Hindi Poetry : अबोध बचपन में लेकर चलता है ‘बालप्रहर’

Hindi Poetry : अबोध बचपन में लेकर चलता है ‘बालप्रहर’

अमृत/ धर्मशाला

Hindi Poetry ‘बालप्रहर’ बच्चों के बालमन की कविताओं का गुलदस्ता है। पेशे से शिक्षिका बबीता जसवाल के  नोशन प्रेस प्रकाशन से प्रकाशित छप्पन बाल कविताओं वाले इस Kavita sangrh की कुछ रचनाएं बच्चों व किशोरों को लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रेरित करने वाली हैं तो कुछ समाज के प्रति दायित्व को निभाने के लिए हैं। इस Hindi Poetry की कुछ कविताएं बच्चों का उत्साह बढ़ाने वाली कविताएं हैं। कवियत्री ने रचनाओं के माध्यम से बचपन, जीवन के अन्य पड़ावों तथा समाज के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई है। बेशक इसे बच्चों और किशोरों को लक्षित कर रचा गया हो, लेकिन इस Hindi Poetry की रचनाएं समाज के हर उम्र वर्ग के लोगों के लिए हैं। इस से पहले बबीता अपने पति के साथ मिलकर वर्ष 2023 में एक लघु उपन्यास ‘डाला बोटला’ लिख चुकी हैं, जो पर्यावरण बाल क्रांति के ऊपर आधारित है।

Kavita sangrh : भाषा सरल, रचनाएं रोचक

इस Hindi Poetry की कुछ कविताएं बच्चों का उत्साह बढ़ाने वाली कविताएं हैं। कवियत्री ने रचनाओं के माध्यम से बचपन, जीवन के अन्य पड़ावों तथा समाज के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई है। बेशक इसे बच्चों और किशोरों को लक्षित कर रचा गया हो, लेकिन इस Hindi Poetry की रचनाएं समाज के हर उम्र वर्ग के लोगों के लिए हैं।

इस Hindi Poetry की पहली कविता ‘सरस्वती मातृवंदना’ मां शारदे से कला और हुनर देने की फरियाद है। ‘हिमाचल जय जय’ कविता इस पहाड़ी प्रदेश का गुणगान करते हुए यहां के लोगों की विशेताओं को प्रदर्शित करती है। इसी तरह ‘प्रकृति वंदना’ कविता धरा को इतना कुछ देने के लिए नमन करती करती है। ‘अन्नदाता’ कविता किसान के कठोर परिश्रम और मेहनत को समर्पित है तो ‘पहचानो मैं हूं कौन’ पहेलियों के रूप में देश की महान हस्तियों की विशेषताओं का गुणगान करती है, जो उत्तरमाला में उनके उत्तर भी देती है। रचनाओं की भाषा बेहद सरल है, जिसके चलते यह संग्रह पठनीय हो जाता है।

स्मृतियों को तरोताजा करती रचनाएं

इस Hindi Poetry की पहली कविता ‘सरस्वती मातृवंदना’ मां शारदे से कला और हुनर देने की फरियाद है। ‘हिमाचल जय जय’ कविता इस पहाड़ी प्रदेश का गुणगान करते हुए यहां के लोगों की विशेताओं को प्रदर्शित करती है।

बबीता जसवाल का कहना है कि इस Hindi Poetry रचनाओं की प्रेरणा के पीछे अनेक परिस्थितियों की भूमिका रही है। अपने बाल और विद्यार्थी जीवन को जीते हुए जो अनुभव हुए वे सारी यादें अचेतन मन में इकट्ठा हो गई। ‘बालप्रहर’ उन अनुभवों और स्मृतियों को तरोताजा करते हुए लिखा गया है, जो अबोध बचपन में भ्रमण करवाता है। कवियत्री को प्राथमिक शिक्षिका के तौर दोबारा बचपन में लौटने का मौका मिला। छोटे-छोटे बच्चों में घुल मिलकर बचपन की वह सारी यादें अचेतन मन से बाहर निकल आईं।

प्राथमिक शिक्षिका ने समझा बाल मानोविज्ञान

बबीता जसवाल ने स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से प्राप्त की। वर्ष 2016 में केंद्रीय विद्यालय सराय खास, जालंधर, पंजाब में प्राथमिक शिक्षिका के रूप में उनकी प्रथम नियुक्ति हुई। वर्तमान में वह शिक्षा विभाग हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत सोलन में प्राथमिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। उनका Kavita sangrh ऑनलाइन उपलब्ध है, जिसकी कीमत 150 रुपये है। इस सृजन के लिए बबीता बधाई की पात्र हैं। एक प्राथमिक शिक्षिका से यह उम्मीद की जा सकती है कि बाल मानोविज्ञान को समझते हुए ऐसा सृजन जारी रखे।

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