मस्जिद विवाद : शिमला में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन
हिमाचल बिजनेस/ शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली उपनगर में बनी एक मस्जिद विवाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह मामला सड़क से लेकर हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में भी गूंज रहा है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के सोशल मीडिया पर मस्जिद विवाद पर दिए गए बयान के बाद इस मामले में नेशनल मीडिया भी हाथ धोकर कूद गया है।
वीरवार को मस्जिद विवाद मामले में शिमला के चौड़ा मैदान और संजौली में शांतिपूर्व तरीके से विरोध प्रदर्शन किया गया। हिंदू संगठनों ने दोपहर बाद रोष मार्च निकाला। मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी यहां पर पहुंचे और धरना प्रदर्शन को संबोधित किया।
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हिंदू संगठनों ने मस्जिद विवाद में चौड़ा मैदान में प्रदर्शन किया, वहीं संजौली में एक विशाल रैली निकाली। इस दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए शिमला पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे और एसपी शिमला भी मौके पर मौजूद रहे।
15 दिन में फैसला ले सरकार
हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष कमल गौतम ने कहा कि हिमाचल सरकार के मंत्री ने बुधवार को मस्जिद विवाद मामले में विधानसभा में बताया है कि संजौली में बनी 5 मंजिला मस्जिद अवैध है। इसलिए जब सरकार के मंत्री मान चुके हैं कि मस्जिद अवैध है तो इसे हटाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये मामला पिछले कई सालों से लंबित है। इस पर 15 दिन में फैसला नहीं लिया तो शिमला में बड़ा प्रदर्शन होगा।
मस्जिद विवाद में ओवैसी कूदे
वीरवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिद विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर कहा कि क्या हिमाचल की सरकार भाजपा की है या कांग्रेस की? हिमाचल की ‘मोहब्बत की दुकान’ में नफरत ही नफरत! वीडियो में हिमाचल का मंत्री भाजपा की जुबान में बोल रहा है।
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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिमाचल के संजौली में मस्जिद बनाई जा रही है, उसके निर्माण को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है। संघियों के एक झुंड ने मस्जिद को तोड़ने की मांग की है। संघियों के सम्मान में, कांग्रेसी मैदान में। भारत के नागरिक मुल्क के किसी भी हिस्से में रह सकते हैं, उन्हें रोहिंग्या और बाहरी बुलाना देश विरोधी है।
ओवैसी को सुनाई खरी- खोटी
पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि असदुद्दीन ओवैसी तो खुद ही भाजपा की बी टीम हैं। वे हिमाचल प्रदेश के मुद्दों को नहीं समझते हैं और उनकी राजनीति सिर्फ एक समुदाय पर चलती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार विकास की राजनीति करती है और यहां हर काम कानून के मुताबिक होता है।
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कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि ये मुद्दा मंदिर और मस्जिद विवाद का नहीं है, बल्कि इमारत के अवैध और वैध होने का है। यहां पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण हुआ है और ऐसे में सरकार इस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करवाएगी।
मारपीट से शुरू हुआ था विवाद
बीते दिनों मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की, जिसमें उसे गंभीर चोटें आई और 14 टांके लगे। ढली पुलिस ने मारपीट के छह आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तार किया, जिनमें से दो नाबालिग हैं।
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पाँच आरोपी यूपी के मुजफ्फरनगर के जबकि एक आरोपी उत्तराखंड का रहने वाला है। मामले की जांच एएसपी रैंक के अधिकारी रतन सिंह नेगी की निगरानी में हो रही है। पुलिस ने इसे स्थानीय दुकानदारों व बाहरी राज्य के समुदाय विशेष के लोगों के बीच आपसी बहसबाजी व लड़ाई का मामला पाया।
हिंदू संगठनों का प्रदर्शन
स्थानीय लोगों का आरोप है कि वारदात करने के बाद आरोपी मस्जिद में जाकर छिप गए। उसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली में प्रदर्शन किया और मस्जिद को अवैध बताते हुए गिराने की मांग की गई।
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मौके पर पहुंचे डीसी शिमला, एसपी शिमला व नगर निगम कमिश्नर ने किसी तरह गुस्साए लोगों को समझाया और कहा कि शनिवार को मस्जिद विवाद से जुड़े केस की सुनवाई कमिश्नर कोर्ट में होगी, तब तक प्रदर्शन न किया जाए।
दो कांग्रेसियों में ठन गई
मल्याणा क्षेत्र कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह के निर्वाचन क्षेत्र कुसुम्पटी में आता है। संजौली में जहां मस्जिद के बाहर प्रदर्शन हुआ, वह क्षेत्र शिमला शहरी विधानसभा के तहत आता है, जहां से कांग्रेस के विधायक हरीश जनारथा हैं।
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बुधवार को सदन में कहा कि आंदोलन बिल्कुल सही हुआ है और वे इस आंदोलन की जिम्मेदारी लेते हैं।
बुधवार को इस मामले में नियम-62 के तहत हुई चर्चा में जब कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह सदन में बोल रहे थे तो विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने कई बार मेज थपथपाई।
विधायक हरीश जनारथा का कहना है कि मल्याणा का झगड़ा लोग संजौली में लेकर आए, जो गलत है। मस्जिद विवाद मामले को लेकर कांग्रेस के ही दो नेता आमने- सामने आ गए हैं।
आंखों पर बंधी रही पट्टी
साल 2010 के साल 2012 में फिर से अवैध निर्माण हुआ। साल 2013 में इस मामले में सुनवाई हुई, पर निर्माण जारी रहा और साल 2019 में भी निर्माण कार्य होता रहा। इस दौरान 2012 से 2017 तक कांग्रेस और 2017 से 22 तक भाजपा की सरकार रही और अब फिर कांग्रेस की सरकार है।
शिमला में ढाई मंजिल से ऊपर निर्माण की मंजूरी नहीं है, पर यहां पर चार मंजिल बना दी गई। हैरानी यह कि नगर निगम प्रशासन को 10 साल बाद साल 2023 में इस बारे में पता चला, जिसके खिलाफ नगर निगम में सुनवाई चल रही है।
उस पक्ष का मस्जिद से कोई कनेक्शन ही नहीं है। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि इस जमीन का मालिकाना हक हिमाचल प्रदेश सरकार के पास है। शनिवार को नगर निगम में इस मामले में सुनवाई होनी है।