कुल्लू-मनाली के बीच चलती थी अमेरिका की शेवरले कार की बॉडी पर बनाई गई बस, फ़िल्म ‘बंबई का बाबू’ में नजर आई थी यह बस
कुल्लू-मनाली के बीच चलती थी अमेरिका की शेवरले कार की बॉडी पर बनाई गई बस, फ़िल्म ‘बंबई का बाबू’ में नजर आई थी यह बस
विनोद भावुक। मनाली
एक वक्त था जब कुल्लू- मनाली के बीच चलने वाली बसेँ आधुनिक स्टील और लकड़ी की नहीं, बल्कि अमेरिका की शेवरले कारों की बॉडी पर बनाई जाती थीं। 1959 में एक बॉलीवुड फ़िल्म ‘बंबई का बाबू’ की शूटिंग कुल्लू के ढालपुर में भी हुई थी, जहां इस तरह की बसों में कुछ सीन फिल्माए गए थे।
ये बसें 1950 और 60 के दशक में एक कठिन और दूरदराज़ की पहाड़ी राह पर कुल्लू और मनाली के बीच चलती थीं। ये बेमिसाल ट्रांसपोर्ट गाड़ी उस दौर की तकनीक, जुगाड़ और हिमाचल प्रदेश की दूरदर्शी सोच का जीवंत प्रमाण हैं।
स्पीड मीटर मील में, फ्यूल मीटर गैलन में
मूल रूप से ये शेवरले की पुरानी अमेरिकी कारें थीं, जिनमें 6-सिलेंडर वाला पेट्रोल इंजन होता था। इन बसों का स्पीड मीटर और फ्यूल मीटर दोनों ही अंतरराष्ट्रीय इकाइयों में मापे जाते थे। स्पीड मीटर मील में मापा जाता था और फ्यूल मीटर गैलन में।
ऐसी बसों की खिड़कियों में पारदर्शी शीशे नहीं लगे होते थे। शीशे की जगह फोल्डिंग तिरपाल लगी होती थी। इससे एक बात पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती है कि यह बसें पूरी तरह से लोकल कस्टमाइजेशन का नतीजा थीं।
ट्रक मुँह वाली बसें
पहाड़ी सड़कों पर इन बसों का चलना आसान नहीं था। संकरे-मोड़ वाले ट्रैक और कमजोर यातायात नेटवर्क के बीच ये बसें सवारी और माल दोनों ले जाती थीं। कई बुज़ुर्ग अभी भी याद करते हैं कि ये ट्रक मुँह वाली बसें थीं।
ड्राइवर की सीट नीचे होती थी। ऐसी बसों में यात्रा का अनुभव उतना आरामदायक नहीं था। ऐसी बसों में सफर जरूर रोमांच और साहस भरा होता था। यह कुल्लू घाटी में परिवहन की शुरुआती यात्रा का दौर था, जहां पश्चिमी मशीन और स्थानीय जुगाड़ से काम चलता था।
शेयर कीजिये इन बसों से जुड़ा कोई प्रसंग
आज जब हम बसों, वोल्वो और आधुनिक वाहनों की बात करते हैं, तो यह पुरानी शेवरले बसें हमें याद दिलाती हैं कि कैसे सीमित संसाधनों के बावजूद दूरदर्शिता ने कुल्लू घाटी में यातायात की राह खोल दी थी। इन यादों को संरक्षित करना सिर्फ पुरानी तस्वीरों का संरक्षण नहीं है, यह हमारी धरोहर को भी जीवित रखना है।
अगर आपके घर के किसी बुज़ुर्ग ने ऐसी बस में यात्रा की है तो, उनसे पूछिए और उन यादों को लिखिए, फ़ोन की रिकॉर्डिंग बनाईये, ताकि ये सच्ची हिमाचली विरासत अगली पीढ़ी तक पहुँच सके। कमेन्ट में लिखिए ऐसी बस के सफर से जुड़े किस्से। शेयर कीजिये ऐसी बसों के फोटो।
हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/railway-board-building-a-marvel-of-amazing-construction-technology-this-shimla-building-remains-unmatched-even-after-128-years/
