Mahaabali Bheem Of Mahabharta : हिमाचल के किस स्थान से क्या रिलेशन

Mahaabali Bheem Of Mahabharta : हिमाचल के किस स्थान से  क्या रिलेशन
अरविंद शर्मा / धर्मशाला 
Mahaabali Bheem Of Mahabharta के नाम पर हिमाचल प्रदेश के कई स्थान हैं।  जनश्रुतियों के अनुसार इन स्थानों के साथ भीमसेन का सम्बन्ध होने के कारण ही इस स्थानों के अग्र में भीम का नाम जुड़ा है।
डॉ. विद्या चंद के संपादन में हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से प्रकाशित पुस्तक ‘हिमाचल प्रदेश के स्थान नाम- व्युत्पत्तिजन्य विवेचनात्मक अध्ययन’ में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों के नामों की उत्पत्ति को लेकर शोधपरक कार्य किया गया है।
पुस्तक के अनुसार हिमाचल प्रदेश के कई स्थान ऐसे हैं, जिनके बारे मेें मान्यता है कि जिनका संबंध पांडु पुत्र Mahaabali Bheem Of Mahabharta भीमसेन से जुड़ा है। आईए, भीम की मौजूदगी की गवाही देते स्थानों की सैर करते हैं।

सोलन में भीम गुलेला

डॉ. विद्या चंद के संपादन में हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से प्रकाशित पुस्तक ‘हिमाचल प्रदेश के स्थान नाम- व्युत्पत्तिजन्य विवेचनात्मक अध्ययन’ में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों के नामों की उत्पत्ति को लेकर शोधपरक कार्य किया गया है। पुस्तक के अनुसार हिमाचल प्रदेश के कई स्थान ऐसे हैं, जिनके बारे मेें मान्यता है कि जिनका संबंध पांडु पुत्र Mahaabali Bheem Of Mahabharta भीमसेन से जुड़ा है। आईए, भीम की मौजूदगी की गवाही देते स्थानों की सैर करते हैं।

सोलन जिला की अर्की तहसील में शिमला- बिलासपुर सडक़ पर शिमला से करीब 35 किलोमीटर दूर दानोघाट के साथ एक चट्टान के ऊपर दूसरी चट्टान टिकी है।
ऊपर वाली चटटान का थोड़ा सा पैंदा निचली चट्टान पर टिका हुआ है। लोकमान्यता के अनुसार पांडव जब इस क्षेत्र में आए तो Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीम)  ने धामी- हलोग से अपनी गुलेल से एक पत्थर इधर फैंका, जो इस चटन पर आ टिका। इसी के चलते इस स्थान का नाम भी भीम गुलेला है।

कांगड़ा में भीम गोडा

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कांगड़ा जिला की वर्तमान देहरा तहसील के एक गांव में हरिद्वार बसाने का प्रयास किया था। ये कार्य उन्हें रातों- रात करना था, लेकिन साथ लगते भंटड़ू गांव की एक महिला ने रात को ही दूध बिलौने का काम शुरू कर दिया, जिस कारण पांडवों को यह काम छोड़ कर भागना पड़ा।
गुस्से में Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेन) ने अपने घुटने का प्रहार एक चट्टान पर किया। उस चट्टान पर गड्डे का निशान आज भी मौजूद है। भीम गोडा की चट्टान के चलते इस स्थान का नाम भी यही पड़ा।

चम्बा में भीम गोडा

चंबा के राजनगर के पास भी भीम गोडा नाम का स्थान है। यहां भी एक रात में पांडवों ने हरिद्वार बसाने के प्रयास किए व कार्य पूरा न होने पर गुस्से में Mahaabali Bheem Of Mahabharta भीमसेन द्वारा चट्टान पर अपने गोडे का प्रहार करने की कहानी जुड़ी हुई है।
ऊना से 9 किलोमीटर दूर पीर निगाह के साथ एक स्थान पर भीमसेन ने गोडे के प्राहर से धरती से जलधारा निकाली थी, जिसके चलते इस स्थान को भीम गोड़ा कहा जाता है।

सिरमौर में भीम गोडा

सिरमौर की पांवटा तहसील की कमरंऊ पंचायत में एक पहाड़ी पर भीम गोडा स्थान है। जनश्रुति के अनुसार एक राक्षक को मारने के लिए अपनी गुलेल से निशाना लगाने के लिए इस स्थान पर (Mahaabali Bheem Of Mahabharta) भीमसेन घुटने के बल बैठे थे।
चट्टान पर अब भी घुटने का निशान मिलता है। इसलिए यह स्थान भीम गोडा कहलाता है। स्थानीय लोग इसे भीम घुण्डु कहते हैं।

निरमंड में भीम लादेड़ू

पांडवों के अज्ञातवास के दौरान कुल्लू जिला की निरमंड तहसील के इस स्थान पर Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेन) ने मिट्टी का एक पात्र छाछ से भर कर रखा होता था। स्थानीय बोली में छाछ के पात्र को लादेड़ू कहते हैं। भीम के छाछ पात्र का स्थान होने के कारण इस स्थान का नाम भीम लादेड़ू पड़ गया।

कांगड़ा में भीम टीला

कांगड़ा जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर चैतडू नाम के स्थान के पास एक टीला है। इस टीले को भीम टीला कहा जाता है। लोगों की मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेन) अक्सर इस टीले पर बैठा करते थे। भीम से जुड़ा होने के कारण इस स्थान का नाम भीम टीला पड़ा।

चंबा में भीम टोकरू

चंबा जिला में सुुलतानपुर के पास एक टीलानुमां स्थान टोकरी के आकार का लगता है। कहा जाता है कि Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेन) ने यहां पर एक टोकरी मिट्टी फैंकी थी, जिसकी आकृति यहां बनी हुई है। लोग इस स्थान को भीम टोकरू कहते हैं।

निरमंड में भीम डुआरी

कुल्लू जिला की निरमंड तहसील में श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान एक स्थान ऐसा आता है, जहां प्राकतिक रूप से बने आश्रय में यात्री विश्राम करते हैं।
स्थानीय भाषा में ऐसे स्थान का डुआरी कहा जाता है। कहा जाता है कि वनवास काल में इस डुआरी का निर्माण Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेन) ने किया था, इसलिए इस स्थान का नाम भीम डुआरी पड़ा है।

श्रीखंड़ यात्रा में भीम बौही

श्रीखंड़ यात्रा के दौरान ही श्रीखंड महादेव के समीप पहुंचने पर एक स्थान ऐसा आता है जहां पुस्तकों की आकृति की चट्टानों का विशेष भंडार आता है।
कहा जाता है कि वनवास के दौरान Mahaabali Bheem Of Mahabharta (भीमसेंन) यहां अपना लेखा – जोखा लिखते थे। बही को स्थानीय बोली में बौही कहा जाता है। इसलिए इस स्थान को भीम बौही के नाम से जाना जाता है।

हमीरपुर में भीम बट्ट

हमीरपुर जिला के टोणी देवी मंदिर के समीप स्थित बारी गांव में एक भीम बट्ट नाम का स्थान है। लोक मान्यता के अनुसार पांडवों ने बक्कर खड्ड से पानी लाकर यहां घराट चलाने की योजना बनाई थी।
उन्होंने घराट के लिए जरूरी अवयव तैयार कर लिए थे। एक रात में इस परियोजना को पूरा करना था, लेकिन असफल रहे।
घराट के यह बट्ट आज भी मौजूद हैं। यहां स्थित बट्टों के प्रति लोगों में अगाध आस्था है।
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