Royal History- 144 बेंत खाने के बादअड़ा रहा सिहुंता का लर्जा

Royal History- 144 बेंत खाने के बादअड़ा रहा सिहुंता का लर्जा
विनोद भावुक/ मंडी 
Royal History में चंबा और मंडी रियासतों की दो ऐसी कहानियां जब अवाम राजाओं के खिलाफ भड़क उठा। चंबा के राजा शाम सिंह के हुक्म से नंगे बदन पर 144 बेंत खाने के बाद भी अपने स्टैंड पर अड़ा रहा सिहुंता का लर्जा। 1895 में चंबा अंग्रेजों के अधीन नहीं था। Royal History के मुताबिक यहां राजा अपने वजीर गोबिंदू के जरिए जनता की आवाज को दबा रहे थे। राजा की ओर से किसानों को ‘बेगार’ करने के आदेश दिए गए, लेकिन किसान इसके विरोध में उतर आये। विरोध करने वालों में सिहुंता के बलहाना गांव के प्रदर्शनकारी लर्जा , बिल्लू और अन्य थे। हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित विनोद कुमार लखनपाल की लिखी ‘भारतीय स्वतंत्र संघर्ष- 1757–1947 (बीएसएस) पुस्तक में चंबा रियासत से जुड़े इस प्रसंग का उल्लेख है।

सिहुंता से पकड़ कर चंबा लाया गया लर्जा

Royal History के मुताबिक यहां राजा अपने वजीर गोबिंदू के जरिए जनता की आवाज को दबा रहे थे। राजा की ओर से किसानों को 'बेगार' करने के आदेश दिए गए, लेकिन किसान इसके विरोध में उतर आये। विरोध करने वालों में सिहुंता के बलहाना गांव के प्रदर्शनकारी लर्जा , बिल्लू और अन्य थे।
Royal History के इस प्रसंग के मुताबिक राजमहल के आदेशों की खिलाफत करने के जुर्म में लर्जा को सिहुंता से पकड़ कर चंबा लाया गया और एक पोल से बांधकर नग्न खड़ा किया गया,। राजा शाम सिंह ने उसे बेंत लगाने का आदेश दिया। लर्जा को 144 बार बेंत से मारा गया, लेकिन वह अपने स्टैंड पर अड़ा रहा। बाद में ब्रिटिश वकील के माध्यम से इस मामले को सुलझाया गया था।

‘राज करते भवानी सेन, हुक्म देते शोभा राम’

साल 1909 में मंडी के राजा भवानी सेन पूरी तरह से वजीर जीवनानंद पाधा के प्रभाव में थे और वजीर पाधा भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का पर्याय था। सरकाघाट के गढ़ियानी गांव के एक युवक शोभा राम ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई।
विनोद कुमार लखनपाल की पुस्तक में Royal History का एक ऐसा ही और उदाहरण है।  रियासत के खिलाफ आवाज उठाने का प्रसंग मंडी रियासत से जुड़ा है। साल 1909 में मंडी के राजा भवानी सेन पूरी तरह से वजीर जीवनानंद पाधा के प्रभाव में थे और वजीर पाधा भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का पर्याय था। सरकाघाट के गढ़ियानी गांव के एक युवक शोभा राम ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। राजा ने शुरू में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। शोभा राम 20 हजार किसानों को लेकर मंडी आ धमका और रियासत के तहसीलदार व अन्य अधिकारियों को जेल में डाल दिया। उस समय मंडी में एक आम कहावत थी, ‘राज करते भवानी सेन, हुक्म देते है शोभा राम’। ब्रिटिश हस्तक्षेप के बाद मंडी रियासत का यह विवाद समाप्त हुआ।

Royal History : राजाओं के खिलाफ लड़ाई के कई किस्से

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत स्वर्गीय  विनोद कुमार लखनपाल की समाज धर्म प्रकाशन, मेहतापुर, ऊना से साल 2009 में प्रकाशित 410 पृष्ठ की ‘भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष- 1757–1947 (बीएसएस) पुस्तक हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली क्षणों को तरोताजा कर देती है। पुस्तक पढने के बाद Royal History के बारे में कहा जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश के लोगों को दो ताकतों के खिलाफ लड़ना पड़ा। एक, अंग्रेजों के खिलाफ, जिन्होंने 1846 में एंग्लो-सिख युद्ध के बाद सिखों से कुछ क्षेत्र (ज्यादातर नया हिमाचल) हासिल किया था और दूसरा, स्थानीय राजाओं के खिलाफ जो स्वतंत्र शासक थे।
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