Freedom Fighter: जुल्म दुर्गाबाई के हौसले को तोड़ नहीं पाया

Freedom Fighter: जुल्म दुर्गाबाई के हौसले को तोड़ नहीं पाया

हिमाचल बिजनेस कंटेन्ट 

उस दौर में ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘उठ जाग मुसाफिर, भोर भई’ ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ मेरा रंग दे बसंती चोला’ तथा ‘सरफरोशी की तमन्ना’ जैसे गीत सुबह-शाम फेरियों में गाया जाता था। ऊना और उसके आस पास के क्षेत्रों में ऐसी फेरियों का नेतृत्व दुर्गाबाई आर्य करती थी। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने विदेशी वस्त्र जलाने के जुलूस का नेतृत्व किया और शराब के ठेकों पर धरने दिए। ‘स्वराज संघर्ष में हिमाचल के नेपथ्य नायक (भाग 1)’ पुस्तक में संपादक शिव भारद्वाज लिखते हैं कि 13 मार्च,1922 में जब महात्मा गांधी की गिरफ्तारी हुई तो Freedom Fighterदुर्गाबाई ने आनंदपुर साहिब में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और महिलाओं के भारी जुलूस का नेतृत्व किया।

Freedom Fighter: जुलूस के लिए दो माह की कैद

Freedom Fighter दुर्गा बाई ने साल 1922 में ही आनंदपुर साहिब में कामागाटामारू जहाज के कप्तान दीवान पोहलो राम की पत्नी जमना एक साथ विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व किया, जिसके फलस्वरूप दोनों को दो-दो माह के कारावास की सजा हुई।

Freedom Fighter दुर्गा बाई ने साल 1922 में ही आनंदपुर साहिब में कामागाटामारू जहाज के कप्तान दीवान पोहलो राम की पत्नी जमना एक साथ विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व किया, जिसके फलस्वरूप दोनों को दो-दो माह के कारावास की सजा हुई। हिमाचल प्रदेश की महिला स्वतन्त्रता सेनानियों में Freedom Fighter दुर्गाबाई आर्य का नाम अग्रणी है, जिन्होंने अपने पति लक्ष्मण दास आर्य के साथ कंधे से कंधा मिला कर भारत माता की आजादी के लिए कार्य किया।

पति के साथ जलाई आजादी की मशाल

हमीरपुर के समीप सरोठी गांव में पण्डित गोकल चन्द तथा माता परमेश्र्वरी देवी के घर 9 अगस्त, 1884 को पैदा हुई Freedom Fighter दुर्गाबाई का विवाह 16 वर्ष कि आयु में में ऊना के लक्ष्मण दास आर्य के साथ हुआ। दुर्गाबाई के पति बाबा लक्ष्मण दास ने साल 1905 में पुलिस की नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन में कूदे तो दुर्गाबाई भी अपने पति के साथ काँग्रेस पार्टी की सदस्य बन गई।

‘आर्य महिला मण्डल’ का गठन

साल 1908 में जब ब्रिटिश सरकार विरोधी गतिविधियों के जुर्म में लक्ष्मण दास आर्य की गिरफ्तारी हुई। साल 1910 में लक्ष्मण दास आर्य लाहौर जेल से छूट कर ऊना आए। उन पर आर्य समाज की विचारधारा का गहरा प्रभाव पड़ चुका था। Freedom Fighter दुर्गाबाई भी आर्य समाज की सदस्य बन गई और साल 1912 में ऊना में ‘आर्य महिला मण्डल’ का गठन किया और ऊना और आस-पास के क्षेत्रों में महिला कल्याण और समाज-सुधार के काम करने लगीं।

‘महिला खादी संगठन’ की स्थापना

हिमाचल प्रदेश में भी जब स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुआ तो महात्मा गांधी के कहने पर Freedom Fighter दुर्गाबाई आर्य ने सपरिवार जीवन पर्यन्त खादी पहनने का प्रण लिया। Freedom Fighter दुर्गाबाई आर्य ने अपने पूरे परिवार के साथ खादी व स्वदेशी के संकल्प को पूरी तरह से अपने जीवन में उतार लिया। साल 1919 में दुर्गाबाई आर्य ने ऊना में ‘महिला खादी संगठन’ की स्थापना की और महिलाओं को सूत कातना, दरी बुनना तथा वस्त्र बनाना आदि सिखाना शुरू किया। पति-पत्नी दोनों ने लोगों को विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार करने की प्रेरणा दी और पूरे ऊना में खादी वस्त्रों का प्रचार किया।

दुर्गाबाई का क्रान्तिकारी रूप

साल 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान लक्ष्मण दास आर्य और पुत्र सत्यप्रकाश ‘बागी’ को बंदी बनाया गया तो दुर्गाबाई ने अपना क्रान्तिकारी रूप दिखाया। धैर्य और साहस का परिचय देते हुए उन्होंने ऊना की प्रत्येक मां से यह आग्रह किया की वह अपना एक-एक पुत्र देश की स्वतन्त्रता की लड़ाई के लिए प्रदान करे। Freedom Fighter दुर्गाबाई ने ऊना की महिलाओं को जागृत किया तथा बहुत सी महिलाओं को राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदार बनाया। उनके घर पर कांग्रेस का कार्यालय होने के कारण देश भक्तों और सत्याग्राहियों का तांता रहता था। दुर्गाबाई उनको भोजन- बिस्तर प्रदान कर राष्ट्र सेवा का कार्य करती रही। 25 दिसंबर, 1976 को दुर्गाबाई आर्य स्वर्ग सिधार गई।

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