इतिहास के पन्नों से : नगरोटा के मेहरचंद जेएंडके के प्रधानमंत्री, भारत में जेएंडके रियासत के विलय की कूटनीति के लिए याद रखा जाएगा यह महान जस्टिस

इतिहास के पन्नों से : नगरोटा के मेहरचंद जेएंडके के प्रधानमंत्री, भारत में जेएंडके रियासत के विलय की कूटनीति के लिए याद रखा जाएगा यह महान जस्टिस
संतोष शर्मा/ नूरपुर
स्थिति ऐसी थी कि जम्मू-कश्मीर रियासत के विलय के लिए पाकिस्तान हर तरह का षड्यंत्र बुन रहा था। लार्ड मांउटबेटन से लेकर मोहम्मद अली जिन्ना तक अपने-अपने तरीके से इसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की कवायद में जुटे थे। इधर, शेख अब्दुला सत्ता साहिस करने को तैयार तो राजा में उसका विश्वास नहीं था। कश्मीर में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री के रूप में प्रशासन की बागडोर संभालने वाले मेहर चंद महाजन ने अपने नैतिक साहस, प्रशासनिक पकड़ और दूरदर्शी राजनीतिक सोच के दम पर जम्मू-कश्मीर रियासत के भारत में विलय को संभव कर दिखाया था। समस्या का समाधान निकालने के लिए उन्होंने माउंटबेटन, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और सरदार पटेल से मुलाकात की। यह एक प्रधानमंत्री की कूटनीतिक पहल का ही नतीजा था कि अक्टूबर 1947 में प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के दो सप्ताह के अंदर ही जम्मू के महाराजा और कश्मीर को औपचारिक रूप से भारत के लिए स्वीकार कर लिया था।
नेहरू के घर लिया जिन्ना का नाम
27 दिसंबर 1947 के अपने अंक में मेहर चंद महाजन के महान व्यक्तित्व और नैतिक साहस के बार में लिखा, 26 अक्टूबर 1947 को मेहर चंद महाजन ने जम्मू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और सीधे जवाहर लाल नेहरू के निवास पर गए, जहां सरदार पटेल भी उपस्थित थे। उन्होंने पहुंचते ही कहा, हमेें सेना दीजिए, हमेें सेना की जरूरत है। श्रीनगर को बचाने के लिए सेना आज शाम ही रवाना हो जानी चाहिए, वर्ना मैं लाहौर जाकर जिन्ना के साथ शर्तों पर वार्ता करूंगा। इन बातों का कितना असर हुआ, इतिहास गवाह है।
पिता ने 12 साल देखा बेटा
मेहर चंद महाजन का जन्म कांगड़ा जिला के नूरपुर क्षेत्र के हाथीधार पंचायत के नगरोटा गांव में हुआ था। सात साल की उम्र तक मेहर चंद का पालन-पोषण एक राजपूत किसान परिवार के घर हुआ। पिता ने बेटे का चेहरा पहली बार तक देखा था, जब वह 12 वर्ष का हो चुका था। 1905 में मिडल स्कूल पास करने के बाद मेहर चंद आगे की पढ़ाई के लिए लाहौर चले गए। वर्ष 1910 में गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से स्नातक की उपाधि लेने के बाद एमएससी केमिस्ट्री में दाखिला लिया, लेकिन सत्र के बीच में ही वकालत की ओर झुकाव हो गया।
धर्मशाला में वकालत, दिल्ली तक सियासत
मेहर चंद महाजन के पिता लाला बृज लाल धर्मशाला कोर्ट में एक प्रमुख वकील थे। वकालत के पेशे में उन्होंने खूब नाम कमाया था। मेहर चंद उनका इकलौता बेटा था। वे चाहते थे कि उनका बेटा भी वकालत के उनके पेशे को आगे बढ़ाए। 1912 में वकालत करने के बाद मेहरचंद ने अपने पिता के मार्गदर्शन में धर्मशाला में प्रेक्टिस शुरू कर दी। मेहर चंद महाजन ने अपने जीवन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री के रूप में कड़ी चुनौती को स्वीकार कर अपने सियासी हुनर और प्रशासनिक पकड़ दोनों का एहसास करवा दिया। 15 अक्टूबर से मार्च 1948 तक जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दौर का निर्धारण करने में अहम भूमिका अदा की।
देश के तीसरे मुख्य न्यायधीश
मेहर चंद महाजन ने 4 जनवरी, 1954 को भारत के तीसरे मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाल लिया। वह लगभग एक वर्ष के लिए भारत की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख रहे। 22 दिसंबर, 1954 (65 साल की उम्र में अनिवार्य सेवानिवृत्ति) को सेवानिवृत्ति हुए। मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले उन्होंने 4 अक्टूबर 1948 से स्वतंत्र भारत के उच्चतम न्यायालय के पहले जजों में से एक के रूप में कार्य किया।
कद के आगे छोटे पद
निदेशक, पंजाब नेशनल बैंक, 1933-1943
अध्यक्ष डीएवी कॉलेज प्रबंध समिति, 1938-1943
फैलो और सिंडिक, पंजाब विश्वविद्यालय 1940-1947
न्यायाधीश लाहौर उच्च न्यायालय 1943
अखिल भारतीय फल उत्पाद एसोसिएशन मुंबई अधिवेशन 1945
सदस्य, आरएनआई कम्युटिनी कमिशन 1946
प्रधानमंत्री, जम्मू-कश्मीर राज्य 1947-1948
न्यायाधीश, पूर्वी पंजाब उच्च न्यायालय
पंजाब सीमा आयोग 1947
सिंडिक, पूर्वी पंजाब विश्वविद्यालय 1947-1950
महाराजा बीमानेर के संवैधानिक सलाहकार 1948
माननीय विधि वाचस्पति, पंजाब विवि की डिग्री 1948
सदस्य, फल विकास बोर्ड, पंजाब बेलगाम पर आयोग (कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच विवाद) 1967
हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/from-the-journalists-diary-when-the-kullu-court-issued-an-arrest-warrant-against-osho-for-the-book-sambhog-se-samadhi-it-reached-america-the-hearing-went-from-bombay-high-court-to-shimla-high/