फीयरलेस वुमन फ्रोम शिमला : अपनी कार से दुनिया घूमने वाली पहली महिला क्लाउडिया पार्सन
फीयरलेस वुमन फ्रोम शिमला : अपनी कार से दुनिया घूमने वाली पहली महिला क्लाउडिया पार्सन
विनोद भावुक। शिमला
87 साल पहले जब न तो सड़क मार्ग इतने शानदार थे और न कारें इतनी जानदार थी, शिमला की वादियों से निकली कोई लड़की अपनी कार से पूरी दुनिया घूम आए। यह कहानी है जितनी हैरतअंगेज़ है, उतनी ही प्रेरक भी। 15 अगस्त 1900 को शिमला में जन्मी क्लाउडिया पार्सन 1938 में कार से दुनिया की यात्रा करने वाली दुनिया की पहली महिला बनी थी।
साल 1938 में, उन्होंने कोलकाता से सिर्फ 30 पाउंड्स में एक पुरानी एक स्टडबेकर कार खरीदी। कार का नाम उन्होंने बेकर नाम रखा। इस कार में अपने साथी किल्टन स्टुअर्ट के साथ उन्होंने भारत से अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया, फिलिस्तीन, मिस्र, लिबिया और ट्यूनीशिया होते हुए लंदन तक का एक साहसिक सफ़र किया।
बेस्टसेलर बनीं किताबें
क्लाउडिया न सिर्फ़ ड्राइवर थीं, बल्कि इंजीनियर, राइटर और एडवेंचरर भी थी। वे वुमेन इंजीनियरिंग सोसायटी की शुरुआती सदस्य थीं और वर्ल्ड वॉर दो के दौरान एक अम्यूनिशन फ़ैक्टरी में इंजीनियर के तौर पर काम किया था। एक लेखिका के तौर पर उनकी किताबें ‘Vagabondage’ और ‘Brighter Bondage’ ब्रिटेन में बेस्टसेलर बनीं।
पर ब्रिटिश शिमला के उस दौर में क्लाउडिया उसकी असल पहचान ‘फीयरलेस वुमन फ्रोम शिमला थी, जिसने दुनिया में पहली बार साबित किया कि स्टीयरिंग व्हील किसी जेंडर को नहीं देखता। उनकी इस साहसिक विश्व कार यात्रा ने कई लड़कियों को लीक से हटकर कुछ नया और रोमांचक करने के लिए प्रेरित किया।
‘आदमी मुझे वह करने से रोकते हैं, जो मैं करना चाहती हूं’
कार से दुनिया घूमने के बाद क्लाउडिया दुनिया भर की लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गईं। मीडिया में उनके नाम की सुर्खियां थीं। उनका कारनामा बिरला था। जब किसी पत्रकार ने क्लाउडिया से पूछा कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था, क्योंकि आदमी मुझे वह करने से रोकते हैं, जो मैं करना चाहती हूं।
क्लाउडिया आज भी उन युवतियों की प्रेरक हैं, जो अज्ञात का खोजी होना चाहती हैं। लीक से हटकर कुछ करने की हसरत रखने वाली युतवियों को क्लाउडिया का साहित्य जरूर पढ़ना चाहिए। शिमला की सड़कों पर ड्राइव कर रहे हो तो याद रखिए कभी यहीं की मिट्टी में एक लड़की ने इतिहास लिखा था, जो कार से नहीं अपने हौसले से दुनिया घूम आई थी।
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