अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले शिमला के घोड़े, ब्रिटिश राज शिमला की कहानियों में दर्ज घोड़े बिदकने के कई प्रसंग

अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले शिमला के घोड़े, ब्रिटिश राज शिमला की कहानियों में दर्ज घोड़े बिदकने के कई प्रसंग
अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले शिमला के घोड़े, ब्रिटिश राज शिमला की कहानियों में दर्ज घोड़े बिदकने के कई प्रसंग
विनोद भावुक। शिमला
शिमला के बंदरों की कहानियां तो हर कोई जानता है। याद है जाखू मंदिर परिसर में चना मांगने वाला वो बंदर जो शिमला में डॉन के नाम से कुख्यात था और रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी कहानियों में जिसका जिक्र किया है। शिमला शहर में एक और जानवर था, जो अंग्रेजों को रोज़-रोज़ बेइज्जत करता था। यह जानवर था घोड़ा।
शिमला की हवा में आज भी घोड़ों की टापों की एक पुरानी आवाज़ गूंजती है। आज शिमला में बेशक घोड़े सिर्फ रिज पर टूरिस्ट राइड का हिस्सा भर हैं, लेकिन ब्रिटिश राज में ऐसे भी घोड़े थे जो अंग्रेज़ हुक्मरानों की नाक कटवा देते थे। आइए, सुनिए शिमला के उन घोडों के किस्से, जिन्हें इतिहास ने नहीं, घोड़ों ने लिखा था।
मरते- मरते बचे, अंग्रेज़ फौज के फील्ड मार्शल
एक दिन लॉर्ड किचनर वाइल्ड फ्लावर हाल से वायसराय लॉज जा रहे थे। धुंध, अँधेरा और पुरानी ढली- संजौली सुरंग। अचानक उनका घोड़ा फिसला और अंग्रेज़ फौज का फील्ड मार्शल जमीन पर धड़ाम कर जमीन पर आ गिरा। कम रोशनी में उन्हें सिर्फ अपनी ही परछाई दिखाई दी, जिसे देख कर डर के मारे उन्होंने चिल्लाकर कहा: हेल्प- हेल्प।
यह देख सुन कर घोड़े के गोरखा पोर्टर ने सोचा कि कोई भूत है। मन में ऐसी विचार आते ही वह अपनी जान लेकर भाग गया। इसका नतीजा यह हुआ कि अंग्रेज़ फौज का फील्ड मार्शल की टांग टूट गई और वे लंबे समय तक सुरंग में पड़े रहे। वे मौत के मुंह में जाने से बाल- बाल बचे। इस किस्से ने बरसों तक अंग्रेजों की हंसी उड़वाई।
लेडी कर्ज़न की चीखें निकल गईं तो लॉर्ड कर्ज़न की टोपी छिटक गई
कर्ज़न दंपति सुबह-सुबह वायसराय लॉज से निकले। गार्ड ने ज़ोरदार सैल्यूट किया, इतना ज़ोरदार कि घोड़े डरकर बेकाबू होकर भाग निकले, सीधे चौड़ा मैदान के बाज़ार तक। लेडी कर्ज़न की चीखें निकल गईं तो लॉर्ड कर्ज़न की टोपी छिटक गई। कर्ज़न दंपति घोड़ों पर और दोनों घोड़े बेकाबू। ये नज़ारा पूरा शिमला देख रहा था।
पहाड़ी घाटी में मौत से सामना
लॉर्ड डलहौजी और लेफ्टिनेंट जनरल जेम्स थॉमसन राइड पर निकले थे। घोड़ा अचानक अनियंत्रित हुआ और दोनों को सीधा खाई की तरफ फेंक दिया। डलहौजी ने बाद में डायरी में लिखा कि कल अखबार जरूर लिखेंगे कि गवर्नर जनरल पहाड़ों में गिर पड़ा।
डर गए घोड़े, चीखने लगीं ब्रिटिश लेडीज
एक राइड के दौरान, लेडी डफरिन और उनकी सहेलियां लैंड स्लाइड में फँस गईं। घोड़े डर गए और ब्रिटिश मेमों की चीखें गूंजने लगीं, लेकिन किसी तरह सब बच गए। ब्रिटिश अख़बारों में यह प्रसंग ‘मिरकल राइड ऑफ शिमला’ के नाम से छपा।
माल रोड पर घोड़ों की भगदड़
रोज़ दोपहर 12 बजे वायसराय के सम्मान में तोप चलाई जाती थी। लोर्ड रिपन के पहले सेल्यूट में तोप का धमाका हुआ और पूरा माल रोड घोड़ों की भगदड़ में बदल गया! एक घोड़ा पेड़ चढ़ने की कोशिश करता तो दूसरा खाई में कूदने लगता।
किसी घुड़सवार के जूते उड़ रहे थे तो किसी की टोपी हवा में उछल रही थी। स्थानीय लोगों ने यह कह कर मजे लिए कि आज शिमला में ब्रिटिश सर्कस लगा था। इस घटना के बाद सेल्यूट बंद कर दिया गया।
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Jyoti maurya

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