जर्मन पिता अपने पांच साल के बच्चे के साथ पुराने ट्रक से पार किया अपने सपनों का पहाड़
जर्मन पिता अपने पांच साल के बच्चे के साथ पुराने ट्रक से पार किया अपने सपनों का पहाड़
विनोद भावुक। मनाली
एक परिवार, एक ट्रक, और दुनिया की सबसे कठिन रोड। शिमला की घुमावदार सड़कें, मनाली–काज़ा की ऊंचाइयां और 4,551 मीटर ऊंचा कुंजुम पास। जर्मनी के पॉल वायर के साथ में उनकी पत्नी और 5 साल का बेटा। सर्पीली सड़कों पर यह ट्रक बुलटप्रूफ़ टैंक की तरह चलता रहा। चढ़ाइयों- उतराइयों ने उन्हें परखा, पर उनके हौसले ने हर मोड़ पर जीत दर्ज की।
पॉल बेयर ने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म फेसबुक पर अपने इस रोमंचक सफर के साथी ट्रक का काजा के फोटो के साथ जर्मनी से भारत तक ट्रक के तीस हजार किलोमीटर के सफर का किस्सा साझा किया है। हिमालय जितने बड़े सपने को सच कर दिखाने की यह कहानी उस जज़्बे की मिसाल है कि सपने अगर बड़े हों, तो रास्ते खुद बन जाते हैं।
आर्मी का पुराना ट्रक, जीवन का नया सफर
बर्लिन की दीवार गिरने के बाद पॉल बेयर ने पूर्व जर्मनी की सेना का 1960 मॉडल का एक पुराना आईएफए डब्ल्यू 50 4×4 ट्रक सिर्फ 1500 डॉलर में खरीदा। उसके बाद शुरू हुई 10 महीनों की एक ऐतिहासिक यात्रा। उन्होंने ट्रक के कंटेनर को बुलेटप्रूफ बनाया, कैबिन को इन्सुलेट किया और पहियों पर खड़ी कर दी एक छोटी सी दुनिया।
उन्होंने पत्नी और 5 साल के बेटे को साथ लिया और ट्रक को बनाया एक चलता-फिरता घर। गर्मी-सर्दी और शोर से बचाव के लिए कैबिन और कंटेनर को इंसुलेट किया। उनकी 10 महीनों की इस ऐतिहासिक यात्रा में 4,551 मीटर ऊंचा कुंजुम पास से गुजरना सबसे रोमांचक पल थे। एक पिता अपने छोटे बच्चे के साथ अपने सपनों का पहाड़ पार कर रहा था।
डर के आगे जीत है
जिंदगी में रोमांच वहीं पैदा होता है, जहाँ हम डर के पार कदम रखते हैं। पॉल वायर की इस यात्रा में कभी ईंधन की समस्या पैदा हुई तो कभी ऊँचाई ने परेशान किया, लेकिन हिम्मत, भरोसा और परिवार की गर्माहट ने हर चुनौती को छोटा कर दिया। अपनों संग की गई यह यात्रा उनके लिए जीवन भर याद रहने वाली साहस की मिसाल बन गई।
उनकी यह यात्रा सिर्फ एक सफर नहीं, जीवन का सबसे बड़ा अनुभव बन गई। अगर यात्रा दिल में हो और सिर पर हिमालय हो तो दुनिया की कोई राह मुश्किल नहीं रहती। सच ही कहा गया है कि मंज़िलें तो हमेशा बहादुरों का इंतज़ार करती हैं।
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