Richest God – ‘राजा घेपन’ के सुरक्षा घेरे में सुरक्षित ‘बर्फ़ीला रेगिस्तान’ सदियों पुरानी है रथयात्रा की रीत
विनोद भावुक/ केलंग
Richest God: छह महीने बर्फ के आगोश में रहने वाली लाहौल घाटी जिसे ‘बर्फ़ीला रेगिस्तान’ कहा जाता है, घाटी के सबसे बड़े और Richest God ‘राजा घेपन’ के सुरक्षा घेरे में सुरक्षित रहती है। देवता राजा घेपन लाहौल स्पीति के बड़े और सबसे धनवान देवता हैं। अटल टनल रोहतांग पार करते ही केलंग की तरफ जाते ही शाशन गांव आता है, जिसे अब सीसू कहा जाता है, चंद्रा नदी के दायें किनारे 3130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित राजा घेपन का मंदिर है।
ताजा मक्खन चढ़ाया, ताजे दूध का भोग
Richest God ‘राजा घेपन’ का प्रतीक एक लंबा लक्कड़ है, जिसे रंग बिरंगे कपड़ों से सुसज्जित रखा जाता है। देवता राजा घेपन को प्रसाद में ताजा मक्खन चढ़ाया जाता है। स्थानीय पालतू पशुओं के ताजे दूध का उन्हें भोग लगता है। कहा जाता है कि एक समय लाहौल घाटी में राक्षसों का बहुत आतंक था। राजा घेपन ने घाटी में राक्षसों का नाश किया था। इसलिए यहां उनकी बहुत अधिक मान्यता है।
Richest God : घाटी के रक्षक हैं ‘राजा घेपन’
Richest God का यह मंदिर इस घाटी में आस्था का एक बड़ा केंद्र है। दूर-दूर से श्रद्धालु देवता राजा घेपन के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि राजा घेपन से जो भी मन्नत मांगी जाए, वो जरूर पूरी होती है। राजा घेपन के दरबार में हर धर्म के लोग सिर झुकाते हैं। राजा घेपन घाटी के रक्षक देवता हैं और घाटी में यह लोक विश्वास है कि देवता की कृपा उन्हें हर संकट में सुरक्षित रखती है।
Richest God : तीन साल में रथयात्रा
Richest God हर तीन साल बाद एक भव्य रथ यात्रा करते हैं और घाटी में रहने वाले अपने सभी श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। रथ यात्रा की ये परंपरा सदियों पुरानी है जो कि दो महीनों से ज्यादा समय तक चलती है। मान्यता है कि इस रथयात्रा के दौरान राजा घेपन लाहौल के वासियों के लिए एक सुरक्षा घेरा बना देते हैं। इस घेरे से श्रद्धालुओं को राजा घेपन की अगली यात्रा तक के लिए सुरक्षा मिलती है। राजा घेपन अपनी इस यात्रा के दौरान कई पड़ावों से गुजरते हैं।