बल्कि आप- पास एक युवाओं को दमखम वाले इस खेल में पारंगत करने के लिए अखाड़ा भी शुरू किया। इस पहलवान के नाम स्थानीय मेलों में होने वाले दंगलों के खिताब जीतने के बिरले रिकॉर्ड हैं तो कांगड़ा से बाहर हमीरपुर, बिलासपुर और मंडी जैसे जिलों में अपनी खेल प्रतिभा से वाहवाली लूटने के दर्जनों किस्से हैं।
उपलब्धियों के बावजूद रहे गुमनाम
उन्होंने दस साल तक अखाड़े पर राज किया है और बड़े बड़े सूरमाओं को चित किया है। उनको पुरस्कार स्वरूप मिले कई उपहार आज भी उनके घर की शोभा बने हैं। यह दूसरी बात है कि एक साधारण कृषक परिवार से संबंध रखने वाले प्रीतो पहलवान की उपलब्धियों को न कभी मीडिया में जगह मिल पाई और न ही कभी शासन- प्रशासन ने उनका सार्वजनिक अभिनंदन करना जरूरी समझा।
कुश्ती का निशुल्क प्रशिक्षण देने को तैयार
72 साल की उम्र में भी प्रीतो पहलवान का गठीला बदन इस बात की गवाही देता है कि जवानी के दिनों में उन्होंने कुश्ती के लिए जम कर पसीना बहाया है। बेशक कुश्ती के दौरान लगी चोटों के कारण उन्हे एक घुटने में दर्द रहता है, बावजूद इसके खेलों और खेल मैदान के प्रति उनके दिल में बहुत सम्मान है। अवाम संस्था की और नौरा में बनाए गए खेल मैदान के निर्माण में उनका सहयोग नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रीतो पहलवान का कहना है कि युवा पीढ़ी को खेलों की तरफ मोड़कर ही नशे से बचाया जा सकता है। अगर युवा कुश्ती सीखना चाहते हैं तो इस उम्र में भी वे निशल्क प्रशिक्षण देने को तैयार हैं।
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Jyoti maurya

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