तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है मंडी का 339 साल पुरातन सिद्ध गणपति मंदिर, संपन्न राजा सिद्धसेन ने करवाया था निर्माण

तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है मंडी का 339 साल पुरातन सिद्ध गणपति मंदिर, संपन्न राजा सिद्धसेन ने करवाया था निर्माण
समीर कश्यप / मंडी
सारा देश हित में गणेश उत्सव के चलते आस्था के गहरे समंदर में उतरा हुआ है। महानगरों से लेकर छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी गणपति बप्पा मोरया के गुणगान के साथ गणेश का पूजन हो रहा है। पंडालों में एक से एक आकर्षित प्रतिमा सजी है। गणपति विसर्जन के साथ ही गणेश उत्सव का समापन होता है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, इस शहर में सिद्ध गणपति मन्दिर का अपना ख़ास आकर्षण है। सिद्ध गणपति मंदिर तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना करने से पहले मंडी के राजा ने मूर्ति की तंत्र सिद्धि करवाई थी।
कहते हैं कि राजा ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर सिद्ध गणपति के मंदिर का निर्माण करवाया था। सिद्ध गणपति मंदिर में जो मूर्ति स्थापित की गई है, उसे 1686 ईस्वी में तत्कालीन राजा सिद्धसेन ने स्थापित करवाया था। इस हिसाब से यह मंदिर 336 साल पुरातन है।
आध्यात्मिक गुणों से संपन्न थे राजा सिद्धसेन
गणपति मंदिर की स्थापना मंडी के राजा सिद्धसेन ने की थी। भगवान गणेश की इस विशाल खूबसूरत प्रतिमा के बारे में यह कहा जाता है कि राजा सिद्ध सेन का शरीर इतने बड़े आकार का था कि वह बैठकर ही भगवान गणेश को तिलक लगा देते थे।
राजा सिद्धसेन आध्यात्मिक गुणों से संपन्न थे। उन्होंने मंडी में अनेकों मंदिरों का निर्माण करवाया था, इसलिए इन मंदिरों के साथ सिद्ध भी जोड़ा जाता है। उनके बनवाएं कुछ मंदिरों में सिद्ध गणपति, सिद्ध काली और सिद्ध भद्रा मंदिर शामिल हैं।
गणेश के गले में नाग
राजा सिद्धसेन तंत्र विद्या में काफी रूचि रखते थे, इसलिए उन्होंने इस मूर्ति को भी सिद्ध करवाया और इसे और ज्यादा प्रभाव प्रभावशाली बनाने के लिए तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण किया।
बताया जाता है कि पश्चिमी बंगाल में भगवान गणेश के ऐसे अनेक मंदिर विराजमान हैं, लेकिन अगर बात उत्तरी भारत की हो तो यह मंदिर अपनी तरह का इकलौता मंदिर है। इस मंदिर में भगवान गणेश की जो मूर्ति है, उस पर सिंदूर से लेप किया जाता है और मूर्ति के गले में हर वक्त नाग देवता भी विराजमान रहते हैं।
21 बुधवार पूजा करने से मिलता है फल
तांत्रिक प्रभाव वाले सिद्ध गणपति मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि यहां पर लगातार 21 बुधवार पूजा-अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। दूर- दूर से लोग अपनी कामना लेकर इस मंदिर में पहुंचते हैं।
क्योंकि राजा ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर सिद्ध गणपति के मंदिर का निर्माण करवाया था, ऐसे में मनोकामना पूरी होने पर इस मंदिर में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। गणेश उत्सव के दौरान भी मंदिर में खूब धूम रहती है।
मन्दिर के इतिहास पर पूर्व विधायक की पुस्तक
सिद्ध गणपति मंदिर के इतिहास पर किताब लिख चुके पूर्व विधायक एवं वयोवृद्ध पत्रकार दीनानाथ शास्त्री कहते थे कि सांप का तंत्र विद्या में पर्याप्त महत्व है और इसी के चलते जब राजा सिद्धसेन ने सिद्ध गणपति की मूर्ति का निर्माण करवाया तो इसमें नाग देवता की छवि को भी उभारा गया।
उन्होंने लिखा हैं कि राजा खुद बड़ी तांत्रिक शक्तियों का ज्ञाता था। राजा ने गणपति की मूर्ति बनाने के बाद इसकी सिद्धि करके इसे सिद्ध गणपति का नाम दिया था।
जीत की खुशी में मंदिर का निर्माण
मंडी शहर में जोनल अस्पताल से थोड़ी दूरी पर सड़क की निकली तरफ स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर रियासतकालीन मंदिर निर्माण शैली की विरासत है। मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी अब एक कमेटी के पास है। कमेटी मंदिर से जुड़े उत्सवों का आयोजन करवाती है।
बता दें कि मंडी के राजा पश्चिमी बंगाल से आए थे। राजा सिद्धसेन ने एक अन्य राज्य पर जीत का परचम लहराने की मन्नत मांगी थी। इसी मन्नत के पूरा होने पर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
मनोकामना के लिए मन्दिर पहुंचते नेता
मनोकामना के लिए राजनेता सिद्ध गणपति मंदिर में विशेष पूजा करते हैं। जयराम ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की थी। स्वर्गीय पंडित सुखराम, वर्तमान विधायक अनिल शर्मा, स्वर्गीय सांसद रामस्वरूप शर्मा सहित कांग्रेस- भाजपा के कई बड़े नेता इस मंदिर में अपनी हाजिरी लगाते रहे हैं।
चुनाव के दिनों में इस मंदिर में नेताओं को मन्नत मांगते देखा जा सकता है और जीत के बाद सिद्ध गणपति का धन्यवाद करने आने वालों में भी कोई कमी नहीं है।
गणपति उत्सव के लिए सज गया मन्दिर
मंडी जिला के लोगों की इस मंदिर के प्रति अटूट आस्था है। लोगों का मानना है कि सच्चे दिल से सिद्ध गणपति को पूजने से न केवल शरीर के कष्ट दूर हो जाते हैं, बल्कि गणेश आर्थिक संकट भी हर लेते हैं। मंडी के अलावा कुल्लू और कांगड़ा जनपद के लोग भी इस मंदिर में पूजा करने आते हैं।
मंदिर परिसर में वर्षों से गणेश उत्सव हर्षोल्लास से मनाए जाने की परंपरा रही है। इस बार भी गणेश उत्सव के आयोजन के चलते मंदिर में खूब साज- सज्जा की गई है और रात के अंधेरे में भी यह मंदिर बेहद खूबसूरत दिख रहा है। इस मंदिर को देखने का यह सबसे सही समय है।
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