Temple of Himachal Pradesh हिमरी गंगा स्नान से संतान सुख
सत्य प्रकाश / नारला
देवभूमि हिमाचल प्रदेश के लोगों की देवी- देवताओं और प्राचीन मान्यताओं को लेकर अटूट आस्था है। ऐसी ही आस्था का जीता- जागता उदाहरण मंडी जिला के पधर उपमंडल के हिमरी गंगा स्थान पर भी देखने को मिलता है।
यहां घोघरधार के गर्भ से एक विशाल जलधारा निकली है, जिसे हिमरी गंगा के नाम से जाना जाता है। हिमरी गंगा में भादो महीने की 20 प्रवीष्ठे को स्नान करने का विशेष महत्व है। लोगों की Temple of Himachal Pradesh देव हुरंग नारायण और देवी हिमरी गंगा के प्रति अटूट आस्था है। और यही आस्था उन्हें मनवांछित फल भी प्रदान कराती है।
निःसंतान दंपतियों की गोद भराई के लिए Temple of Himachal Pradesh इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि हर वर्ष यहां पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं। कोई संतान सुख की प्राप्ति के लिए तो कोई अपनी अन्य मनोकामनाओं के लिए। यहां हर वर्ष मेला भी आयोजित किया जाता है।
देव हुरंग नारायण ने किया उदगम
स्थानीय लोगों के अनुसार Temple of Himachal Pradesh हिमरी गंगा का उदगम देव हुरंग नारायण जी ने अपने मनुष्य रूप में किया था। यह स्थान चौहार घाटी के देवता हुरंग नारायण की कथा से जुड़ा है।
हुरंग नारायण बाल्यकाल में इस स्थान में गांव वालों के पशुओं को चराने के लिए लाते थे। जिस स्थान पर देव पशु चराते थे, वहां पानी नहीं था। इस प्रकार पशुओं को हांकने वाली छड़ी से शक्ति के द्वारा उन्होंने यहां पानी निकाला था।
देव यहां पशुओं को पानी पिलाते तथा पानी को शक्ति से बंद कर देते थे। गांव में इस बात से सब हैरान थे कि पशु घर आकर पानी नहीं पीते थे। गांव वालों ने इसका कारण जानना चाहा। एक दिन गांव वालों ने चुपके से सारा रहस्य जान लिया।
उसी समय देव मूर्छित हो गए और हुरंग गांव में विराजमान हो गए। रहस्य से पर्दा उठने के बाद उसी दिन देव हुरंग नारायण वहां से लुप्त हो गए और चौहार घाटी में मूर्ति/रघ रूप में विराजमान हो गए। इस स्थान में पानी की अमृत धारा लगातार बहने लगी।
बीस भादो का विशेष स्नान
इस Temple of Himachal Pradesh में बीस भादों को बहुत बड़ा मेला लगता है और हजारों लोग पवित्र मान करते हैं। हिमरी गंगा के साथ शिव का मंदिर भी स्थित है। यह स्थान निसंतान महिलाओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है।
निसंतान महिलाएं पानी के स्रोत में अखरोट फेंकती है और नीचे की तरफ अपने दुपट्टे को लेकर खड़ी हो जाती है। भाग्य से जिस महिला के पास अखरोट आकर गिरता है, उसे संतान प्राप्ति होती है।
धूम्रपान के खिलाफ हैं देव हुरंग नारायण
देव हुरंग नारायण को चौहार घाटी के प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है। हुरंग नारायण और घड़ौनी नारायण को भगवान बलराम का अवतार माना जाता है।
हुरंग नारायण घाटी के सबसे बड़े व प्रभावशाली देवता माने जाते हैं। घाटी में कोई भी शुभ कार्य इनकी पूजा के बिना शुरू नहीं किया जाता घाटी के विभिन्न मेले व त्यौहार इनकी उपस्थिति में ही मनाए जाते हैं।
काहिका उत्सव देव हुरंग नारायण की छत्रछाया में ही होता है। देव हुरंग नारायण धूम्रपान के सख्त खिलाफ है। गलती से भी धूम्रपान करने वाला व्यक्ति देवता के रथ के पास जाए तो उसे जुर्माना अदा करना पड़ता है। जान-बूझ कर धूम्रपान करने वालो को देवता के प्रकोप को भी झेलना पड़ता है।
नारला में हिमरी गंगा का झरना
राष्ट्रीय उच्च मार्ग मनाली-पठानकोट पर नारला में तीर्थ स्थल हिमरी गंगा का जल होने के कारण भी झरने के प्रति लोगों में ढेरो आस्थाएं है। इस पावन जलधारा के पीछे कई किवदंतियां हैं।
हिमरी गंगा की पहाड़ियों के बीच दिखाने वाली बड़ी-बड़ी दरारे रंग नारायण का रास्ता था। यही देव हुरंग नारायण अपने पशुओं को पानी भी पिलाते थे। दरारों के बीच पड़े को घास के ढेर के बारे में कहा जाता है कि ये देव नारायण ने रखे थे।
इस जलप्रपात के बगल में एक प्राचीन गुफा भी है, जिसमे हिमरी गंगा तीर्थ का जल भीतर ही भीतर चल कर गुफा में निकलता है। लोगों का मानना है कि हिमरी गंगा तीर्थ स्थल में किया गया अधूरा है, जब तक इस गुफा में स्नान न किया जाए।
इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें –