दिल को सुकून की तलाश या फिर मन की उलझनों को शांत करने का प्रयास!

दिल को सुकून की तलाश या फिर मन की उलझनों को शांत करने का प्रयास!
दिल को सुकून की तलाश या फिर मन की उलझनों को शांत करने का प्रयास!
हिमाचल बिजनेस। शिमला
राजनीति की दुनिया से ऊपर भी एक दुनिया होती है, जहां इंसान सिर्फ इंसान होता है। जहां पहाड़ों की हवा राजदरबारों की कठोरता को पिघला देती है और जहां रिश्ते कई बार इतिहास से भी अधिक गहरे साबित हो जाते हैं।
उस समय जम्मू-कश्मीर में संघर्ष चरम पर था। देश एक नई दिशा खोज रहा था। इसी तनाव के बीच प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू शिमला में छुट्टी मनाने आए थे। यह यात्रा सिर्फ सुकून की तलाश नहीं थी, शायद मन की उलझनों को थोड़ा शांत करने की कोशिश भी।
बिछड़े परिवारों की कहानियां, रियासतों के विलय की जिम्मेदारियां
1948 का साल। आज़ादी मिले बस एक साल हुआ था, देश अभी भी घावों से भरा था। विभाजन की चीखें, बिछड़े परिवारों की कहानियां और रियासतों के विलय की जिम्मेदारियां। इसी दौरान नेहरू और वायसराय लॉर्ड लुईस माउंटबेटन अपने परिवार के साथ शिमला की शांत वादियों में दिखाई देते हैं।
इन तस्वीरों पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। ये तस्वीरें सिर्फ फ्रेम नहीं हैं। ये उस दौर का दस्तावेज़ हैं, जब शिमला के पहाड़ों की ठंडी हवा, राजनीति की तपिश से जूझ रहे शीर्ष नेताओं के लिए कुछ पल का आराम लेकर आती थी।

The Prime Minister Shri Jawaharlal Nehru’s Their Excellencies the Earl & Countess Mountbatten going round Simla in a car during a holiday in 1948.
सत्ता की दीवारों से ऊंची रिश्तों की गर्माहट
तस्वीरों में नेहरू, लॉर्ड माउंटबेटन और लेडी एडविना माउंटबेटन को शिमला की घुमावदार सड़कों पर कार में घूमते और पहाड़ियों के बीच धीमे कदमों से टहलते देखा जा सकता है। चेहरों पर हल्की मुस्कान और आंखों में उस दौर के बोझ को छिपाने की कोशिश।
इंडियन एक्सप्रेस लेडी माउंटबेटन और नेहरू के रिश्ते के इतिहास पर एक एक्स्प्लेनर में लिखता है, इस मुलाकात में सिर्फ राजनीति की चर्चा नहीं थी। वहां एक मानवीय जुड़ाव था। रिश्तों की गर्माहट थी, जो सत्ता की दीवारों से कहीं ऊंची थी।

बेटी की जुबां, मां की बात
आउटलुक की एक रिपोर्ट बताती है, नेहरू को पहाड़ों से प्यार था। और वे एडविना जैसी दिलचस्प, समझदार महिलाओं की कंपनी में सहज महसूस करते थे। शायद इसलिए मशोबरा की हवा, चुपचाप उनके मन की थकान अपने भीतर समेट लेती थी।
इस कहानी की सबसे मार्मिक पंक्ति बात माउंटबेटन की बेटी पामेला कहती हैं। वे कहती रही हैं कि उनकी मां एडविना और नेहरू के बीच ‘गहरा आत्मिक रिश्ता’ था। ऐसा रिश्ता जिस पर इतिहास बहस तो करता है, पर उसे पूरी तरह समझ नहीं पाता।
हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/the-pain-of-indias-partition-and-riots-is-immense-a-poignant-tale-of-lahore-dalhousie-and-shimla-riots-is-immense-a-poignant-tale-of-lahore-dalhousie-and-shimla/

Jyoti maurya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *