International Olympic Day हिम के आंचल’ के बर्फ में लग गया विंटर स्पोर्ट्स का वर्ल्ड स्टार शिवा केशवन
विनोद भावुक/ मनाली
International Olympic Day पर प्रेरक कहानी दुनिया के उस बिरले खिलाड़ी मनाली के शिवा केशवन की, जिन्होंने 100 से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और मैडल टैली में एशियन खेलों में 4 गोल्ड, 4 सिल्वर और 2 ब्राउंज सहित 10 मैडल दर्ज हैं। शिवा केशवन को केंद्र सरकार ने साल 2018 में अर्जुन अवार्ड दिया है। प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड का अपना प्रोटोकॉल हैं। अर्जुन अवार्डी को राज्य सरकारें अपने आप कोई प्रसाशनिक पद या अन्य सुविधाए ऑफर करती हैं अथवा जिस खेल के लिए अर्जुन अवार्ड मिला है, उस खेल को राज्य में प्रोत्साहित करने के लिए उक्त खिलाड़ी से संपर्क करती हैं। अवार्ड मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने अपने इस ओलंपियन को न किसी पद प्रतिष्ठा से नवाजना जरूरी समझा और न ही विंटर खेलों के क्षेत्र में उनके अनुभव का कोई लाभ उठाने की पहल हुई।
विंटर स्पोर्ट्स की अर्थव्यवस्था
साल 2018 के बाद खेल से रिटायरमेंट लेकर शिवा इस खेल में नई प्रतिभाओं को ट्रेनिंग देकर निखारने की हसरत लेकर मनाली आये, लेकिन सरकारी सिस्टम ने विंटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने के जुनून पर अडंगा लगा दिया। मजबूरन पहाड़ की इस प्रतिभा का पलायन हुआ और दूसरे देशों के साथ विंटर स्पोर्ट्स कोचिंग और डवलपमेंट के विषय में काम करने का मौका मिला। शिवा कहते हैं कि प्रदेश में विंटर स्पोर्ट्स में कोई बड़ा बदलाव आया हो, अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार इस दिशा में ध्यान दे तो विंटर स्पोर्ट्स से इकॉनमी की नई संभावनाओं को तलाशा जा सकता है।
विंटर स्पोर्ट्स सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
शिवा का कहना है कि स्पोर्ट्स स्टेट सब्जेक्ट है, प्लानिंग और इम्प्लीमेंटेशन की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होती है। केंद्र की तरफ से सिर्फ फंड दिया जाता है। खेलो इण्डिया के जरिये विंटर स्पोर्ट्स नेशनल गेम्स और विंटर स्पोर्ट्स सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के लिए कई स्कीमें हैं। साल 2018 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया के आला अधिकारियों के साथ शिवा ने विंटर स्पोर्ट्स सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के लिए एक कंसेप्ट नोट बनाया, जिसके तहत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया प्रदेश को 250 करोड़ का फंड दे सकती थी। अभी तक मनाली में विंटर स्पोर्ट्स सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के नाम पर कुछ नहीं हुआ है।
टॉप पर चाइना, बॉटम में हम
शिवा केशवन कहते हैं कि विंटर गेम्स को हिमाचल प्रदेश सरकार अपना यूनीक सेलिंग पॉइंट बना सकती है. अगर इसे एक्सेसिबल बनाएं तो बजट का कोई इशू नहीं है। यहां कई कुदरती ढलाने हैं। इस खेल के लिए कई टेक्नीकल लोग यहां मैजूद है। यहां नेशनल विंटर गेम्स करवाए जा सकते हैं। यहां अगले पांच साल में वर्ल्ड चैम्पियन पैदा हो सकते हैं, लेकिन प्रदेश सरकार के पास विंटर स्पोर्ट्स का कोई विजन नहीं है। बाहर के देशों में विंटर स्पोर्ट्स के एक्सपर्ट्स की बहुत मांग हैं। स्कीइंग, आइस स्केटिंग जैसे विंटर स्पोर्ट्स नई इकोनोमी डवलप कर सकते हैं। चाइना में विंटर स्पोर्ट्स इकॉनमी एक बिलियन को पार कर चुकी है।
बार बड़ा नाम, घर में गुमनाम
शिवा केशवन पिछले 30 सालों में विंटर स्पोर्ट्स में 100 से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं, 6 बार विंटर ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। ओलम्पिक में वह 0.607 सैकड़ से मैडल से चूक गए। शीतकालीन एशियन खेलों में 4 बार गोल्ड, 4 बार सिल्वर और 2 बार ब्राउंज जीते हैं। शीतकालीन एशियन खेलों में अभी भी उनके नाम पर तीन रिकॉर्ड दर्ज हैं। देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने उनके खेल प्रदर्शन के लिए साल 2018 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया, लेकिन प्रदेश सरकार की नजर में गुमनाम रहे हैं।
दुनिया का बिरला खिलाड़ी
साल 1981 में मनाली वशिष्ट गांव में पैदा हुए शिवा केशवन ने साल 1996 से तब विंटर स्पोर्ट्स ‘ल्यूज’ खेलना शुरू किया था, जब इस खेल के बारे में देश में कोई जानता तक नहीं था। यह खेल स्लेज के ऊपर बैठ कर खेला जाता है, 150 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड के साथ बर्फ की ढलानों को तय करना होता है। ल्यूज के खेल में शिवा के रिकार्ड्स उसे दुनिया का बिरला खिलाड़ी बनाते हैं।