बाबा कोट : मंडी के राजमहल में चंबा रियासत का देवता
बिजनेस हिमाचल/ मंडी
इतिहास और परम्परा के अनुसार राजा अजबर सेन ने 1857 ई. में वर्तमान मंडी नगर को राजधानी की मान्यता प्रदान की थी। उसी कालखंड में नगर की सबसे ऊंचे स्थल पर चौकीनुआ राजभवन का निर्माण हुआ था। मंडी के इसी चौकीनुआ राजभवन में बाबा कोट का मंदिर मौजूद है।
वर्तमान में यह राजभवन दो मंजिले भवन के रूप में अंग्रेजी के यू शब्द के आकार में है। इसके सबसे ऊंचे स्थान पर यह मंदिर स्थित है। पूजा स्थान में काले पत्थर से लोकशैली में निर्मित दो प्रतिमाएं हैं, जो बाबा कोट और नारसिंह नामक देवताओं को समर्पित है।
बाबा कोट के प्रति स्थानीय लोगों में गहरी आस्था है और जनविश्वास है कि यह देवता मंडी नगरवासियों की रक्षा करता है।
राजकुमारी के साथ आया बाबा कोट
एक मान्यता के अनुसार बाबा कोट की प्रतिमा को चंबा की एक राजकुमारी अपने साथ लेकर आई थी, जिसका मंडी राज परिवार में विवाह हुआ था। इस देवता को राजभवन में स्थापित किया गया। कोट का अर्थ हुआ बाबा का दुर्ग या किला।
बताया जाता है कि पहले राजकुमारियों के साथ उनकी रक्षा के लिए उनके मायके के देवता साथ जाते थे। इसी कड़ी में चंबा की राजकुमारी के साथ यह देवता मंडी आया था।
गद्दी की वेषभूषा में देवता
बाबा की वेषभूषा गद्दी जैसी है। बाबा ने गद्दियों का बहुचर्चित कमरबंद डोरा भी पहना हुआ है। यह देवता तम्बाकू प्रेमी है। बाबा की प्रतिमा के साथ सदा हुक्का रखने का प्रचलन रहा है, जो आज भी जारी है।
बाबा कोट को छोड़ मंडी का कोई भी देवता तम्बाकू का सेवन नहीं करता है। इस सारी विशेषताओं से इस देवता का चंबा से सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। गद्दी वेश में बाबा कोट की उपस्थिति इसकी पुष्टि के लिए दूसरा प्रमाण है।
चरपट नाथ से बाबा कोट का संबंध!
गौरतलब है कि दसवीं सदी के चंबा नरेश साहिल देव वर्मन के गुरु चरपट नाथ थे। चरपट नाथ का चंबा रियासत में खास स्थान रहा है और आज भी मणिमहेश यात्रा में चरपट नाथ की छड़ी शामिल होती है।
मंडी के बाबा कोट का नाथ सम्प्रदाय से कोई संबंध हो तो कोई हैरानी की बात नहीं है। पर अभी तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठाया जा सका है कि बाबा का संबंध किस संप्रदाय से है। बाबा को राज प्रसाद का रक्षक माना जाता था। यह देवता सौम्य और स्नेह का प्रतीक कहा जाता है।
हुक्का गुडगुडाते हुए शहर की रखवाली
किवदंती है कि बाबा हुक्का गुडगुडाते हुए मंडी शहर की रखवाली करते थे और उनके हुक्के की गुडगुडाहट सारे शहर को सुनाई देती थी। आज भी मंडी राजभवन स्थित बाबा कोट मंदिर में हुक्का विराजमान है।
आज भी पूर्व की भांति बाबा को रोट के अलावा तम्बाकु और सिगरेट को भी प्रसाद के रूप में चढाया जाता है। मंडी के अलावा चंबा के लोग भी राजभवन में स्थित इस मंदिर में पूजा- अर्चना करते हैं और बाबा का आशीर्वाद लेते हैं।
शिवा बदार में भी बाबा कोट का मंदिर
शिवा बदार गांव में कभी मंडी रियासत की राजधानी रही है। मंडी जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर शिवा बदार गांव में भी बाबा कोट का एक पुरातन मंदिर स्थित है। इस मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों में विशेष आस्था है।
क्या शिवा बदार के इस मंदिर का मंडी राजभवन में स्थित बाबा के मंदिर से कोई संबंध है? इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है।
हां शिवा बदार के इस मंदिर में मंडी राजभवन में स्थित बाबा कोट के मंदिर जैसा प्रचलन नहीं है। शिवा बदार के लोगों में मंडी राजभवन में स्थित बाबा और उनके हुक्के की गुडगुडाहट के बारे में जानकारी है।
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