Royal Story : एक सिरा, कांगड़ा, मंडी और कपूरथला से जुड़ा है तो दूसरायूरोप और अमेरिका से, फ्रांस और ब्राजील का भी कनेक्शन
विनोद भावुक / मंडी
Royal Story जिसका एक सिरा, कांगड़ा, मंडी और कपूरथला से जुड़ा है तो दूसरा सिरा यूरोप और अमेरिका से जुड़ा है। कहानी में फ्रांस और ब्राजील का भी कनेक्शन है। कांगड़ा के राजपूत परिवार से संबंध रखने वाली कपूरथला की महारानी कनारी की बेटी महाराज अमृतकौर की मंडी के राजा से जोगिंद्र सेन से होने, फिर उसे शराब की लत लगने और फिर एक रोज संबंध विच्छेद कर अमेरिका में नितांत अकेले रहने तथा दर्दनाक परिस्थितियों में मौत के आगोश में लेट जाने की इस कहानी में कई मोड़ हैं। दीवान जरमनी दास की लिखी पुस्तक ‘महारानी’ की यह Royal Story उन तमाम प्रसंगों को आज भी ताज़ा कर देती है।
Royal Story : सिख युवक के भेष में महारानी
लॉर्ड कर्जन ने महाराजा कपूरथला को यूरोप जाने की इजाजत बड़ी मुश्किल से दी थी, मगर महाराजा को अपनी किसी भी महारानी को अपने साथ यूरोप जाने की इजाजत नहीं थी। इस Royal Story के मुताबिकमहाराजा अपनी जवान महारानी कनारी को बहुत प्रेम करता था। महारानी परम सुंदर थी। वह कांगड़ा के राजपूत परिवार की थी। महाराजा ने अपने दीवान दौलत राम के सहयोग से महारानी को अपने साथ यूरोप ले जाने का प्रबंध कर लिया। चूंकि महारानी को यूरोप ले जाने की इजाजत नहीं थी, अत: उसे अचकन, पाजामा और पगड़ी पहनाकर एक सिक्ख युवक बनाकर यूरोप ले जाया गया।
फ्रांस के शाही खानदानों के मेहमान
Royal Story बताती है कि क्योंकि उन दिनों पासपोर्ट नहीं लेना पड़ता था, इसलिए महारानी लड़के के भेष में भारत और यूरोप के अधिकारियों की नजरों से बच कर यूरोप पहुँच गई। यूरोप प्रवास के दौरान महाराजा और महारानी ने खूब मौज की। जिस समय उनके सामने कोई दूसरा नहीं होता तो महारानी औरतों के कपड़े पहन लेती। फ्रांस के शाही खानदानों के मेहमानों के तौर पर महाराजा और महारानी को खास होटलों में ठहराया जाता। वे लोग महाराजा के इस रहस्य से परिचित थे।
Royal Story : महारानी को नहीं पहचान पाए अंग्रेज
यूरोप की राजधानियों में कई महीने बिता कर महाराजा और महारानी भारत लौटे, लेकिन महारानी को लड़के के भेष में यूरोप घुमाने का भेद नहीं खुला। हवाई जहाज बंबई में उतरा तो गवर्नर के सैन्य सचिव ने वाइसराय की तरफ से महाराजा का जोरदार स्वागत किया। हैरानी की बात यह थी कि इस स्वागत समारोह में भी महारानी को कोई नहीं पहचान पाया, क्योंकि वह सिक्ख लड़के के भेष में थी।
मंडी के राजा की शादी, कपूरथला में जश्न
Royal Story के मुताबिक महारानी कनारी के गर्भ से एक पुत्र तथा एक पुत्री का जन्म हुआ। पुत्र का नाम महाराज कुमार करमजीत सिंह था। वह एक सुंदर और सुसंस्कृत राजकुमार था। पुत्री का नाम महाराज अमृतकौर था। महाराज अमृतकौर की शादी मंडी के राजा जोगिंद्र सेन से हुई। 4, 5 और 6 फरवरी 1923 को जब महाराज अमृतकौर की शादी हुई तो रस्में पूरे ठाठ- बाठ से पूरी की गईं। पंजाब के गवर्नर तथा उनकी पत्नी लेडी मेक्लेगन, कई महाराजे, महारानियां और मंत्री शामिल हुए। दूल्हे राजा को एक सजे हुए हाथी पर बैठा कर कपूरथला स्टेशन से महल तक लाया गया। महल में शानदार दावतों के दौर चले।
राजा ब्राजील के राजदूत, रानी को शराब की लत
Royal Story के अनुसार मंडी एक महत्वपूर्ण रियासत थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद जब रियासतों को गणराज्य में शामिल कर लिया गया तब मंडी के इसी राजा को राजदूत बनाकर ब्राजील भेजा था। महाराज कुमारी अमृतकौर के गर्भ से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम टीबु रखा गया। इसे ही बड़े होकर कपूरथला रियासत का महाराजा बनना था। सुंदर राजकुमार पढ़ लिखकर जवान हो गया, मगर उस समय तक उसकी मां पूरे तौर पर शराबी बन चुकी थी। शराब पीने की लत उसे अपनी मां महारानी कनारी से लगी थी।
अमेरिका में दर्दनाक मौत
इस Royal Story के मुताबिक महाराज अमृतकौर के राजकुमारी निर्वाणा और टिक्का यदविन्द्र सिंह थे। दीवान जरमनी दास अपनी पुस्तक ‘महारानी’ में लिखते हैं कि एक रोज महाराज अमृतकौर अमेरिका चली गई और सालों वहां अकेली रही। उसने कानूनी तौर पर अपने पति राजा जोगिंद्रसेन से संबंध विच्छेद कर लिया। मंडी के राजा ने बाद में राजपिपला के महाराज के एक निकट संबंधी सरदार पिन्की की लड़की से शादी कर ली। महाराज अमृतकौर की मृत्यु अमेरिका में बड़ी दर्दनाक परिस्थितियों में हुई।