Writer of Himachal Pradesh : दलाई लामा के प्रवचनों के अनुवादक परमानन्द शर्मा
विनोद भावुक/ धर्मशाला
Writer of Himachal Pradesh धर्मशाला के वयोवृद्ध साहित्यकार परमानन्द शर्मा ने 30 मार्च 2023 को 100 साल की उम्र में बेशक अपने नश्वर शरीर को छोड़ गए, लेकिन जिंदगी के आखिरी लम्हों तक वे साहित्य सृजन को लेकर बेहद सक्रिय रहे ।
उन्होंने उर्दू के महान शायर मिर्जा गालिब की गजलों का पहाड़ी में किया है पद्यानुवाद किया । संस्कृत में लिखे कई बौद्ध ग्रंथों का अंग्रेजी और हिन्दी में अनुवाद किया तो जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य कामायनी का अंग्रेजी में पद्यानुवाद किया।
हिन्दी – अंग्रेजी में खूब लेखन
Writer of Himachal Pradesh परमानंद शर्मा ने दलाई लामा के कई तिब्बती प्रवचन-ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया । उनकी पुस्तक ‘मैन एंड् म्यूल्ज…..’ का प्राक्कथन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरूने लिखा है।
Writer of Himachal Pradesh परमानन्द शर्मा ने अंग्रेजी, हिन्दी और पहाड़ी तीनों में खूब कलम चलाई है। उनके साहित्यकर्म के लिए जहां पंजाब सरकार ने दी है ‘राजकवि’ की उपाधि दी है तो निर्वासित तिब्बत सरकारने भी सम्मानित किया है।
लाहौर से अंग्रेजी में एमए, धर्मशाला कॉलेज के प्रिंसिपल
Writer of Himachal Pradesh परमानन्द शर्मा का जन्म 17 नवम्बर 1923 को जांलधर के द्आब क्षेत्र के अन्तर्गत घोड़ियाल गांव में हुआ। साल 1943 में द्आबा कॉलेज जालन्धर से बी.ए आनर्ज करने के बाद साल 1945 में गवर्नमेंट कालेज लाहौर से अंग्रेजी में एम.ए. किया।
परमानन्द शर्मा ने पंजाब, पेप्सू, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न सरकारी महाविद्यालयों में प्रवक्ता पद सेवाएं दीं। वे साल 1977 से राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला के प्राचार्य रहे और साल 1982 में यहीं से सेवानिवृति हुए।
गहन लेखन के रहे पक्षधर
हिन्दी में उनकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘छत्रपति’ (महाकाव्य), ‘वैरागी’ (प्रबन्ध काव्य), ‘मिट्टी का दिया’ (शास्त्री जी पर खण्ड काव्य), ‘एकला चलो’ (खण्डकाव्य), ‘पोरस’ (अमित्राक्षर छन्द में खण्ड काव्य), ‘सम्याई अवतार’(महाकाव्य) शामिल हैं।
जवाहर लाल नेहरू ने लिखा प्राक्कथन
अंग्रेजी काव्य रचनांए ‘दी डीवाईन ओड्डसे’, ‘चैरेन्जी’, ‘नचिकेता एंड दी ग्रेट ऐन्काऊंटर’, ‘लिङग्म टू द लोटेस फीट’ प्रकाशित हुई हैं, जबकि अंग्रेजी गद्य रचनांओं में ‘मैन एंड् म्यूल्ज ऑन द मिशन ऑफ डेमोक्रेसी’ का प्राक्कथन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है। ‘पीपल आफ दी प्रेयर व्हील’ का प्राक्कथन-परम पावन दलाई लामा ने लिखा है। इसके अलावा उनकी मीटिंग गॉड’ प्रकाशित हुई।
अनुवाद के क्षेत्र में अद्भुत कार्य
परमानन्द शर्मा ने अनुवाद विधा में खूब कार्य किया है। हिन्दी महाकाव्य कामायनी का अंग्रेजी में पद्यानुवाद, ‘बोधिचर्य्यावतार’- 9वीं शताब्दी के आचार्य शान्तिदेव के प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ का मूल संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद, ‘भावनाक्रम’- दसवीं शताब्दी के आचार्य कमलशील के प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ का मूल संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
उन्होंने ‘बौधि-पथ-प्रदीप’- 9वीं शताब्दी के आचार्य ‘अतीश’ के ग्रन्थ का मूल संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद, ‘तिब्बत एंड तिब्बेतन मुस्लिम्ज’- उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद, ‘गालिब’-उर्दू के कहानतम कवि मिर्जा गालिब की चुनिंदा गजलों का पहाड़ी में पद्यानुवाद शामिल हैं। Translation of Tibetan sermons of Dalai Lama into Hindi उनका बेहतरीन काम है।
Translation of Tibetan sermons of Dalai Lama into Hindi के लिए सम्मानित
परमानन्द शर्मा को साल 1952 में ‘छत्रपति’ महाकाव्य के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया। साल 1964 में पंजाब सरकार ने उन्हें ‘राजकवि’ की उपाधि से अलंकृत किया।
वे साल 1977 से लेकर 1982 तक साहित्य अकादमी दिल्ली की सामान्य परिषद् का सदस्य रहे। साल 1987 में Translation of Tibetan sermons of Dalai Lama into Hindi करने वाले परमानन्द शर्मा को परम पावन दलाई लामा द्वारा तिब्बती ग्रन्थ एंव अभिलेख पुस्तकालय की गवर्निंग बॉडी का आजीवन सदस्य नामित किया गया।
उन्हें अनगिनत साहित्यिक एंव सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया। साल 2010 में परमानन्द शर्मा को तिब्बत की निर्वासित सरकार ने सम्मानित किया है।
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