थल्ली गांव में क्यों रहने लगा था चंबा का राजा राम सिंह ?
हिमाचल बिजनेस/ चंबा
साल 1919 में चंबा के राजा भूरी सिंह की मौत हो गई। उनके बड़े बेटे राम सिंह उनके उत्तराधिकारी बने। राम सिंह साल 1919 से लेकर 1935 तक चंबा के राजा रहे।
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राजा राम सिंह की ख्याति एक प्रतापी राजा की रही और उनकी दिलेरी के किस्से चंबा के लोकगीतों में ढल गए। इन्हीं किस्सों के साथ राजा राम सिंह के प्रेम का किस्सा भी खूब मशहूर हुआ।
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राजा दो सगी बहनों के प्रेम में दीवाना हो राजमहल छोड़ प्रेमिकाओं के ही गांव में रहने लग पड़ा और वहीं से रियासत का राज- पाठ चलाने लगा।
दो सगी बहनों से प्रेम संबंध
चंबा की चुराह घाटी के मुख्यालय तीसागढ़ के पूर्वी छौर पर करीब पांच किलोमीटर दूर एक ऐतिहासिक गांव थल्ली है।राजा बनने के 6 साल बाद साल 1925 में राजा राम सिंह थल्ली गांव आए।
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राजा ने इस गांव की दो बहनों भागठू और राधू के साथ प्रेम संबंध स्थापित किए और पूरी तरह से उनके प्रेम में डूब गए। राजा प्रेम में इतने डूबे कि चंबा जाना ही भूल गए।
प्रेमिकाओं को समर हाउस किया गिफ्ट
1928-30 में राजा राम सिंह ने थल्ली गांव में एक आलीशान समर हाउस बनाया। उस दौर की यह एक शानदार इमारत थी, जिसमें शीशों का खूब प्रयोग हुआ था।
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राजा ने यह समर हाउस अपनी प्रेमिकाओं को स्प्रेम भेंट कर दिया। राजा राम सिंह इस कद्र प्रेमपाश में फंस चुका था कि अगले चार- पांच सालों तक चंबा रियासत और उसका राज-काज थल्ली गांव से ही चलाता रहा।
लाहौर तक पहुंची राजा की शिकायत
राजा राम सिंह के पूरी तरह से थल्ली गांव में रमने को लेकर शिकायतें लाहौर तक पहुंची। राजा के भाई केसरी सिंह ने राजा की विलासता की शिकायत लाहौल में अंग्रेज कमिशनर से कर दी।
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इस शिकायत पर कमिशनर ने तहकीकात करवाई। राजा राम सिंह की ओर से अहलदार दीवान बहादुर माधो राम ने मुकद्दमे की पैरवी कर बरी करवाया।
प्यार में रोड़ा बने भाई से छीना बाजीर का पद
विलासता में डूबे राजा को यह कतई मंजूर नहीं था कि उनके प्रेम में कोई रुकावट डाले। उनके भाई ने उनकी शिकायत लाहौर में की थी, जिसकी जांच भी हुई थी। यह बात राजा को नागवार गुजरी थी।
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राजा राम सिंह ने अपनी प्रेमिकाओं के लिए अपने भाई केसरी सिंह को बजीर पद से हटा दिया। अब दीवान माधो राम ही चंबा में राजा का काम- काज देखने लगे।
पड़ा दिल का दौरा, लाहौर में मौत
साल 1935 में राजा राम सिंह अपनी प्रेमिका भागठू के साथ लाहौर गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से राजा राम सिंह की मौत हो गई।
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राजा राम सिंह के शव को लाहौर से चंबा लाया गया और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
टूट गए समर हाउस के शीशे
‘चुराह घाटी एक परिचय’ पुस्तक में चंबा की चुराह घाटी से संबंध रखने वाले स्वर्गीय डीएस देवल लिखते हैं कि राजा की मौत के बाद लोगों ने राजा के सालों की पिटाई कर दी।
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गुस्से से भरे लोगों ने पत्थर मार कर समर हाउस के शीशे तक तोड़ डाले। उस समय यह गीत मशहूर हुआ था।
जली जांदी चांदणीरी रात, थल्ली शना मार पेई हो।
इक भन्ने बांगलू रे शीशे, कने मेरी बांह मरोड़ी हो।
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