विक्रम चौधरी : मैदान से कलम तक का सफर, 27 साल पुराना रिकॉर्ड अब भी कायम

विक्रम चौधरी : मैदान से कलम तक का सफर, 27 साल पुराना रिकॉर्ड अब भी कायम
विक्रम चौधरी : मैदान से कलम तक का सफर, 27 साल पुराना रिकॉर्ड अब भी कायम
बिजनेस हिमाचल। धर्मशाला
27 साल का लंबा वक्त… पीढ़ियां बदल गईं, मैदान बदल गए, खिलाड़ी बदल गए, लेकिन नहीं बदला तो धर्मशाला के कॉलेज रोड निवासी विक्रम चौधरी का रिकॉर्ड। धर्मशाला कॉलेज के इस सितारे ने जो छलांग लगाई थी, आज भी कोई खिलाड़ी उसे पार नहीं कर पाया। यह रिकॉर्ड आज भी हिमाचल के युवाओं के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
विक्रम चौधरी का नाम हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय स्तर पर एथलेटिक्स में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 22 साल पहले उन्होंने 7.4 मीटर लंबी कूद और 14.90 मीटर ट्रिपल जंप (Triple लगाकर ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जिसे आज तक कोई खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया।
किताबों से ज्यादा मैदान में लगन
राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने वाले विक्रम चौधरी, पूर्व सांसद और ओबीसी समाज के कद्दावर नेता रहे स्व. चौधरी सरवण कुमार के सबसे छोटे बेटे हैं। लेकिन उन्होंने अपने पिता की राजनीति की राह नहीं चुनी, बल्कि खेल के मैदान में अपनी पहचान बनाई।
सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला से स्कूली पढ़ाई करने के बाद जब विक्रम धर्मशाला कॉलेज पहुंचे, तब उनकी असली प्रतिभा मैदान पर चमककर सामने आई। अंग्रेजी ऑनर्स के साथ बीए और फिर एचपीयू शिमला से एमबीए की पढ़ाई करते हुए उन्होंने बार-बार यह साबित किया कि उनकी असली लगन किताबों से ज्यादा मैदान में है।
6 साल तक ‘बेस्ट एथलीट’
1987 से 1993 तक लगातार 6 साल धर्मशाला कॉलेज के बेस्ट एथलीट रहने का गौरव केवल विक्रम चौधरी के नाम है। कॉलेज ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें रोल ऑफ ऑनर से नवाजा गया। एथलेटिक्स के साथ ही उन्होंने फुटबॉल मैदान पर भी शानदार प्रदर्शन किया। कभी कप्तान के रूप में और कभी टीम मेंबर बनकर उन्होंने कॉलेज को गौरवान्वित किया।
22 बार नेशनल खेल
विक्रम चौधरी का खेल रिकॉर्ड केवल कॉलेज तक सीमित नहीं रहा। वे प्रदेश के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने 22 बार नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी ट्रिपल जंप में सिल्वर मेडल जीतना और एथलेटिक्स व फुटबॉल – दोनों टीमों का प्रतिनिधित्व करना, उनकी बहुमुखी खेल प्रतिभा को दर्शाता है।
मैदान छोड़ थामी कलम
आज भी विक्रम चौधरी का पहला प्यार मैदान ही है। लेकिन अफसोस कि ऐसी प्रतिभा को खेल जगत में आगे नहीं बढ़ाया गया। जीवन-यापन के लिए उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा। वह अंग्रेजी साप्ताहिक “धर्मशाला टाइम्स” का मुद्रण, प्रकाशन और संपादन कर रहे हैं।
विक्रम चौधरी का यह सफर युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने दिखाया कि यदि जुनून हो, तो परिवार की परंपरा से अलग रास्ता चुनकर भी अपनी पहचान बनाई जा सकती है। उनका रिकॉर्ड यह कहता है कि मेहनत और लगन के आगे समय भी ठहर जाता है।
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Jyoti maurya

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