Gazetteers of Chamba State सोने की धुलाई, तांबे की खुदाई
विनोद भावुक/ चंबा
Gazetteers of Chamba State (‘गेजीटियर ऑफ चंबा स्टेट) के अनुसार चंबा के राजा प्रताप सिंह वर्मा (1559-86 ई.) के शासनकाल में रियासत के हुल परगना में तांबे की खदान के काम किए जाने की परंपरा शुरू हुई थी और पुरानी खदानों के प्रमाण वर्तमान में भी मौजूद हैं। पांगी और लाहुल में कुछ स्थानों पर चंद्रभागा के किनारों पर सोने की धुलाई की जाती है।
चंबा में नीलम की खदान की खोज भी हुई है। पांगी, भरमौर और चुराह में लोहे की खानें है। रियासत के पांगी के दरवास सहित अन्य भागों में अभ्रक पाया जाता है।
Gazetteers of Chamba State में रोज हेचिसन लिखते हैं कि जिप्सम, जिसे गच कहा जाता है, बाथरी के पास पाया जाता है। एक समय में इसका उपयोग छतों के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने के लिए चंबा में किया जाता था, लेकिन भूकंप में यह सुरक्षित नहीं है, और अब इसका उपयोग छोड़ दिया गया है। हेचिसन लिखते हैं कि राज्य के कुछ हिस्सों में खनिज संपदा की प्रचुरता की संभावना का पता चलता है।
स्लेट की खानें और चूना पत्थर
Gazetteers of Chamba State के अनुसार चंबा की पहाड़ी श्रृंखला खनिजों से समृद्ध हैं। कुलाल, भरमौर और चुराह में लोहे का खनन किया जाता था, लेकिन आयातित लोहे के सस्ते होने के कारण अब खानें पूरी तरह से बंद हो गई हैं।
अभ्रक पांगी के दरवास और राज्य के अन्य भागों में पाया जाता है। राज्य के पास स्लेट खदानें हैं। डलहौजी और राज्य के अन्य भागों में खदानें बहुत विस्तृत और मूल्यवान हैं, और स्लेट अच्छी गुणवत्ता की हैं।
रावी घाटी में और धौलाधार के दक्षिण में चूना पत्थर के बड़े-बड़े भण्डार भी हैं, जहाँ से चंबा और डलहौजी अपने खनिज स्रोत प्राप्त करते हैं। चूना उत्कृष्ट गुणवत्ता का है। चूना पत्थर पांगी में भी पाया जाता है।
खुद बनाते मिट्टी के बर्तन
Gazetteers of Chamba State में रोज हेचिसन लिखते हैं किक साधारण मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के लिए यहाँ मिट्टी प्रचुर मात्रा में है, और निवासी अपने सभी घरेलू बर्तन स्वयं बनाते हैं, लेकिन ऐसी सामग्रियों का कोई निर्यात नहीं होता है। राज्य के कुछ भागों, साहो, उदयपुर, कल्हेल और मंजीर में खनिज झरने मौजूद हैं। लोग कुछ खास मौसमों में, विशेषकर जेठ और हाड़ में यहां अक्सर आते हैं; लेकिन पानी का विश्लेषण नहीं किया गया है।
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