रॉयल एयर फोर्स के पहले चंबयाल ऑफिसर भूपेंद्र नाथ
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चंबा रियासत के पहले फ्लाइंग ऑफिसर बनकर चमके थे भूपेन्द्र नाथ
मनीष वैद/ चंबा
आज कहानी रॉयल एयर फोर्स में चंबा के उस जांबाज फ्लाइंग ऑफिसर की, जिनकी वीरता और साहस का लोहा ब्रिटेन के किंग और क्वीन ने भी माना था। इस अफसर की शहादत पर ब्रिटेन के राज परिवार ने शोक व्यक्त किया था।
भूपेन्द्र नाथ रॉयल एयर फोर्स में चंबा रियासत के पहले फ्लाइंग ऑफिसर थे। वह रॉयल एयर फोर्स में कमीशन पाने वाले पहले चंबयाल ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत की तत्कालीन रियासतों में से भी पहले ही वायुसेना के सैनिक थे।
भूपेंद्र नाथ ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए सैकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में रॉयल इंडियन आर्मी से में कमीशन प्राप्त किया। उन्हें 21 अक्टूबर 1942 को रॉयल एयर फोर्स के 978 बैलून स्क्वैड्रन में नियुक्त किया गया था।
अनुशासनप्रिय व कर्तव्यनिष्ठ अफसर
भूपेन्द्र नाथ रॉयल एयर फोर्स के अफसर के तौर पर अनुशासनप्रिय व कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। इन्हीं गुणों के चलते वे तरक्की पाकर ‘बी’ फ्लाइट के कमांडिंग ऑफिसर बन गए।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने रायल एयर फोर्स के लिए अहम ज़िम्मेदारी निभाई। उन्हें चटगांव क्षेत्र में तैनात किया गया था, जहां उन्होंने एक सैन्य अधिकारी के तौर पर शानदार भूमिका अदा की।
शहादत पर किंग जॉर्ज ने जताई संवेदना
23 मई 1944 को गोलीबारी की एक घटना में रॉयल एयर फोर्स के अफसर भूपेंद्र नाथ शहीद हो गए। उनकी शहादत के बाद उनका निजी सामान और उनकी चिता की राख सुब्रतो मुखर्जी ने उनके पैतृक घर पहुंचाई थी। सुब्रतो मुखर्जी बाद में भारतीय वायु सेना के वायु सेना प्रमुख बने।
रॉयल एयर फोर्स में एक वायु सेना अफसर के तौर पर भूपेंद्र नाथ का रिकॉर्ड इतना शानदार था कि किंग जॉर्ज पंचम ने महारानी और खुद की ओर से अपनी संवेदनाएं उनके परिजनों को भेजीं थी।
इम्फाल मैमोरियल में स्मरण
बेशक पहाड़ और चंबा की नई पीढ़ी रॉयल एयर फोर्स के इस महान वायुसैनिक के बारे में ज्यादा नहीं जानती हो।
पहाड़ के लिए यह गर्व की बात है कि कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन के प्रयासों से इस शहीद वायुसेना अफसर भूपेन्द्र नाथ का नाम अब सीडब्ल्यूजीसी के इम्फाल क्रिमेशन मैमोरियल में स्तंभ 43 पर स्मरणीय है।
दीवान के घर जन्मे, किसान के घर पले
किस्मत के खेल भी अजीब होते हैं। भूपेंद्र नाथ के जीवन का सबसे रोचक पहलू यह है कि वह पैदा तो चंबा रियासत के दीवान के घर में हुए थे, पर वे एक किसान परिवार के घर में पले- बड़े। उनका बचपन एक गांव में गुजरा और नजदीक कोई स्कूल न होने के कार्न उनकी आरंभिक पढ़ाई घर पर ही हुई।
भूपेंद्र नाथ बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे और अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होंने लाहौर कॉलेज तक सफलता के झंडे गाड़े।
सितारों के खेल ने दिखाया रंग
21 दिसंबर, 1919 को तत्कालीन चंबा रियासत के दीवान बहादुर माधो राम और बसंती देवी के घर नौ बच्चों में से चौथे बच्चे के तौर पर पैदा हुए में जन्मे भूपेंद्र नाथ का परिवार उनके जन्म से उनके खिलाफ था।
कहा जाता है कि उसके परिजनों को बताया गया था कि भूपेन्द्र नाथ का जन्म अशुभ सितारों के तहत हुआ था। इसलिए उसके परिवार ने पुजारी की सलाह पर कुछ समय विशेष के लिए दुला के एक किसान परिवार को अपना नवजात सौप दिया गया।
लाहौर से पढ़ाई, पास किया सेना कमीशन
भूपेंद्र का बचपन गांव में गुजरा। उसकी पढ़ाई के लिए गांव में स्कूल न होने के कारण ट्यूटर की व्यवस्था कारवाई गई और अध्ययन शुरू हुआ।
बाद में वह अपने घर चंबा लौट आया और राजकीय स्कूल चंबा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज लाहौर से वाणिज्य में स्नातक किया। उसके बाद रॉयल नेवी में कमीशन पास किया और रॉयल एयर फोर्स के अफसर बने।
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