पैराग्लाइडिंग : ‘रोशन लाल – द फ्लाइंग मैन’
विनोद भावुक/ मनाली
नब्बे के दशक की शुरुआत में मनाली घूमने आए न्यूजीलैंड के एक टुरिस्ट सेकंड हैंड पैराग्लाइडर खरीद कर सोलंग घाटी में साहसिक खेल पैराग्लाइडिंग की शुरुआत करने वाले रोशन लाल भारत के पहले पैराग्लाइडर हैं। जी समय पैरागलाइडिंग सिर्फ विदेश तक सीमित थी, रोशन लाल मनाली की सोलंग घाटी में इस पर प्रयोग कर रहे थे।
उन्होंने पहले खुद पैराग्लाइडिंग सीखी और फिर स्थानीय युवाओं को इस खेल में ट्रेंड कर सोलंग घाटी में इस खेल की शुरुआत की। अढ़ाई दशक के समय में उनकी मेहनत रंग ला रही है। पैराग्लाइडिंग का खेल क्षेत्र में सामाजिक- आर्थिक बदलाव का एक बड़ा कारण बन गया।
9 गांव, 200 पायलट
बुरवा गाँव के साहसिक उत्साही और निपुण स्कीयर रोशन लाल ने सोलंग घाटी के पलचान, रुवार, कोठी, कुलंग, सोलंग, बुरवा, मझाच, शनाग और गोशाल जैसे अलग-थलग पड़े नौ गांवों की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में अहम भूमिका अदा की है। इन गांवों में जबरदस्त सामाजिक- आर्थिक बदलाव देखा जा सकता है।
आज इस क्षेत्र में 200 से अधिक पैराग्लाइडिंग पायलट हैं, जो पैराग्लाइडिंग से अपने परिवारों को एक सभ्य जीवन जीने और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
सेकंडहैंड पैराग्लाइडर से शुरुआत
भारत के पहले पैराग्लाइडर रोशन लाल बर्फ के खेलों का जाना – पहचाना नाम हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में भाग लिया है। वे हिमाचल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एक पैराग्लाइडिंग स्कूल के संचालक हैं।
वे कहते हैं कि साल 1991 में उन्होंने एक विदेशी पर्यटक से 13,000 रुपये में एक सेकंडहैंड पैराग्लाइडर खरीदा था। इस पैराग्लाइडर ने बड़ी सोलंग घाटी में इस खेल के लिए बुनियाद डालने का काम किया।
पैराग्लाइडिंग से मिला रोजगार
रोशन लाल कहते हैं कि पहले उन्होंने खुद पैराग्लाइडर उड़ाना सीखा। बाद में कुछ युवाओं को उड़ान भरने की कला सिखाई। धीरे-धीरे सोलंग घाटी में पैराग्लाइडिंग पर्यटकों की गतिविधि का हिस्सा बन गई और पर्यटक हवा में कलाबाजियां दिखाने के दीवाने होने लगे।
अब आलम यह है कि पर्यटन सीजन में सोलंग में एक पैराग्लाइडर पायलट दो से तीन हजार रुपये प्रतिदिन कमाता है। इस खेल में अच्छे स्कोप देख अधिक से अधिक युवा इस खेल की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पैराग्लाइडिंग पायलट बनने को लेकर यंग जनरेशन में भी ख़ासी रुचि है।
फिल्म में रोशन लाल का काम
ओडिशा के फिल्म निर्माता सुसांता दास ने ‘स्वरात्मिका’ प्रोडक्शन के बैनर तले ‘रोशन लाल- द फ्लाइंग मैन’ फिल्म बनाई है। यह फिल्म भारत के पहले पैराग्लाइडर रोशन लाल की पैराग्लाइडिंग की यात्रा को बयां करती है। फिल्म दिखाती है कि कैसे एक धुन के पक्के स्कीयर ने इस खेल में महारत हासिल कर इस खेल में युवाओं की नई पौध तैयार की।
20 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म एयरो स्पोर्ट में उनके शुरुआती वर्षों से लेकर सोलंग घाटी को पर्यटकों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र में बदलने तक की कहानी कहती है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि किस तरह स्थानीय युवा पैराग्लाइडिंग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आजीविका कमाते हैं और उनकी आर्थिकी में जबरदस्त सुधार हुआ है।
मोदी को कारवाई पैराग्लाइडिंग
साल 1997 की बात है। एक रोज हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी नरेंद्र मोदी पैराग्लाइडिंग करने सोलंग घाटी पहुंचे तो रोशन लाल ने उन्हें पैराग्लाइडिंग करवाई। वे रोशन लाल के हुनर के कायल हो गए थे।
कुछ साल पहले पैराग्लाइडिंग करते नरेंद्र मोदी की पुरानी फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुईं तो खुलासा हुआ कि वे हिमाचल प्रदेश में पैराग्लाइडिंग के शुरुआती दौर में इस खेल के प्रति आकर्षित थे और इसके विकास को लेकर गंभीर भी थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद सार्वजनिक मंच से नरेंद्र मोदी रोशन लाल का नाम ले चुके हैं।
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