Cave: राजा के किले में रानी की गुफा
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बाहरी राज्यों के आक्रमण में मंडी की रानी के बचाव के लिए इस Cave (गुफा) का निर्माण 1726 में किया गया था। यह गुफा कमलाह गढ़ किले में है। सिकन्दर धार की रेंज में आने वाले कमलागढ़ के लिए ऐसी जगह का निर्माण किया गया था, जहां तक पहुंच पाना बेहद मुश्किल था। किले में इस Cave का निर्माण ऐसे ढंग से किया गया है कि आक्रमण के दौरान इस Cave में छिपने वाली रानी तक पहुंच पाना नामुमकिन जैसा था। बताया जाता है कि चट्टान में बनी Cave के द्वार को चट्टान के टुकड़े से इस तरह से ढक दिया जाता था कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि इस चट्टान में भी Cave (गुफा) हो सकती है। यह Cave (गुफा) उस दौर का निर्माणकला का एक अनूठा उदाहरण है।
Cave: किले में सुरक्षित रही महल की दौलत
मंडी के राजा हरी सेन ने सुरक्षा की दृष्टि से कमलाह गढ़ किले का निर्माण कार्य शुरू किया था, परन्तु वह अपने जीवन काल में कार्य पूरा नहीं करवा सके। उनके पुत्र सूर्यसेन ने 1625 ई में अपने पिता के अधूरे काम को पूर्ण किया। राजा सूर्य सेन तथा ईश्वरी सेन के राज्य कल तक कमलाह गढ़ में सम्पति का भंड़ार रहा। सूर्य सेन के बाद उनके भाई शयम सेन मंडी शासक बनाया गया। शयम सेन के बाद गुर सेन, ईश्वरी सेन, सिद्ध सेन, जोगेन्द्र सेन मंडी के राजा रहे। इस किले को 1840 में महाराजा रणजीत सिंह के जनरल वेनतुरा ने नष्ट करवा दिया था। दोबारा मंडी के राजा ने 1846 में इस किले का पुनः निर्माण करवाया था।
किले में कमलाहिया बाबा का मंदिर
कमलाह किला मंडी से करीब 80 किलोमीटर दूर धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कमलाह गांव की पहाड़ी में स्थित है। यह समुद्र तल से 4772 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह किला सिकन्दर धार की रेंज के तहत आता है। किले के ऊपरी भाग में कमलाहिया बाबा का मंदिर है। किवदंतियों के अनुसार, कमलाहिया बाबा और बाबा बालक नाथ समकालीन व शिव के अंशावतार माने जाते हैं। कमलाहिया बाबा के प्रति लोगों में गहरी आस्था है।
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